Mazar Par Jane Ko Guna Samajhne Walo | Sayyed Aminul Qadri
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- Опубликовано: 8 фев 2025
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DIL M ISQE NABI HO TO IBADAT QABUL HAI WRNA HAZARO SAJDE KRLO SAB FAZUL HAI ISQE NABI SE TU DIL KO ITNI SAFAI DE KE DIL JAB AAINA BANjaye to madina dikhai de 🕋🕋🕋🕋🕋🤲🤲🤲
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*नबी करीम सल्ललाहू अलैहे वसल्लम की* *वफ़ात के 600 साल बाद* *शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी ने* *( तसव्वुफ ) यानी कि सूफ़ी ईज़म की* *बुनियाद डाली और ( वहदतुल* *वजुद ) का फलसफा लिखा - और* *अल्लाह तक रसाई हासिल करने के लिए* - *( फ़ना फी शैख - फ़ना फी रसूल* - *फ़ना फी अल्लाह - ) की नई* *डिजाइन पेश की -*
*फिर क्या था देखते ही देखते इंडिया* *बंगलादेश पाकिस्तान और* *अफगानिस्तान में मौजूद - चिश्तिया -* *कादरीया - नक्षबंदिया - सोहरा वर्दीया* - *जुनैदिया -सिलसिले वाले सारे* *लोग (वली ) बन गए - ठीक है -* *लेकिन जिस रास्ते पर चल कर यह* *लोग ( वली ) बने हैं - वह फ़ना फी* *शैख वाला रास्ता न कुरान का* *फलसफा है और न नबी सल्ललाहू अलैहे* *वसल्लम की हदीस है -*
*यह तो सरासर शेख मोहियुदीन इब्ने* *अरबी का अपना खुद साख्ता* *( फलसफा ) है - जो लोग ग़ैर ए नबी के* *फलसफे पर चल कर ( वली ) बने हैं* *उनकी विलायत वाली डिग्री पर* ( *सवाल )* *तो बनता है -*
*सूफ़ी ईज़म भी एक ( ईज़म ) है - जैसे* *बुद्ध ईज़म - जैन ईज़म - पारसी* *ईज़म - सिख ईज़म - ठीक ऐसे* ही *- सूफ़ी ईज़म भी है -*
*सूफ़ी ईज़म चूंकि एक ईज़म है इस लिए* *सूफी ईज़म के अपने उसूल और* *ज़ाब्ते हैं - और फलसफा भी है -*
*सूफ़ी ईज़म के उसूल के मुताबिक * ( *खालिक) और ( मखलूक ) में कोई* *फर्क नही है ۔ हज़रत बा यज़ीद बुसतामी* *फरमाते हैं " खालिक और* *मखलूक एक ही ज़ात के दो जल्वे* *हैं* *खालिक ही मखलूक है और * *मखलूक* *ही* *खालिक है *
*इस लिए सूफी ईज़म में ( अल्लाह ) और* ( *बंदे ) वाला रिश्ता नहीं होता है -* *बल्कि यह रिश्ता ( कुल ) और* ( *जुज़ ) का रिश्ता होता है - जिस तरह* *पानी का कतरा समुंदर का जुज़* *होता है - ठीक ऐसे ही - हर इंसान* *अल्लाह का जुज़ होता है इसे* ( *वहदतुल वजुद ) का फलसफा* *कहते हैं इस लिए सूफी* *मज़हब में ( खालिक ) और (मखलूक) में* *फरक करना शीर्क है * *और दोनों को एक मानना तौहीद है * *इसे* *( सुफियाना तौहीद ) कहते हैं -* *इस लिए - ( वहदतुल* *वजुद ) -यह सूफी मज़हब का बुनियादी* ( *कलमा ) है -*
*इस लिए सूफी बाबा ( मरते ) नहीं है -* *उन का ( विसाल ) होता है - यानी कि* *मरने के बाद सूफी बाबा अपने ही* ( *वजूद ) से जा मिलते हैं - इस लिए* *सूफी* *बुजुर्ग की यौमे विसाल पर* *उन का ( उर्स ) मनाया जाता है -* *उर्स का मतलब - सूफी बुजुर्ग की* *अल्लाह से शादी की सालगिरह -*
*तसव्वुफ यानी कि सूफ़ी ईज़म दुनिया के* *सारे मज़हब में पाया जाता है* - *तसव्वुफ के वहदतुल वजुद* का *( अकीदा ) दुनिया के सारे* *मज़हब फॉलो करते है -*
*वहदतुल वजुद के फलसफे को हिंदी में -* *अद्वैत वेदांत का सिद्धांत - कहते हैं* - *और अंग्रेजी में इसे -* *Non Dualism Theory -* *कहते हैं* -
*तसव्वुफ यानी कि -सूफी ईज़म की* *इमारत - शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी के -* *वहदतुल वजुद - के फलसफे पर* *खड़ी है -* *और - इस्लाम की इमारत - नबी* *सल्ललाहू अलैहे वसल्लम के - वाहदहू* *ला* *शरीक - के कलमे पर खड़ी* *है* -
*हमारे मुफ्ती मौलवी और अल्लामा* *हजरात - वहदतुल वजुद - को - सही उल* *अकीदा - मज़हब मानते हैं - और -* *वाहदहू ला शरीक - को - बद अकीदा* *और - बद मज़हब - मानते हैं -*
*यह सच्चाई - लोगों को बताना चाहिए -*
*हवाला किताब - फससुल हकम -*
*Writer -शैख मोहियुदीन इब्ने अरबी*
*अद्वैत वेदांत दर्शन - लेखक -*
*आदि शंकराचार्य -*
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Mustafa jane rehmat pr lakho salam ❤️❤️❤️
दरूद शरीफ का वीर्द जारी रखो या अली मदद फिर नस्ले मुआवीया ने सर उठा या है ये सीफ्फीन की पीटा फीर एक बार याद दिला मेरे मोला दुश्मने अबुतालीब अल्हेसलाम को मीटा मेरे मोला ये जग़ तो 1400 साल से चल रही नबी (स अ व) की आल और अली (अ स) की ओलाद से दुश्मनी हर दोर मे रही है सीफ्फीन मै मुआवीया हरामी अली (अ स) के मुकाबील आया कर्बला मै यज़ीद मुआवीया का बेटा हरामी मोला हुसैन अल्हेसलम कै सामने अया उसकी हरामी नस्ल बची हुई एहमद रज़ा बन कर अली की ओलाद खवजा के खुद्दाम (खादीम) के सामने अजमेर शरीफ मै आपनी हरामी फोज भीजवादी हर दोर मै ऐहलेबेत के दुश्मन रहे है ऐसै कई हरामी हम अली वालो ने नीबटा दिये दरे ख्वाजा-ए-आज़म से खादीमे ख्वाजा सैय्यद उस्मान आलम चिश्ती अजमेर शरीफ
🐷Muawiya 🦓 Aala Hazrat
Kya jodi hai
Ahle sunnat wal jamaat zindabad❤
Maslake Aala hazrat zindabad ❤
Alhamdolillaah ❤
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*नबी करीम सल्ललाहू अलैहे वसल्लम की* *वफ़ात के 600 साल बाद* *शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी ने* *( तसव्वुफ ) यानी कि सूफ़ी ईज़म की* *बुनियाद डाली और ( वहदतुल* *वजुद ) का फलसफा लिखा - और* *अल्लाह तक रसाई हासिल करने के लिए* - *( फ़ना फी शैख - फ़ना फी रसूल* - *फ़ना फी अल्लाह - ) की नई* *डिजाइन पेश की -*
*फिर क्या था देखते ही देखते इंडिया* *बंगलादेश पाकिस्तान और* *अफगानिस्तान में मौजूद - चिश्तिया -* *कादरीया - नक्षबंदिया - सोहरा वर्दीया* - *जुनैदिया -सिलसिले वाले सारे* *लोग (वली ) बन गए - ठीक है -* *लेकिन जिस रास्ते पर चल कर यह* *लोग ( वली ) बने हैं - वह फ़ना फी* *शैख वाला रास्ता न कुरान का* *फलसफा है और न नबी सल्ललाहू अलैहे* *वसल्लम की हदीस है -*
*यह तो सरासर शेख मोहियुदीन इब्ने* *अरबी का अपना खुद साख्ता* *( फलसफा ) है - जो लोग ग़ैर ए नबी के* *फलसफे पर चल कर ( वली ) बने हैं* *उनकी विलायत वाली डिग्री पर* ( *सवाल )* *तो बनता है -*
*सूफ़ी ईज़म भी एक ( ईज़म ) है - जैसे* *बुद्ध ईज़म - जैन ईज़म - पारसी* *ईज़म - सिख ईज़म - ठीक ऐसे* ही *- सूफ़ी ईज़म भी है -*
*सूफ़ी ईज़म चूंकि एक ईज़म है इस लिए* *सूफी ईज़म के अपने उसूल और* *ज़ाब्ते हैं - और फलसफा भी है -*
*सूफ़ी ईज़म के उसूल के मुताबिक * ( *खालिक) और ( मखलूक ) में कोई* *फर्क नही है ۔ हज़रत बा यज़ीद बुसतामी* *फरमाते हैं " खालिक और* *मखलूक एक ही ज़ात के दो जल्वे* *हैं* *खालिक ही मखलूक है और * *मखलूक* *ही* *खालिक है *
*इस लिए सूफी ईज़म में ( अल्लाह ) और* ( *बंदे ) वाला रिश्ता नहीं होता है -* *बल्कि यह रिश्ता ( कुल ) और* ( *जुज़ ) का रिश्ता होता है - जिस तरह* *पानी का कतरा समुंदर का जुज़* *होता है - ठीक ऐसे ही - हर इंसान* *अल्लाह का जुज़ होता है इसे* ( *वहदतुल वजुद ) का फलसफा* *कहते हैं इस लिए सूफी* *मज़हब में ( खालिक ) और (मखलूक) में* *फरक करना शीर्क है * *और दोनों को एक मानना तौहीद है * *इसे* *( सुफियाना तौहीद ) कहते हैं -* *इस लिए - ( वहदतुल* *वजुद ) -यह सूफी मज़हब का बुनियादी* ( *कलमा ) है -*
*इस लिए सूफी बाबा ( मरते ) नहीं है -* *उन का ( विसाल ) होता है - यानी कि* *मरने के बाद सूफी बाबा अपने ही* ( *वजूद ) से जा मिलते हैं - इस लिए* *सूफी* *बुजुर्ग की यौमे विसाल पर* *उन का ( उर्स ) मनाया जाता है -* *उर्स का मतलब - सूफी बुजुर्ग की* *अल्लाह से शादी की सालगिरह -*
*तसव्वुफ यानी कि सूफ़ी ईज़म दुनिया के* *सारे मज़हब में पाया जाता है* - *तसव्वुफ के वहदतुल वजुद* का *( अकीदा ) दुनिया के सारे* *मज़हब फॉलो करते है -*
*वहदतुल वजुद के फलसफे को हिंदी में -* *अद्वैत वेदांत का सिद्धांत - कहते हैं* - *और अंग्रेजी में इसे -* *Non Dualism Theory -* *कहते हैं* -
*तसव्वुफ यानी कि -सूफी ईज़म की* *इमारत - शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी के -* *वहदतुल वजुद - के फलसफे पर* *खड़ी है -* *और - इस्लाम की इमारत - नबी* *सल्ललाहू अलैहे वसल्लम के - वाहदहू* *ला* *शरीक - के कलमे पर खड़ी* *है* -
*हमारे मुफ्ती मौलवी और अल्लामा* *हजरात - वहदतुल वजुद - को - सही उल* *अकीदा - मज़हब मानते हैं - और -* *वाहदहू ला शरीक - को - बद अकीदा* *और - बद मज़हब - मानते हैं -*
*यह सच्चाई - लोगों को बताना चाहिए -*
*हवाला किताब - फससुल हकम -*
*Writer -शैख मोहियुदीन इब्ने अरबी*
*अद्वैत वेदांत दर्शन - लेखक -*
*आदि शंकराचार्य -*
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huzrat muhammad sallaho alay hi wasallam ne farmaya he ki kabr pe jao taki (aapko aakhirat ka ehsas ho ) or uske liye dua karo jiski kaber per ho
MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah❤❤❤❤
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*नबी करीम सल्ललाहू अलैहे वसल्लम की* *वफ़ात के 600 साल बाद* *शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी ने* *( तसव्वुफ ) यानी कि सूफ़ी ईज़म की* *बुनियाद डाली और ( वहदतुल* *वजुद ) का फलसफा लिखा - और* *अल्लाह तक रसाई हासिल करने के लिए* - *( फ़ना फी शैख - फ़ना फी रसूल* - *फ़ना फी अल्लाह - ) की नई* *डिजाइन पेश की -*
*फिर क्या था देखते ही देखते इंडिया* *बंगलादेश पाकिस्तान और* *अफगानिस्तान में मौजूद - चिश्तिया -* *कादरीया - नक्षबंदिया - सोहरा वर्दीया* - *जुनैदिया -सिलसिले वाले सारे* *लोग (वली ) बन गए - ठीक है -* *लेकिन जिस रास्ते पर चल कर यह* *लोग ( वली ) बने हैं - वह फ़ना फी* *शैख वाला रास्ता न कुरान का* *फलसफा है और न नबी सल्ललाहू अलैहे* *वसल्लम की हदीस है -*
*यह तो सरासर शेख मोहियुदीन इब्ने* *अरबी का अपना खुद साख्ता* *( फलसफा ) है - जो लोग ग़ैर ए नबी के* *फलसफे पर चल कर ( वली ) बने हैं* *उनकी विलायत वाली डिग्री पर* ( *सवाल )* *तो बनता है -*
*सूफ़ी ईज़म भी एक ( ईज़म ) है - जैसे* *बुद्ध ईज़म - जैन ईज़म - पारसी* *ईज़म - सिख ईज़म - ठीक ऐसे* ही *- सूफ़ी ईज़म भी है -*
*सूफ़ी ईज़म चूंकि एक ईज़म है इस लिए* *सूफी ईज़म के अपने उसूल और* *ज़ाब्ते हैं - और फलसफा भी है -*
*सूफ़ी ईज़म के उसूल के मुताबिक * ( *खालिक) और ( मखलूक ) में कोई* *फर्क नही है ۔ हज़रत बा यज़ीद बुसतामी* *फरमाते हैं " खालिक और* *मखलूक एक ही ज़ात के दो जल्वे* *हैं* *खालिक ही मखलूक है और * *मखलूक* *ही* *खालिक है *
*इस लिए सूफी ईज़म में ( अल्लाह ) और* ( *बंदे ) वाला रिश्ता नहीं होता है -* *बल्कि यह रिश्ता ( कुल ) और* ( *जुज़ ) का रिश्ता होता है - जिस तरह* *पानी का कतरा समुंदर का जुज़* *होता है - ठीक ऐसे ही - हर इंसान* *अल्लाह का जुज़ होता है इसे* ( *वहदतुल वजुद ) का फलसफा* *कहते हैं इस लिए सूफी* *मज़हब में ( खालिक ) और (मखलूक) में* *फरक करना शीर्क है * *और दोनों को एक मानना तौहीद है * *इसे* *( सुफियाना तौहीद ) कहते हैं -* *इस लिए - ( वहदतुल* *वजुद ) -यह सूफी मज़हब का बुनियादी* ( *कलमा ) है -*
*इस लिए सूफी बाबा ( मरते ) नहीं है -* *उन का ( विसाल ) होता है - यानी कि* *मरने के बाद सूफी बाबा अपने ही* ( *वजूद ) से जा मिलते हैं - इस लिए* *सूफी* *बुजुर्ग की यौमे विसाल पर* *उन का ( उर्स ) मनाया जाता है -* *उर्स का मतलब - सूफी बुजुर्ग की* *अल्लाह से शादी की सालगिरह -*
*तसव्वुफ यानी कि सूफ़ी ईज़म दुनिया के* *सारे मज़हब में पाया जाता है* - *तसव्वुफ के वहदतुल वजुद* का *( अकीदा ) दुनिया के सारे* *मज़हब फॉलो करते है -*
*वहदतुल वजुद के फलसफे को हिंदी में -* *अद्वैत वेदांत का सिद्धांत - कहते हैं* - *और अंग्रेजी में इसे -* *Non Dualism Theory -* *कहते हैं* -
*तसव्वुफ यानी कि -सूफी ईज़म की* *इमारत - शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी के -* *वहदतुल वजुद - के फलसफे पर* *खड़ी है -* *और - इस्लाम की इमारत - नबी* *सल्ललाहू अलैहे वसल्लम के - वाहदहू* *ला* *शरीक - के कलमे पर खड़ी* *है* -
*हमारे मुफ्ती मौलवी और अल्लामा* *हजरात - वहदतुल वजुद - को - सही उल* *अकीदा - मज़हब मानते हैं - और -* *वाहदहू ला शरीक - को - बद अकीदा* *और - बद मज़हब - मानते हैं -*
*यह सच्चाई - लोगों को बताना चाहिए -*
*हवाला किताब - फससुल हकम -*
*Writer -शैख मोहियुदीन इब्ने अरबी*
*अद्वैत वेदांत दर्शन - लेखक -*
*आदि शंकराचार्य -*
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MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah❤❤❤❤
Allah k siwa koi mabood nahi shirk shirk hota h🙌🏻
Isme koi Shak nahi mazhar par janaa shirk h
Or Allah k siwa kisi or ko manna bhi shirk h
Right bro
Correct
To tum chaand ko surajko namano usko dekhke roja marakho na todo 14 aughustko jhanda ma failao aajdi namano Allah ke siwa or ko manna bhi sirk hai
@@RajShah-q1i chand or Siraj to h hi sahi usme manne wali kya baat h
@@RajShah-q1i tum jese logo ko allah kbhi hidayt nhi dega
Allah molana sahab ko sahi hidayat par lane ki toofiq de
tu aja pehle
Badtamiz
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*नबी करीम सल्ललाहू अलैहे वसल्लम की* *वफ़ात के 600 साल बाद* *शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी ने* *( तसव्वुफ ) यानी कि सूफ़ी ईज़म की* *बुनियाद डाली और ( वहदतुल* *वजुद ) का फलसफा लिखा - और* *अल्लाह तक रसाई हासिल करने के लिए* - *( फ़ना फी शैख - फ़ना फी रसूल* - *फ़ना फी अल्लाह - ) की नई* *डिजाइन पेश की -*
*फिर क्या था देखते ही देखते इंडिया* *बंगलादेश पाकिस्तान और* *अफगानिस्तान में मौजूद - चिश्तिया -* *कादरीया - नक्षबंदिया - सोहरा वर्दीया* - *जुनैदिया -सिलसिले वाले सारे* *लोग (वली ) बन गए - ठीक है -* *लेकिन जिस रास्ते पर चल कर यह* *लोग ( वली ) बने हैं - वह फ़ना फी* *शैख वाला रास्ता न कुरान का* *फलसफा है और न नबी सल्ललाहू अलैहे* *वसल्लम की हदीस है -*
*यह तो सरासर शेख मोहियुदीन इब्ने* *अरबी का अपना खुद साख्ता* *( फलसफा ) है - जो लोग ग़ैर ए नबी के* *फलसफे पर चल कर ( वली ) बने हैं* *उनकी विलायत वाली डिग्री पर* ( *सवाल )* *तो बनता है -*
*सूफ़ी ईज़म भी एक ( ईज़म ) है - जैसे* *बुद्ध ईज़म - जैन ईज़म - पारसी* *ईज़म - सिख ईज़म - ठीक ऐसे* ही *- सूफ़ी ईज़म भी है -*
*सूफ़ी ईज़म चूंकि एक ईज़म है इस लिए* *सूफी ईज़म के अपने उसूल और* *ज़ाब्ते हैं - और फलसफा भी है -*
*सूफ़ी ईज़म के उसूल के मुताबिक * ( *खालिक) और ( मखलूक ) में कोई* *फर्क नही है ۔ हज़रत बा यज़ीद बुसतामी* *फरमाते हैं " खालिक और* *मखलूक एक ही ज़ात के दो जल्वे* *हैं* *खालिक ही मखलूक है और * *मखलूक* *ही* *खालिक है *
*इस लिए सूफी ईज़म में ( अल्लाह ) और* ( *बंदे ) वाला रिश्ता नहीं होता है -* *बल्कि यह रिश्ता ( कुल ) और* ( *जुज़ ) का रिश्ता होता है - जिस तरह* *पानी का कतरा समुंदर का जुज़* *होता है - ठीक ऐसे ही - हर इंसान* *अल्लाह का जुज़ होता है इसे* ( *वहदतुल वजुद ) का फलसफा* *कहते हैं इस लिए सूफी* *मज़हब में ( खालिक ) और (मखलूक) में* *फरक करना शीर्क है * *और दोनों को एक मानना तौहीद है * *इसे* *( सुफियाना तौहीद ) कहते हैं -* *इस लिए - ( वहदतुल* *वजुद ) -यह सूफी मज़हब का बुनियादी* ( *कलमा ) है -*
*इस लिए सूफी बाबा ( मरते ) नहीं है -* *उन का ( विसाल ) होता है - यानी कि* *मरने के बाद सूफी बाबा अपने ही* ( *वजूद ) से जा मिलते हैं - इस लिए* *सूफी* *बुजुर्ग की यौमे विसाल पर* *उन का ( उर्स ) मनाया जाता है -* *उर्स का मतलब - सूफी बुजुर्ग की* *अल्लाह से शादी की सालगिरह -*
*तसव्वुफ यानी कि सूफ़ी ईज़म दुनिया के* *सारे मज़हब में पाया जाता है* - *तसव्वुफ के वहदतुल वजुद* का *( अकीदा ) दुनिया के सारे* *मज़हब फॉलो करते है -*
*वहदतुल वजुद के फलसफे को हिंदी में -* *अद्वैत वेदांत का सिद्धांत - कहते हैं* - *और अंग्रेजी में इसे -* *Non Dualism Theory -* *कहते हैं* -
*तसव्वुफ यानी कि -सूफी ईज़म की* *इमारत - शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी के -* *वहदतुल वजुद - के फलसफे पर* *खड़ी है -* *और - इस्लाम की इमारत - नबी* *सल्ललाहू अलैहे वसल्लम के - वाहदहू* *ला* *शरीक - के कलमे पर खड़ी* *है* -
*हमारे मुफ्ती मौलवी और अल्लामा* *हजरात - वहदतुल वजुद - को - सही उल* *अकीदा - मज़हब मानते हैं - और -* *वाहदहू ला शरीक - को - बद अकीदा* *और - बद मज़हब - मानते हैं -*
*यह सच्चाई - लोगों को बताना चाहिए -*
*हवाला किताब - फससुल हकम -*
*Writer -शैख मोहियुदीन इब्ने अरबी*
*अद्वैत वेदांत दर्शन - लेखक -*
*आदि शंकराचार्य -*
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Ya khawaja tera hind ka raja... Besak ❤❤❤ hajrat ❤❤❤ masha allah ❤
Masha Allah bilkul
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*नबी करीम सल्ललाहू अलैहे वसल्लम की* *वफ़ात के 600 साल बाद* *शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी ने* *( तसव्वुफ ) यानी कि सूफ़ी ईज़म की* *बुनियाद डाली और ( वहदतुल* *वजुद ) का फलसफा लिखा - और* *अल्लाह तक रसाई हासिल करने के लिए* - *( फ़ना फी शैख - फ़ना फी रसूल* - *फ़ना फी अल्लाह - ) की नई* *डिजाइन पेश की -*
*फिर क्या था देखते ही देखते इंडिया* *बंगलादेश पाकिस्तान और* *अफगानिस्तान में मौजूद - चिश्तिया -* *कादरीया - नक्षबंदिया - सोहरा वर्दीया* - *जुनैदिया -सिलसिले वाले सारे* *लोग (वली ) बन गए - ठीक है -* *लेकिन जिस रास्ते पर चल कर यह* *लोग ( वली ) बने हैं - वह फ़ना फी* *शैख वाला रास्ता न कुरान का* *फलसफा है और न नबी सल्ललाहू अलैहे* *वसल्लम की हदीस है -*
*यह तो सरासर शेख मोहियुदीन इब्ने* *अरबी का अपना खुद साख्ता* *( फलसफा ) है - जो लोग ग़ैर ए नबी के* *फलसफे पर चल कर ( वली ) बने हैं* *उनकी विलायत वाली डिग्री पर* ( *सवाल )* *तो बनता है -*
*सूफ़ी ईज़म भी एक ( ईज़म ) है - जैसे* *बुद्ध ईज़म - जैन ईज़म - पारसी* *ईज़म - सिख ईज़म - ठीक ऐसे* ही *- सूफ़ी ईज़म भी है -*
*सूफ़ी ईज़म चूंकि एक ईज़म है इस लिए* *सूफी ईज़म के अपने उसूल और* *ज़ाब्ते हैं - और फलसफा भी है -*
*सूफ़ी ईज़म के उसूल के मुताबिक * ( *खालिक) और ( मखलूक ) में कोई* *फर्क नही है ۔ हज़रत बा यज़ीद बुसतामी* *फरमाते हैं " खालिक और* *मखलूक एक ही ज़ात के दो जल्वे* *हैं* *खालिक ही मखलूक है और * *मखलूक* *ही* *खालिक है *
*इस लिए सूफी ईज़म में ( अल्लाह ) और* ( *बंदे ) वाला रिश्ता नहीं होता है -* *बल्कि यह रिश्ता ( कुल ) और* ( *जुज़ ) का रिश्ता होता है - जिस तरह* *पानी का कतरा समुंदर का जुज़* *होता है - ठीक ऐसे ही - हर इंसान* *अल्लाह का जुज़ होता है इसे* ( *वहदतुल वजुद ) का फलसफा* *कहते हैं इस लिए सूफी* *मज़हब में ( खालिक ) और (मखलूक) में* *फरक करना शीर्क है * *और दोनों को एक मानना तौहीद है * *इसे* *( सुफियाना तौहीद ) कहते हैं -* *इस लिए - ( वहदतुल* *वजुद ) -यह सूफी मज़हब का बुनियादी* ( *कलमा ) है -*
*इस लिए सूफी बाबा ( मरते ) नहीं है -* *उन का ( विसाल ) होता है - यानी कि* *मरने के बाद सूफी बाबा अपने ही* ( *वजूद ) से जा मिलते हैं - इस लिए* *सूफी* *बुजुर्ग की यौमे विसाल पर* *उन का ( उर्स ) मनाया जाता है -* *उर्स का मतलब - सूफी बुजुर्ग की* *अल्लाह से शादी की सालगिरह -*
*तसव्वुफ यानी कि सूफ़ी ईज़म दुनिया के* *सारे मज़हब में पाया जाता है* - *तसव्वुफ के वहदतुल वजुद* का *( अकीदा ) दुनिया के सारे* *मज़हब फॉलो करते है -*
*वहदतुल वजुद के फलसफे को हिंदी में -* *अद्वैत वेदांत का सिद्धांत - कहते हैं* - *और अंग्रेजी में इसे -* *Non Dualism Theory -* *कहते हैं* -
*तसव्वुफ यानी कि -सूफी ईज़म की* *इमारत - शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी के -* *वहदतुल वजुद - के फलसफे पर* *खड़ी है -* *और - इस्लाम की इमारत - नबी* *सल्ललाहू अलैहे वसल्लम के - वाहदहू* *ला* *शरीक - के कलमे पर खड़ी* *है* -
*हमारे मुफ्ती मौलवी और अल्लामा* *हजरात - वहदतुल वजुद - को - सही उल* *अकीदा - मज़हब मानते हैं - और -* *वाहदहू ला शरीक - को - बद अकीदा* *और - बद मज़हब - मानते हैं -*
*यह सच्चाई - लोगों को बताना चाहिए -*
*हवाला किताब - फससुल हकम -*
*Writer -शैख मोहियुदीन इब्ने अरबी*
*अद्वैत वेदांत दर्शन - लेखक -*
*आदि शंकराचार्य -*
🟡
Ya Rasool Allah ❤️ Waah janab bohot achi bayan
🟡
*नबी करीम सल्ललाहू अलैहे वसल्लम की* *वफ़ात के 600 साल बाद* *शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी ने* *( तसव्वुफ ) यानी कि सूफ़ी ईज़म की* *बुनियाद डाली और ( वहदतुल* *वजुद ) का फलसफा लिखा - और* *अल्लाह तक रसाई हासिल करने के लिए* - *( फ़ना फी शैख - फ़ना फी रसूल* - *फ़ना फी अल्लाह - ) की नई* *डिजाइन पेश की -*
*फिर क्या था देखते ही देखते इंडिया* *बंगलादेश पाकिस्तान और* *अफगानिस्तान में मौजूद - चिश्तिया -* *कादरीया - नक्षबंदिया - सोहरा वर्दीया* - *जुनैदिया -सिलसिले वाले सारे* *लोग (वली ) बन गए - ठीक है -* *लेकिन जिस रास्ते पर चल कर यह* *लोग ( वली ) बने हैं - वह फ़ना फी* *शैख वाला रास्ता न कुरान का* *फलसफा है और न नबी सल्ललाहू अलैहे* *वसल्लम की हदीस है -*
*यह तो सरासर शेख मोहियुदीन इब्ने* *अरबी का अपना खुद साख्ता* *( फलसफा ) है - जो लोग ग़ैर ए नबी के* *फलसफे पर चल कर ( वली ) बने हैं* *उनकी विलायत वाली डिग्री पर* ( *सवाल )* *तो बनता है -*
*सूफ़ी ईज़म भी एक ( ईज़म ) है - जैसे* *बुद्ध ईज़म - जैन ईज़म - पारसी* *ईज़म - सिख ईज़म - ठीक ऐसे* ही *- सूफ़ी ईज़म भी है -*
*सूफ़ी ईज़म चूंकि एक ईज़म है इस लिए* *सूफी ईज़म के अपने उसूल और* *ज़ाब्ते हैं - और फलसफा भी है -*
*सूफ़ी ईज़म के उसूल के मुताबिक * ( *खालिक) और ( मखलूक ) में कोई* *फर्क नही है ۔ हज़रत बा यज़ीद बुसतामी* *फरमाते हैं " खालिक और* *मखलूक एक ही ज़ात के दो जल्वे* *हैं* *खालिक ही मखलूक है और * *मखलूक* *ही* *खालिक है *
*इस लिए सूफी ईज़म में ( अल्लाह ) और* ( *बंदे ) वाला रिश्ता नहीं होता है -* *बल्कि यह रिश्ता ( कुल ) और* ( *जुज़ ) का रिश्ता होता है - जिस तरह* *पानी का कतरा समुंदर का जुज़* *होता है - ठीक ऐसे ही - हर इंसान* *अल्लाह का जुज़ होता है इसे* ( *वहदतुल वजुद ) का फलसफा* *कहते हैं इस लिए सूफी* *मज़हब में ( खालिक ) और (मखलूक) में* *फरक करना शीर्क है * *और दोनों को एक मानना तौहीद है * *इसे* *( सुफियाना तौहीद ) कहते हैं -* *इस लिए - ( वहदतुल* *वजुद ) -यह सूफी मज़हब का बुनियादी* ( *कलमा ) है -*
*इस लिए सूफी बाबा ( मरते ) नहीं है -* *उन का ( विसाल ) होता है - यानी कि* *मरने के बाद सूफी बाबा अपने ही* ( *वजूद ) से जा मिलते हैं - इस लिए* *सूफी* *बुजुर्ग की यौमे विसाल पर* *उन का ( उर्स ) मनाया जाता है -* *उर्स का मतलब - सूफी बुजुर्ग की* *अल्लाह से शादी की सालगिरह -*
*तसव्वुफ यानी कि सूफ़ी ईज़म दुनिया के* *सारे मज़हब में पाया जाता है* - *तसव्वुफ के वहदतुल वजुद* का *( अकीदा ) दुनिया के सारे* *मज़हब फॉलो करते है -*
*वहदतुल वजुद के फलसफे को हिंदी में -* *अद्वैत वेदांत का सिद्धांत - कहते हैं* - *और अंग्रेजी में इसे -* *Non Dualism Theory -* *कहते हैं* -
*तसव्वुफ यानी कि -सूफी ईज़म की* *इमारत - शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी के -* *वहदतुल वजुद - के फलसफे पर* *खड़ी है -* *और - इस्लाम की इमारत - नबी* *सल्ललाहू अलैहे वसल्लम के - वाहदहू* *ला* *शरीक - के कलमे पर खड़ी* *है* -
*हमारे मुफ्ती मौलवी और अल्लामा* *हजरात - वहदतुल वजुद - को - सही उल* *अकीदा - मज़हब मानते हैं - और -* *वाहदहू ला शरीक - को - बद अकीदा* *और - बद मज़हब - मानते हैं -*
*यह सच्चाई - लोगों को बताना चाहिए -*
*हवाला किताब - फससुल हकम -*
*Writer -शैख मोहियुदीन इब्ने अरबी*
*अद्वैत वेदांत दर्शन - लेखक -*
*आदि शंकराचार्य -*
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Maslake ala hajrat salamat rahe.
😇😇😇❤❤❤
Beshk❤❤❤❤❤
गोबर आला हज़रत रिज़वी,,,, अहमद रिज़वी शिया राफ़ज़ी
दुनिया में बगैर मेहनत के नमक नहीं मिलता तो दिन की मेहनत की ऐ बगैर जन्नत कैसे मिल जायेगी अल्लाह के रसूल सलाललाहु अलैहिस्सलम ने पूरी दुनिया में दिन की दावत दि है और आज अपन लोग दरगाह में अगरबती और चादर के चक्कर में फिर रहे astaghfirullah नमाज पढ़ो दिन कि दावत दो इसमें कामयाबी है
Besoq mashallah
subhanAlha
Allah Hu Akbar 🥺 Ya Rabbana Ya Rasool Allahﷺ Ho Nighaye Karam Ya Sayyadi Ya Habibi Ya Rasool Allahﷺ 💖🇸🇦🤲
दरूद शरीफ का वीर्द जारी रखो या अली मदद फिर नस्ले मुआवीया ने सर उठा या है ये सीफ्फीन की पीटा फीर एक बार याद दिला मेरे मोला दुश्मने अबुतालीब अल्हेसलाम को मीटा मेरे मोला ये जग़ तो 1400 साल से चल रही नबी (स अ व) की आल और अली (अ स) की ओलाद से दुश्मनी हर दोर मे रही है सीफ्फीन मै मुआवीया हरामी अली (अ स) के मुकाबील आया कर्बला मै यज़ीद मुआवीया का बेटा हरामी मोला हुसैन अल्हेसलम कै सामने अया उसकी हरामी नस्ल बची हुई एहमद रज़ा बन कर अली की ओलाद खवजा के खुद्दाम (खादीम) के सामने अजमेर शरीफ मै आपनी हरामी फोज भीजवादी हर दोर मै ऐहलेबेत के दुश्मन रहे है ऐसै कई हरामी हम अली वालो ने नीबटा दिये दरे ख्वाजा-ए-आज़म से खादीमे ख्वाजा सैय्यद उस्मान आलम चिश्ती अजमेर शरीफ
Ahle sunnat wal jamaat zindabad ❤
Maslake Aala hazrat zindabad ❤
Ahle sunnat zinda baad,🤗🥰
Masha allha 😎😎😎
Islam Zindabad
Masaalha 😇
InshahALLAH will go at JANNATH 👍.
@@mohsinKhan-ys5qx k
Tamam waliyo ko mera salam mujhe waliyo se mohbbat he I love wali
Hii
Mujhe v 😊
Mujhe bhi Wali se mohabbat hai❤️
Achchha hame shikha Riya hai.wali se mohabbat ya unke kabro ki pooja karke unse dushmani le rahe ho wo Qayamat ke din khud tumhare dushman ho jayenge.quraan padha karo tarjuma se in jahil molviyo ke chakkar me na pado
Achha allah se or allah ke tamam paigamber se or akhiri muhomammad salallahoalehi wasallam se nhi kerte ho
Ham sirf allah ke aage jhukte h
Aur nabi MUHAAMAD ko manne wale
ham log bhi Allah aur Nabi ko bahut Dil Se mante Hain
aur sab kahan gaye Afsos Angrej ke mesh per Bane Hue aap log Angrej Ki Har Ek chij Ko mante Ho 15 August 26 January
@@mdirshadali5765 bai je ibadath me shamil nahi h, aisa karne se na karne se guna nahi , tum log jo islam k naam se karte ho na , sawab samaj kar o h, moulood, urs,aise bahut se cheez o shirk h
Beshak dene wala humara allah hai ......
..Aur us rabke waliyon ko tum samajh te ho ki wo kuchh nahi de sakte .......
In waliyon aur sabhi nabiyon ke rutbe buland karne wala khud humara allah hai .....
Ye keh kar tum allah ke taqat per Shaq karrahe ho......
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*नबी करीम सल्ललाहू अलैहे वसल्लम की* *वफ़ात के 600 साल बाद* *शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी ने* *( तसव्वुफ ) यानी कि सूफ़ी ईज़म की* *बुनियाद डाली और ( वहदतुल* *वजुद ) का फलसफा लिखा - और* *अल्लाह तक रसाई हासिल करने के लिए* - *( फ़ना फी शैख - फ़ना फी रसूल* - *फ़ना फी अल्लाह - ) की नई* *डिजाइन पेश की -*
*फिर क्या था देखते ही देखते इंडिया* *बंगलादेश पाकिस्तान और* *अफगानिस्तान में मौजूद - चिश्तिया -* *कादरीया - नक्षबंदिया - सोहरा वर्दीया* - *जुनैदिया -सिलसिले वाले सारे* *लोग (वली ) बन गए - ठीक है -* *लेकिन जिस रास्ते पर चल कर यह* *लोग ( वली ) बने हैं - वह फ़ना फी* *शैख वाला रास्ता न कुरान का* *फलसफा है और न नबी सल्ललाहू अलैहे* *वसल्लम की हदीस है -*
*यह तो सरासर शेख मोहियुदीन इब्ने* *अरबी का अपना खुद साख्ता* *( फलसफा ) है - जो लोग ग़ैर ए नबी के* *फलसफे पर चल कर ( वली ) बने हैं* *उनकी विलायत वाली डिग्री पर* ( *सवाल )* *तो बनता है -*
*सूफ़ी ईज़म भी एक ( ईज़म ) है - जैसे* *बुद्ध ईज़म - जैन ईज़म - पारसी* *ईज़म - सिख ईज़म - ठीक ऐसे* ही *- सूफ़ी ईज़म भी है -*
*सूफ़ी ईज़म चूंकि एक ईज़म है इस लिए* *सूफी ईज़म के अपने उसूल और* *ज़ाब्ते हैं - और फलसफा भी है -*
*सूफ़ी ईज़म के उसूल के मुताबिक * ( *खालिक) और ( मखलूक ) में कोई* *फर्क नही है ۔ हज़रत बा यज़ीद बुसतामी* *फरमाते हैं " खालिक और* *मखलूक एक ही ज़ात के दो जल्वे* *हैं* *खालिक ही मखलूक है और * *मखलूक* *ही* *खालिक है *
*इस लिए सूफी ईज़म में ( अल्लाह ) और* ( *बंदे ) वाला रिश्ता नहीं होता है -* *बल्कि यह रिश्ता ( कुल ) और* ( *जुज़ ) का रिश्ता होता है - जिस तरह* *पानी का कतरा समुंदर का जुज़* *होता है - ठीक ऐसे ही - हर इंसान* *अल्लाह का जुज़ होता है इसे* ( *वहदतुल वजुद ) का फलसफा* *कहते हैं इस लिए सूफी* *मज़हब में ( खालिक ) और (मखलूक) में* *फरक करना शीर्क है * *और दोनों को एक मानना तौहीद है * *इसे* *( सुफियाना तौहीद ) कहते हैं -* *इस लिए - ( वहदतुल* *वजुद ) -यह सूफी मज़हब का बुनियादी* ( *कलमा ) है -*
*इस लिए सूफी बाबा ( मरते ) नहीं है -* *उन का ( विसाल ) होता है - यानी कि* *मरने के बाद सूफी बाबा अपने ही* ( *वजूद ) से जा मिलते हैं - इस लिए* *सूफी* *बुजुर्ग की यौमे विसाल पर* *उन का ( उर्स ) मनाया जाता है -* *उर्स का मतलब - सूफी बुजुर्ग की* *अल्लाह से शादी की सालगिरह -*
*तसव्वुफ यानी कि सूफ़ी ईज़म दुनिया के* *सारे मज़हब में पाया जाता है* - *तसव्वुफ के वहदतुल वजुद* का *( अकीदा ) दुनिया के सारे* *मज़हब फॉलो करते है -*
*वहदतुल वजुद के फलसफे को हिंदी में -* *अद्वैत वेदांत का सिद्धांत - कहते हैं* - *और अंग्रेजी में इसे -* *Non Dualism Theory -* *कहते हैं* -
*तसव्वुफ यानी कि -सूफी ईज़म की* *इमारत - शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी के -* *वहदतुल वजुद - के फलसफे पर* *खड़ी है -* *और - इस्लाम की इमारत - नबी* *सल्ललाहू अलैहे वसल्लम के - वाहदहू* *ला* *शरीक - के कलमे पर खड़ी* *है* -
*हमारे मुफ्ती मौलवी और अल्लामा* *हजरात - वहदतुल वजुद - को - सही उल* *अकीदा - मज़हब मानते हैं - और -* *वाहदहू ला शरीक - को - बद अकीदा* *और - बद मज़हब - मानते हैं -*
*यह सच्चाई - लोगों को बताना चाहिए -*
*हवाला किताब - फससुल हकम -*
*Writer -शैख मोहियुदीन इब्ने अरबी*
*अद्वैत वेदांत दर्शन - लेखक -*
*आदि शंकराचार्य -*
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Sayed sahab aap jaisa taqreer koi nahi karta Besaq haq hai zindabad zindabad zindabad
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*नबी करीम सल्ललाहू अलैहे वसल्लम की* *वफ़ात के 600 साल बाद* *शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी ने* *( तसव्वुफ ) यानी कि सूफ़ी ईज़म की* *बुनियाद डाली और ( वहदतुल* *वजुद ) का फलसफा लिखा - और* *अल्लाह तक रसाई हासिल करने के लिए* - *( फ़ना फी शैख - फ़ना फी रसूल* - *फ़ना फी अल्लाह - ) की नई* *डिजाइन पेश की -*
*फिर क्या था देखते ही देखते इंडिया* *बंगलादेश पाकिस्तान और* *अफगानिस्तान में मौजूद - चिश्तिया -* *कादरीया - नक्षबंदिया - सोहरा वर्दीया* - *जुनैदिया -सिलसिले वाले सारे* *लोग (वली ) बन गए - ठीक है -* *लेकिन जिस रास्ते पर चल कर यह* *लोग ( वली ) बने हैं - वह फ़ना फी* *शैख वाला रास्ता न कुरान का* *फलसफा है और न नबी सल्ललाहू अलैहे* *वसल्लम की हदीस है -*
*यह तो सरासर शेख मोहियुदीन इब्ने* *अरबी का अपना खुद साख्ता* *( फलसफा ) है - जो लोग ग़ैर ए नबी के* *फलसफे पर चल कर ( वली ) बने हैं* *उनकी विलायत वाली डिग्री पर* ( *सवाल )* *तो बनता है -*
*सूफ़ी ईज़म भी एक ( ईज़म ) है - जैसे* *बुद्ध ईज़म - जैन ईज़म - पारसी* *ईज़म - सिख ईज़म - ठीक ऐसे* ही *- सूफ़ी ईज़म भी है -*
*सूफ़ी ईज़म चूंकि एक ईज़म है इस लिए* *सूफी ईज़म के अपने उसूल और* *ज़ाब्ते हैं - और फलसफा भी है -*
*सूफ़ी ईज़म के उसूल के मुताबिक * ( *खालिक) और ( मखलूक ) में कोई* *फर्क नही है ۔ हज़रत बा यज़ीद बुसतामी* *फरमाते हैं " खालिक और* *मखलूक एक ही ज़ात के दो जल्वे* *हैं* *खालिक ही मखलूक है और * *मखलूक* *ही* *खालिक है *
*इस लिए सूफी ईज़म में ( अल्लाह ) और* ( *बंदे ) वाला रिश्ता नहीं होता है -* *बल्कि यह रिश्ता ( कुल ) और* ( *जुज़ ) का रिश्ता होता है - जिस तरह* *पानी का कतरा समुंदर का जुज़* *होता है - ठीक ऐसे ही - हर इंसान* *अल्लाह का जुज़ होता है इसे* ( *वहदतुल वजुद ) का फलसफा* *कहते हैं इस लिए सूफी* *मज़हब में ( खालिक ) और (मखलूक) में* *फरक करना शीर्क है * *और दोनों को एक मानना तौहीद है * *इसे* *( सुफियाना तौहीद ) कहते हैं -* *इस लिए - ( वहदतुल* *वजुद ) -यह सूफी मज़हब का बुनियादी* ( *कलमा ) है -*
*इस लिए सूफी बाबा ( मरते ) नहीं है -* *उन का ( विसाल ) होता है - यानी कि* *मरने के बाद सूफी बाबा अपने ही* ( *वजूद ) से जा मिलते हैं - इस लिए* *सूफी* *बुजुर्ग की यौमे विसाल पर* *उन का ( उर्स ) मनाया जाता है -* *उर्स का मतलब - सूफी बुजुर्ग की* *अल्लाह से शादी की सालगिरह -*
*तसव्वुफ यानी कि सूफ़ी ईज़म दुनिया के* *सारे मज़हब में पाया जाता है* - *तसव्वुफ के वहदतुल वजुद* का *( अकीदा ) दुनिया के सारे* *मज़हब फॉलो करते है -*
*वहदतुल वजुद के फलसफे को हिंदी में -* *अद्वैत वेदांत का सिद्धांत - कहते हैं* - *और अंग्रेजी में इसे -* *Non Dualism Theory -* *कहते हैं* -
*तसव्वुफ यानी कि -सूफी ईज़म की* *इमारत - शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी के -* *वहदतुल वजुद - के फलसफे पर* *खड़ी है -* *और - इस्लाम की इमारत - नबी* *सल्ललाहू अलैहे वसल्लम के - वाहदहू* *ला* *शरीक - के कलमे पर खड़ी* *है* -
*हमारे मुफ्ती मौलवी और अल्लामा* *हजरात - वहदतुल वजुद - को - सही उल* *अकीदा - मज़हब मानते हैं - और -* *वाहदहू ला शरीक - को - बद अकीदा* *और - बद मज़हब - मानते हैं -*
*यह सच्चाई - लोगों को बताना चाहिए -*
*हवाला किताब - फससुल हकम -*
*Writer -शैख मोहियुदीन इब्ने अरबी*
*अद्वैत वेदांत दर्शन - लेखक -*
*आदि शंकराचार्य -*
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Mazar per ja ke mangna shirk he 😢 Allah Nojawano ko samajhne ki tofiq de ❤ Dene wala sirf Allah h❤
Kya isaa murdo ko zinda nahi karte the ? Kya Musa se nahi kaha tha unki jamaat ne ki allah Tak hamari bat pohchaaye? Tum kaafir log
@@salmankadri8783 Insan Insan hota hai vah hamari tarah aam Insan nahin the Nabi the vah Insan kah nahin Sakta ki maine jindagi mein kabhi paap nahin kiya
@@salmankadri8783Dene wali jaat Allah ki hey aor kisi ki nahi
Masjid e Nabwi paas me or hamare pyare aaqa hujra e Mariyam pe jaa ke kyu maange ye btao
Hm. Mazar pr ja kr bhi Allah se hi mangte h
Ala Hazrat zindabad❤️✋
Hqq baat
Subhan Allah Subhan Allah. Labbaik Ya Rasool Allah Sallallaho Alaihiwasallam.
Muhammad hamare badi shan wale sare bolo na 💓
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*नबी करीम सल्ललाहू अलैहे वसल्लम की* *वफ़ात के 600 साल बाद* *शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी ने* *( तसव्वुफ ) यानी कि सूफ़ी ईज़म की* *बुनियाद डाली और ( वहदतुल* *वजुद ) का फलसफा लिखा - और* *अल्लाह तक रसाई हासिल करने के लिए* - *( फ़ना फी शैख - फ़ना फी रसूल* - *फ़ना फी अल्लाह - ) की नई* *डिजाइन पेश की -*
*फिर क्या था देखते ही देखते इंडिया* *बंगलादेश पाकिस्तान और* *अफगानिस्तान में मौजूद - चिश्तिया -* *कादरीया - नक्षबंदिया - सोहरा वर्दीया* - *जुनैदिया -सिलसिले वाले सारे* *लोग (वली ) बन गए - ठीक है -* *लेकिन जिस रास्ते पर चल कर यह* *लोग ( वली ) बने हैं - वह फ़ना फी* *शैख वाला रास्ता न कुरान का* *फलसफा है और न नबी सल्ललाहू अलैहे* *वसल्लम की हदीस है -*
*यह तो सरासर शेख मोहियुदीन इब्ने* *अरबी का अपना खुद साख्ता* *( फलसफा ) है - जो लोग ग़ैर ए नबी के* *फलसफे पर चल कर ( वली ) बने हैं* *उनकी विलायत वाली डिग्री पर* ( *सवाल )* *तो बनता है -*
*सूफ़ी ईज़म भी एक ( ईज़म ) है - जैसे* *बुद्ध ईज़म - जैन ईज़म - पारसी* *ईज़म - सिख ईज़म - ठीक ऐसे* ही *- सूफ़ी ईज़म भी है -*
*सूफ़ी ईज़म चूंकि एक ईज़म है इस लिए* *सूफी ईज़म के अपने उसूल और* *ज़ाब्ते हैं - और फलसफा भी है -*
*सूफ़ी ईज़म के उसूल के मुताबिक * ( *खालिक) और ( मखलूक ) में कोई* *फर्क नही है ۔ हज़रत बा यज़ीद बुसतामी* *फरमाते हैं " खालिक और* *मखलूक एक ही ज़ात के दो जल्वे* *हैं* *खालिक ही मखलूक है और * *मखलूक* *ही* *खालिक है *
*इस लिए सूफी ईज़म में ( अल्लाह ) और* ( *बंदे ) वाला रिश्ता नहीं होता है -* *बल्कि यह रिश्ता ( कुल ) और* ( *जुज़ ) का रिश्ता होता है - जिस तरह* *पानी का कतरा समुंदर का जुज़* *होता है - ठीक ऐसे ही - हर इंसान* *अल्लाह का जुज़ होता है इसे* ( *वहदतुल वजुद ) का फलसफा* *कहते हैं इस लिए सूफी* *मज़हब में ( खालिक ) और (मखलूक) में* *फरक करना शीर्क है * *और दोनों को एक मानना तौहीद है * *इसे* *( सुफियाना तौहीद ) कहते हैं -* *इस लिए - ( वहदतुल* *वजुद ) -यह सूफी मज़हब का बुनियादी* ( *कलमा ) है -*
*इस लिए सूफी बाबा ( मरते ) नहीं है -* *उन का ( विसाल ) होता है - यानी कि* *मरने के बाद सूफी बाबा अपने ही* ( *वजूद ) से जा मिलते हैं - इस लिए* *सूफी* *बुजुर्ग की यौमे विसाल पर* *उन का ( उर्स ) मनाया जाता है -* *उर्स का मतलब - सूफी बुजुर्ग की* *अल्लाह से शादी की सालगिरह -*
*तसव्वुफ यानी कि सूफ़ी ईज़म दुनिया के* *सारे मज़हब में पाया जाता है* - *तसव्वुफ के वहदतुल वजुद* का *( अकीदा ) दुनिया के सारे* *मज़हब फॉलो करते है -*
*वहदतुल वजुद के फलसफे को हिंदी में -* *अद्वैत वेदांत का सिद्धांत - कहते हैं* - *और अंग्रेजी में इसे -* *Non Dualism Theory -* *कहते हैं* -
*तसव्वुफ यानी कि -सूफी ईज़म की* *इमारत - शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी के -* *वहदतुल वजुद - के फलसफे पर* *खड़ी है -* *और - इस्लाम की इमारत - नबी* *सल्ललाहू अलैहे वसल्लम के - वाहदहू* *ला* *शरीक - के कलमे पर खड़ी* *है* -
*हमारे मुफ्ती मौलवी और अल्लामा* *हजरात - वहदतुल वजुद - को - सही उल* *अकीदा - मज़हब मानते हैं - और -* *वाहदहू ला शरीक - को - बद अकीदा* *और - बद मज़हब - मानते हैं -*
*यह सच्चाई - लोगों को बताना चाहिए -*
*हवाला किताब - फससुल हकम -*
*Writer -शैख मोहियुदीन इब्ने अरबी*
*अद्वैत वेदांत दर्शन - लेखक -*
*आदि शंकराचार्य -*
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Aslaam valyekum hzraat mere liye dua krna hr burai se bchaye ya allha talaa hm sbko pnjgan nmaaz pdhne ki tofek ata kre
Mere Gouss o Khawaja Zinddabad.💞💝💗
Mustafa rehmatpe lakho karodo durood o salam
❤MashaAllah❤
❤Beshaq❤Beshaq❤
❤Beshaq❤Beshaq❤
❤Beshaq❤Beshaq❤
Masa allah besak subhanallah subhanallah
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*नबी करीम सल्ललाहू अलैहे वसल्लम की* *वफ़ात के 600 साल बाद* *शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी ने* *( तसव्वुफ ) यानी कि सूफ़ी ईज़म की* *बुनियाद डाली और ( वहदतुल* *वजुद ) का फलसफा लिखा - और* *अल्लाह तक रसाई हासिल करने के लिए* - *( फ़ना फी शैख - फ़ना फी रसूल* - *फ़ना फी अल्लाह - ) की नई* *डिजाइन पेश की -*
*फिर क्या था देखते ही देखते इंडिया* *बंगलादेश पाकिस्तान और* *अफगानिस्तान में मौजूद - चिश्तिया -* *कादरीया - नक्षबंदिया - सोहरा वर्दीया* - *जुनैदिया -सिलसिले वाले सारे* *लोग (वली ) बन गए - ठीक है -* *लेकिन जिस रास्ते पर चल कर यह* *लोग ( वली ) बने हैं - वह फ़ना फी* *शैख वाला रास्ता न कुरान का* *फलसफा है और न नबी सल्ललाहू अलैहे* *वसल्लम की हदीस है -*
*यह तो सरासर शेख मोहियुदीन इब्ने* *अरबी का अपना खुद साख्ता* *( फलसफा ) है - जो लोग ग़ैर ए नबी के* *फलसफे पर चल कर ( वली ) बने हैं* *उनकी विलायत वाली डिग्री पर* ( *सवाल )* *तो बनता है -*
*सूफ़ी ईज़म भी एक ( ईज़म ) है - जैसे* *बुद्ध ईज़म - जैन ईज़म - पारसी* *ईज़म - सिख ईज़म - ठीक ऐसे* ही *- सूफ़ी ईज़म भी है -*
*सूफ़ी ईज़म चूंकि एक ईज़म है इस लिए* *सूफी ईज़म के अपने उसूल और* *ज़ाब्ते हैं - और फलसफा भी है -*
*सूफ़ी ईज़म के उसूल के मुताबिक * ( *खालिक) और ( मखलूक ) में कोई* *फर्क नही है ۔ हज़रत बा यज़ीद बुसतामी* *फरमाते हैं " खालिक और* *मखलूक एक ही ज़ात के दो जल्वे* *हैं* *खालिक ही मखलूक है और * *मखलूक* *ही* *खालिक है *
*इस लिए सूफी ईज़म में ( अल्लाह ) और* ( *बंदे ) वाला रिश्ता नहीं होता है -* *बल्कि यह रिश्ता ( कुल ) और* ( *जुज़ ) का रिश्ता होता है - जिस तरह* *पानी का कतरा समुंदर का जुज़* *होता है - ठीक ऐसे ही - हर इंसान* *अल्लाह का जुज़ होता है इसे* ( *वहदतुल वजुद ) का फलसफा* *कहते हैं इस लिए सूफी* *मज़हब में ( खालिक ) और (मखलूक) में* *फरक करना शीर्क है * *और दोनों को एक मानना तौहीद है * *इसे* *( सुफियाना तौहीद ) कहते हैं -* *इस लिए - ( वहदतुल* *वजुद ) -यह सूफी मज़हब का बुनियादी* ( *कलमा ) है -*
*इस लिए सूफी बाबा ( मरते ) नहीं है -* *उन का ( विसाल ) होता है - यानी कि* *मरने के बाद सूफी बाबा अपने ही* ( *वजूद ) से जा मिलते हैं - इस लिए* *सूफी* *बुजुर्ग की यौमे विसाल पर* *उन का ( उर्स ) मनाया जाता है -* *उर्स का मतलब - सूफी बुजुर्ग की* *अल्लाह से शादी की सालगिरह -*
*तसव्वुफ यानी कि सूफ़ी ईज़म दुनिया के* *सारे मज़हब में पाया जाता है* - *तसव्वुफ के वहदतुल वजुद* का *( अकीदा ) दुनिया के सारे* *मज़हब फॉलो करते है -*
*वहदतुल वजुद के फलसफे को हिंदी में -* *अद्वैत वेदांत का सिद्धांत - कहते हैं* - *और अंग्रेजी में इसे -* *Non Dualism Theory -* *कहते हैं* -
*तसव्वुफ यानी कि -सूफी ईज़म की* *इमारत - शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी के -* *वहदतुल वजुद - के फलसफे पर* *खड़ी है -* *और - इस्लाम की इमारत - नबी* *सल्ललाहू अलैहे वसल्लम के - वाहदहू* *ला* *शरीक - के कलमे पर खड़ी* *है* -
*हमारे मुफ्ती मौलवी और अल्लामा* *हजरात - वहदतुल वजुद - को - सही उल* *अकीदा - मज़हब मानते हैं - और -* *वाहदहू ला शरीक - को - बद अकीदा* *और - बद मज़हब - मानते हैं -*
*यह सच्चाई - लोगों को बताना चाहिए -*
*हवाला किताब - फससुल हकम -*
*Writer -शैख मोहियुदीन इब्ने अरबी*
*अद्वैत वेदांत दर्शन - लेखक -*
*आदि शंकराचार्य -*
🟡
Allah hamen shirk aur bittat se hifazat farma,
Hasbunallahu wa nemal wakil,
Allah hamen kafi hae woh behtarin karsaj hae
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*नबी करीम सल्ललाहू अलैहे वसल्लम की* *वफ़ात के 600 साल बाद* *शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी ने* *( तसव्वुफ ) यानी कि सूफ़ी ईज़म की* *बुनियाद डाली और ( वहदतुल* *वजुद ) का फलसफा लिखा - और* *अल्लाह तक रसाई हासिल करने के लिए* - *( फ़ना फी शैख - फ़ना फी रसूल* - *फ़ना फी अल्लाह - ) की नई* *डिजाइन पेश की -*
*फिर क्या था देखते ही देखते इंडिया* *बंगलादेश पाकिस्तान और* *अफगानिस्तान में मौजूद - चिश्तिया -* *कादरीया - नक्षबंदिया - सोहरा वर्दीया* - *जुनैदिया -सिलसिले वाले सारे* *लोग (वली ) बन गए - ठीक है -* *लेकिन जिस रास्ते पर चल कर यह* *लोग ( वली ) बने हैं - वह फ़ना फी* *शैख वाला रास्ता न कुरान का* *फलसफा है और न नबी सल्ललाहू अलैहे* *वसल्लम की हदीस है -*
*यह तो सरासर शेख मोहियुदीन इब्ने* *अरबी का अपना खुद साख्ता* *( फलसफा ) है - जो लोग ग़ैर ए नबी के* *फलसफे पर चल कर ( वली ) बने हैं* *उनकी विलायत वाली डिग्री पर* ( *सवाल )* *तो बनता है -*
*सूफ़ी ईज़म भी एक ( ईज़म ) है - जैसे* *बुद्ध ईज़म - जैन ईज़म - पारसी* *ईज़म - सिख ईज़म - ठीक ऐसे* ही *- सूफ़ी ईज़म भी है -*
*सूफ़ी ईज़म चूंकि एक ईज़म है इस लिए* *सूफी ईज़म के अपने उसूल और* *ज़ाब्ते हैं - और फलसफा भी है -*
*सूफ़ी ईज़म के उसूल के मुताबिक * ( *खालिक) और ( मखलूक ) में कोई* *फर्क नही है ۔ हज़रत बा यज़ीद बुसतामी* *फरमाते हैं " खालिक और* *मखलूक एक ही ज़ात के दो जल्वे* *हैं* *खालिक ही मखलूक है और * *मखलूक* *ही* *खालिक है *
*इस लिए सूफी ईज़म में ( अल्लाह ) और* ( *बंदे ) वाला रिश्ता नहीं होता है -* *बल्कि यह रिश्ता ( कुल ) और* ( *जुज़ ) का रिश्ता होता है - जिस तरह* *पानी का कतरा समुंदर का जुज़* *होता है - ठीक ऐसे ही - हर इंसान* *अल्लाह का जुज़ होता है इसे* ( *वहदतुल वजुद ) का फलसफा* *कहते हैं इस लिए सूफी* *मज़हब में ( खालिक ) और (मखलूक) में* *फरक करना शीर्क है * *और दोनों को एक मानना तौहीद है * *इसे* *( सुफियाना तौहीद ) कहते हैं -* *इस लिए - ( वहदतुल* *वजुद ) -यह सूफी मज़हब का बुनियादी* ( *कलमा ) है -*
*इस लिए सूफी बाबा ( मरते ) नहीं है -* *उन का ( विसाल ) होता है - यानी कि* *मरने के बाद सूफी बाबा अपने ही* ( *वजूद ) से जा मिलते हैं - इस लिए* *सूफी* *बुजुर्ग की यौमे विसाल पर* *उन का ( उर्स ) मनाया जाता है -* *उर्स का मतलब - सूफी बुजुर्ग की* *अल्लाह से शादी की सालगिरह -*
*तसव्वुफ यानी कि सूफ़ी ईज़म दुनिया के* *सारे मज़हब में पाया जाता है* - *तसव्वुफ के वहदतुल वजुद* का *( अकीदा ) दुनिया के सारे* *मज़हब फॉलो करते है -*
*वहदतुल वजुद के फलसफे को हिंदी में -* *अद्वैत वेदांत का सिद्धांत - कहते हैं* - *और अंग्रेजी में इसे -* *Non Dualism Theory -* *कहते हैं* -
*तसव्वुफ यानी कि -सूफी ईज़म की* *इमारत - शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी के -* *वहदतुल वजुद - के फलसफे पर* *खड़ी है -* *और - इस्लाम की इमारत - नबी* *सल्ललाहू अलैहे वसल्लम के - वाहदहू* *ला* *शरीक - के कलमे पर खड़ी* *है* -
*हमारे मुफ्ती मौलवी और अल्लामा* *हजरात - वहदतुल वजुद - को - सही उल* *अकीदा - मज़हब मानते हैं - और -* *वाहदहू ला शरीक - को - बद अकीदा* *और - बद मज़हब - मानते हैं -*
*यह सच्चाई - लोगों को बताना चाहिए -*
*हवाला किताब - फससुल हकम -*
*Writer -शैख मोहियुदीन इब्ने अरबी*
*अद्वैत वेदांत दर्शन - लेखक -*
*आदि शंकराचार्य -*
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Mazar jaana shirk nahi, waha jaakar waliyo se maangna , takleep pareshani k liye murde waliyo se duva karna ye shirk h, hum sabse jyada Allah se mohabbath karte, phir pyare nabi s w s.,phir maa baaf se, chiilane se kuch paida nahi, qadri saab
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*नबी करीम सल्ललाहू अलैहे वसल्लम की* *वफ़ात के 600 साल बाद* *शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी ने* *( तसव्वुफ ) यानी कि सूफ़ी ईज़म की* *बुनियाद डाली और ( वहदतुल* *वजुद ) का फलसफा लिखा - और* *अल्लाह तक रसाई हासिल करने के लिए* - *( फ़ना फी शैख - फ़ना फी रसूल* - *फ़ना फी अल्लाह - ) की नई* *डिजाइन पेश की -*
*फिर क्या था देखते ही देखते इंडिया* *बंगलादेश पाकिस्तान और* *अफगानिस्तान में मौजूद - चिश्तिया -* *कादरीया - नक्षबंदिया - सोहरा वर्दीया* - *जुनैदिया -सिलसिले वाले सारे* *लोग (वली ) बन गए - ठीक है -* *लेकिन जिस रास्ते पर चल कर यह* *लोग ( वली ) बने हैं - वह फ़ना फी* *शैख वाला रास्ता न कुरान का* *फलसफा है और न नबी सल्ललाहू अलैहे* *वसल्लम की हदीस है -*
*यह तो सरासर शेख मोहियुदीन इब्ने* *अरबी का अपना खुद साख्ता* *( फलसफा ) है - जो लोग ग़ैर ए नबी के* *फलसफे पर चल कर ( वली ) बने हैं* *उनकी विलायत वाली डिग्री पर* ( *सवाल )* *तो बनता है -*
*सूफ़ी ईज़म भी एक ( ईज़म ) है - जैसे* *बुद्ध ईज़म - जैन ईज़म - पारसी* *ईज़म - सिख ईज़म - ठीक ऐसे* ही *- सूफ़ी ईज़म भी है -*
*सूफ़ी ईज़म चूंकि एक ईज़म है इस लिए* *सूफी ईज़म के अपने उसूल और* *ज़ाब्ते हैं - और फलसफा भी है -*
*सूफ़ी ईज़म के उसूल के मुताबिक * ( *खालिक) और ( मखलूक ) में कोई* *फर्क नही है ۔ हज़रत बा यज़ीद बुसतामी* *फरमाते हैं " खालिक और* *मखलूक एक ही ज़ात के दो जल्वे* *हैं* *खालिक ही मखलूक है और * *मखलूक* *ही* *खालिक है *
*इस लिए सूफी ईज़म में ( अल्लाह ) और* ( *बंदे ) वाला रिश्ता नहीं होता है -* *बल्कि यह रिश्ता ( कुल ) और* ( *जुज़ ) का रिश्ता होता है - जिस तरह* *पानी का कतरा समुंदर का जुज़* *होता है - ठीक ऐसे ही - हर इंसान* *अल्लाह का जुज़ होता है इसे* ( *वहदतुल वजुद ) का फलसफा* *कहते हैं इस लिए सूफी* *मज़हब में ( खालिक ) और (मखलूक) में* *फरक करना शीर्क है * *और दोनों को एक मानना तौहीद है * *इसे* *( सुफियाना तौहीद ) कहते हैं -* *इस लिए - ( वहदतुल* *वजुद ) -यह सूफी मज़हब का बुनियादी* ( *कलमा ) है -*
*इस लिए सूफी बाबा ( मरते ) नहीं है -* *उन का ( विसाल ) होता है - यानी कि* *मरने के बाद सूफी बाबा अपने ही* ( *वजूद ) से जा मिलते हैं - इस लिए* *सूफी* *बुजुर्ग की यौमे विसाल पर* *उन का ( उर्स ) मनाया जाता है -* *उर्स का मतलब - सूफी बुजुर्ग की* *अल्लाह से शादी की सालगिरह -*
*तसव्वुफ यानी कि सूफ़ी ईज़म दुनिया के* *सारे मज़हब में पाया जाता है* - *तसव्वुफ के वहदतुल वजुद* का *( अकीदा ) दुनिया के सारे* *मज़हब फॉलो करते है -*
*वहदतुल वजुद के फलसफे को हिंदी में -* *अद्वैत वेदांत का सिद्धांत - कहते हैं* - *और अंग्रेजी में इसे -* *Non Dualism Theory -* *कहते हैं* -
*तसव्वुफ यानी कि -सूफी ईज़म की* *इमारत - शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी के -* *वहदतुल वजुद - के फलसफे पर* *खड़ी है -* *और - इस्लाम की इमारत - नबी* *सल्ललाहू अलैहे वसल्लम के - वाहदहू* *ला* *शरीक - के कलमे पर खड़ी* *है* -
*हमारे मुफ्ती मौलवी और अल्लामा* *हजरात - वहदतुल वजुद - को - सही उल* *अकीदा - मज़हब मानते हैं - और -* *वाहदहू ला शरीक - को - बद अकीदा* *और - बद मज़हब - मानते हैं -*
*यह सच्चाई - लोगों को बताना चाहिए -*
*हवाला किताब - फससुल हकम -*
*Writer -शैख मोहियुदीन इब्ने अरबी*
*अद्वैत वेदांत दर्शन - लेखक -*
*आदि शंकराचार्य -*
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Subhan allah ya allah har tute hue dil ko sukoon de de ya allah
Ya ghouse azam ya gareeb nawaz
ALLAH hu Akber Labbaik Labbaik ya Rasulullha S.A.W Haq Haq hai
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*नबी करीम सल्ललाहू अलैहे वसल्लम की* *वफ़ात के 600 साल बाद* *शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी ने* *( तसव्वुफ ) यानी कि सूफ़ी ईज़म की* *बुनियाद डाली और ( वहदतुल* *वजुद ) का फलसफा लिखा - और* *अल्लाह तक रसाई हासिल करने के लिए* - *( फ़ना फी शैख - फ़ना फी रसूल* - *फ़ना फी अल्लाह - ) की नई* *डिजाइन पेश की -*
*फिर क्या था देखते ही देखते इंडिया* *बंगलादेश पाकिस्तान और* *अफगानिस्तान में मौजूद - चिश्तिया -* *कादरीया - नक्षबंदिया - सोहरा वर्दीया* - *जुनैदिया -सिलसिले वाले सारे* *लोग (वली ) बन गए - ठीक है -* *लेकिन जिस रास्ते पर चल कर यह* *लोग ( वली ) बने हैं - वह फ़ना फी* *शैख वाला रास्ता न कुरान का* *फलसफा है और न नबी सल्ललाहू अलैहे* *वसल्लम की हदीस है -*
*यह तो सरासर शेख मोहियुदीन इब्ने* *अरबी का अपना खुद साख्ता* *( फलसफा ) है - जो लोग ग़ैर ए नबी के* *फलसफे पर चल कर ( वली ) बने हैं* *उनकी विलायत वाली डिग्री पर* ( *सवाल )* *तो बनता है -*
*सूफ़ी ईज़म भी एक ( ईज़म ) है - जैसे* *बुद्ध ईज़म - जैन ईज़म - पारसी* *ईज़म - सिख ईज़म - ठीक ऐसे* ही *- सूफ़ी ईज़म भी है -*
*सूफ़ी ईज़म चूंकि एक ईज़म है इस लिए* *सूफी ईज़म के अपने उसूल और* *ज़ाब्ते हैं - और फलसफा भी है -*
*सूफ़ी ईज़म के उसूल के मुताबिक * ( *खालिक) और ( मखलूक ) में कोई* *फर्क नही है ۔ हज़रत बा यज़ीद बुसतामी* *फरमाते हैं " खालिक और* *मखलूक एक ही ज़ात के दो जल्वे* *हैं* *खालिक ही मखलूक है और * *मखलूक* *ही* *खालिक है *
*इस लिए सूफी ईज़म में ( अल्लाह ) और* ( *बंदे ) वाला रिश्ता नहीं होता है -* *बल्कि यह रिश्ता ( कुल ) और* ( *जुज़ ) का रिश्ता होता है - जिस तरह* *पानी का कतरा समुंदर का जुज़* *होता है - ठीक ऐसे ही - हर इंसान* *अल्लाह का जुज़ होता है इसे* ( *वहदतुल वजुद ) का फलसफा* *कहते हैं इस लिए सूफी* *मज़हब में ( खालिक ) और (मखलूक) में* *फरक करना शीर्क है * *और दोनों को एक मानना तौहीद है * *इसे* *( सुफियाना तौहीद ) कहते हैं -* *इस लिए - ( वहदतुल* *वजुद ) -यह सूफी मज़हब का बुनियादी* ( *कलमा ) है -*
*इस लिए सूफी बाबा ( मरते ) नहीं है -* *उन का ( विसाल ) होता है - यानी कि* *मरने के बाद सूफी बाबा अपने ही* ( *वजूद ) से जा मिलते हैं - इस लिए* *सूफी* *बुजुर्ग की यौमे विसाल पर* *उन का ( उर्स ) मनाया जाता है -* *उर्स का मतलब - सूफी बुजुर्ग की* *अल्लाह से शादी की सालगिरह -*
*तसव्वुफ यानी कि सूफ़ी ईज़म दुनिया के* *सारे मज़हब में पाया जाता है* - *तसव्वुफ के वहदतुल वजुद* का *( अकीदा ) दुनिया के सारे* *मज़हब फॉलो करते है -*
*वहदतुल वजुद के फलसफे को हिंदी में -* *अद्वैत वेदांत का सिद्धांत - कहते हैं* - *और अंग्रेजी में इसे -* *Non Dualism Theory -* *कहते हैं* -
*तसव्वुफ यानी कि -सूफी ईज़म की* *इमारत - शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी के -* *वहदतुल वजुद - के फलसफे पर* *खड़ी है -* *और - इस्लाम की इमारत - नबी* *सल्ललाहू अलैहे वसल्लम के - वाहदहू* *ला* *शरीक - के कलमे पर खड़ी* *है* -
*हमारे मुफ्ती मौलवी और अल्लामा* *हजरात - वहदतुल वजुद - को - सही उल* *अकीदा - मज़हब मानते हैं - और -* *वाहदहू ला शरीक - को - बद अकीदा* *और - बद मज़हब - मानते हैं -*
*यह सच्चाई - लोगों को बताना चाहिए -*
*हवाला किताब - फससुल हकम -*
*Writer -शैख मोहियुदीन इब्ने अरबी*
*अद्वैत वेदांत दर्शन - लेखक -*
*आदि शंकराचार्य -*
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Haq He Ya Sayyadi ❤️❤️❤️❤️❤️
Quran me kya likha kuch pata hy Paki kabar bana na harm hy to usme majar kidhar se aya salo kuch sarm karo vali se bade hy nabi to soch unki koi majar hy
@@nimDu007 kya suna
@@nimDu007 abe jahil
Ham bhi yahi bolte sahi bukhari me likha hai pakki kaber bnana mna hai
Masha Allah bahut khub beshaq 👌 👌 beshaq 👌 👌
Beshaq
Subhan Allah
Haq he.Mera Khawaja Badsha He❤️❤️❤️
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*नबी करीम सल्ललाहू अलैहे वसल्लम की* *वफ़ात के 600 साल बाद* *शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी ने* *( तसव्वुफ ) यानी कि सूफ़ी ईज़म की* *बुनियाद डाली और ( वहदतुल* *वजुद ) का फलसफा लिखा - और* *अल्लाह तक रसाई हासिल करने के लिए* - *( फ़ना फी शैख - फ़ना फी रसूल* - *फ़ना फी अल्लाह - ) की नई* *डिजाइन पेश की -*
*फिर क्या था देखते ही देखते इंडिया* *बंगलादेश पाकिस्तान और* *अफगानिस्तान में मौजूद - चिश्तिया -* *कादरीया - नक्षबंदिया - सोहरा वर्दीया* - *जुनैदिया -सिलसिले वाले सारे* *लोग (वली ) बन गए - ठीक है -* *लेकिन जिस रास्ते पर चल कर यह* *लोग ( वली ) बने हैं - वह फ़ना फी* *शैख वाला रास्ता न कुरान का* *फलसफा है और न नबी सल्ललाहू अलैहे* *वसल्लम की हदीस है -*
*यह तो सरासर शेख मोहियुदीन इब्ने* *अरबी का अपना खुद साख्ता* *( फलसफा ) है - जो लोग ग़ैर ए नबी के* *फलसफे पर चल कर ( वली ) बने हैं* *उनकी विलायत वाली डिग्री पर* ( *सवाल )* *तो बनता है -*
*सूफ़ी ईज़म भी एक ( ईज़म ) है - जैसे* *बुद्ध ईज़म - जैन ईज़म - पारसी* *ईज़म - सिख ईज़म - ठीक ऐसे* ही *- सूफ़ी ईज़म भी है -*
*सूफ़ी ईज़म चूंकि एक ईज़म है इस लिए* *सूफी ईज़म के अपने उसूल और* *ज़ाब्ते हैं - और फलसफा भी है -*
*सूफ़ी ईज़म के उसूल के मुताबिक * ( *खालिक) और ( मखलूक ) में कोई* *फर्क नही है ۔ हज़रत बा यज़ीद बुसतामी* *फरमाते हैं " खालिक और* *मखलूक एक ही ज़ात के दो जल्वे* *हैं* *खालिक ही मखलूक है और * *मखलूक* *ही* *खालिक है *
*इस लिए सूफी ईज़म में ( अल्लाह ) और* ( *बंदे ) वाला रिश्ता नहीं होता है -* *बल्कि यह रिश्ता ( कुल ) और* ( *जुज़ ) का रिश्ता होता है - जिस तरह* *पानी का कतरा समुंदर का जुज़* *होता है - ठीक ऐसे ही - हर इंसान* *अल्लाह का जुज़ होता है इसे* ( *वहदतुल वजुद ) का फलसफा* *कहते हैं इस लिए सूफी* *मज़हब में ( खालिक ) और (मखलूक) में* *फरक करना शीर्क है * *और दोनों को एक मानना तौहीद है * *इसे* *( सुफियाना तौहीद ) कहते हैं -* *इस लिए - ( वहदतुल* *वजुद ) -यह सूफी मज़हब का बुनियादी* ( *कलमा ) है -*
*इस लिए सूफी बाबा ( मरते ) नहीं है -* *उन का ( विसाल ) होता है - यानी कि* *मरने के बाद सूफी बाबा अपने ही* ( *वजूद ) से जा मिलते हैं - इस लिए* *सूफी* *बुजुर्ग की यौमे विसाल पर* *उन का ( उर्स ) मनाया जाता है -* *उर्स का मतलब - सूफी बुजुर्ग की* *अल्लाह से शादी की सालगिरह -*
*तसव्वुफ यानी कि सूफ़ी ईज़म दुनिया के* *सारे मज़हब में पाया जाता है* - *तसव्वुफ के वहदतुल वजुद* का *( अकीदा ) दुनिया के सारे* *मज़हब फॉलो करते है -*
*वहदतुल वजुद के फलसफे को हिंदी में -* *अद्वैत वेदांत का सिद्धांत - कहते हैं* - *और अंग्रेजी में इसे -* *Non Dualism Theory -* *कहते हैं* -
*तसव्वुफ यानी कि -सूफी ईज़म की* *इमारत - शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी के -* *वहदतुल वजुद - के फलसफे पर* *खड़ी है -* *और - इस्लाम की इमारत - नबी* *सल्ललाहू अलैहे वसल्लम के - वाहदहू* *ला* *शरीक - के कलमे पर खड़ी* *है* -
*हमारे मुफ्ती मौलवी और अल्लामा* *हजरात - वहदतुल वजुद - को - सही उल* *अकीदा - मज़हब मानते हैं - और -* *वाहदहू ला शरीक - को - बद अकीदा* *और - बद मज़हब - मानते हैं -*
*यह सच्चाई - लोगों को बताना चाहिए -*
*हवाला किताब - फससुल हकम -*
*Writer -शैख मोहियुदीन इब्ने अरबी*
*अद्वैत वेदांत दर्शन - लेखक -*
*आदि शंकराचार्य -*
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मजारो पर जाना शिर्क नहीं है लेकिन उनसे मांगना शिर्क है उनके आगे सर झूकाना शिर्क है
Abe jahil Apne baap ke samne sar utha kar baat karta hai kya Apne baap se kuchh mangta nahin shrik hai ise bhi chhod de Allah walon ke aage sar jhukana koi gunah nahin kyunki humne kafir ke aage sar nahin humne Allah walon ke aage sar jhukaya hai 😠😠😠
दरूद शरीफ पढना चाहिए कब्रों पर।
@@K47or56 जी बिल्कुल पढना चाहिए ओर अपने रिश्तेदारों की कब्रों पर दरूद शरीफ पढ़कर आना चाहिए
@@bariskhan19 जो मर जाते हैं हम ज़िन्दा इंसानों को उनके लिए अल्लाह पाक से दुआ करनी चाहिए।
बाकी इसके अलावा सारा धंधा एक बिज़नेस ही हैं।
हम देवबन्दी हैं और कब्रों पर जाकर सिर्फ दरूद शरीफ पढ़ते हैं और अपने घर का रास्ता पकड़ते हैं। बाकी जाहिलियत भरे टोपी ड्रामों के काम से दूर ही रहते हैं।
@@K47or56 बहुत खूब मेरे भाई जान ❤️❤️❤️❤️❤️ दिल जीत लिया आपने आजतक मेने शिर्फ दरूद शरीफ के अलावा कुछ भी नहीं पढा कब्र हम दूआ कर सकते हैं
Zbrdast mashallah alhamdulillah gooooooooooooooooooooood bhhhhhhhhhhhhhhhhhhhht khub gggggg Qadri sb
Aslamualikum..hazrat aapka taqreer karne ka andaaza hindustaan me top he 👍👍👍masha allah
Matlab tumko gala fadne wala pasand aur kya pasand inki takreer me
Mustafa jane rehmat pe lakho salam💚💚
Hum ahle sunnat ka manna wala hai ....ahle sunnat Zinda baad ....❤️
Hum Islam ko manne ola hai Islam zindabad
MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah❤❤❤❤
Ma Sha Allah very nice bayan From Pakistan Paris France
MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah❤❤❤❤❤❤❤
Khuda aap ko aise hidayat de our hame nek raste par chalne ki tufeek ata farmaye
Astagfirullah May allah guide us all muslim to follow the path of true Islam😢❤
Aap allah ke bahut nek bande ho...masha allah...
aap ko kaise pata k nek bande hai sirf bayan ko sunke pata chal gya
@@aminhussain8997 To nek nahi hai to kya sab nek nahi hai
@@statusempire0770 abe jhnto tujhe wahi aai thii kya allah k passs se
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*नबी करीम सल्ललाहू अलैहे वसल्लम की* *वफ़ात के 600 साल बाद* *शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी ने* *( तसव्वुफ ) यानी कि सूफ़ी ईज़म की* *बुनियाद डाली और ( वहदतुल* *वजुद ) का फलसफा लिखा - और* *अल्लाह तक रसाई हासिल करने के लिए* - *( फ़ना फी शैख - फ़ना फी रसूल* - *फ़ना फी अल्लाह - ) की नई* *डिजाइन पेश की -*
*फिर क्या था देखते ही देखते इंडिया* *बंगलादेश पाकिस्तान और* *अफगानिस्तान में मौजूद - चिश्तिया -* *कादरीया - नक्षबंदिया - सोहरा वर्दीया* - *जुनैदिया -सिलसिले वाले सारे* *लोग (वली ) बन गए - ठीक है -* *लेकिन जिस रास्ते पर चल कर यह* *लोग ( वली ) बने हैं - वह फ़ना फी* *शैख वाला रास्ता न कुरान का* *फलसफा है और न नबी सल्ललाहू अलैहे* *वसल्लम की हदीस है -*
*यह तो सरासर शेख मोहियुदीन इब्ने* *अरबी का अपना खुद साख्ता* *( फलसफा ) है - जो लोग ग़ैर ए नबी के* *फलसफे पर चल कर ( वली ) बने हैं* *उनकी विलायत वाली डिग्री पर* ( *सवाल )* *तो बनता है -*
*सूफ़ी ईज़म भी एक ( ईज़म ) है - जैसे* *बुद्ध ईज़म - जैन ईज़म - पारसी* *ईज़म - सिख ईज़म - ठीक ऐसे* ही *- सूफ़ी ईज़म भी है -*
*सूफ़ी ईज़म चूंकि एक ईज़म है इस लिए* *सूफी ईज़म के अपने उसूल और* *ज़ाब्ते हैं - और फलसफा भी है -*
*सूफ़ी ईज़म के उसूल के मुताबिक * ( *खालिक) और ( मखलूक ) में कोई* *फर्क नही है ۔ हज़रत बा यज़ीद बुसतामी* *फरमाते हैं " खालिक और* *मखलूक एक ही ज़ात के दो जल्वे* *हैं* *खालिक ही मखलूक है और * *मखलूक* *ही* *खालिक है *
*इस लिए सूफी ईज़म में ( अल्लाह ) और* ( *बंदे ) वाला रिश्ता नहीं होता है -* *बल्कि यह रिश्ता ( कुल ) और* ( *जुज़ ) का रिश्ता होता है - जिस तरह* *पानी का कतरा समुंदर का जुज़* *होता है - ठीक ऐसे ही - हर इंसान* *अल्लाह का जुज़ होता है इसे* ( *वहदतुल वजुद ) का फलसफा* *कहते हैं इस लिए सूफी* *मज़हब में ( खालिक ) और (मखलूक) में* *फरक करना शीर्क है * *और दोनों को एक मानना तौहीद है * *इसे* *( सुफियाना तौहीद ) कहते हैं -* *इस लिए - ( वहदतुल* *वजुद ) -यह सूफी मज़हब का बुनियादी* ( *कलमा ) है -*
*इस लिए सूफी बाबा ( मरते ) नहीं है -* *उन का ( विसाल ) होता है - यानी कि* *मरने के बाद सूफी बाबा अपने ही* ( *वजूद ) से जा मिलते हैं - इस लिए* *सूफी* *बुजुर्ग की यौमे विसाल पर* *उन का ( उर्स ) मनाया जाता है -* *उर्स का मतलब - सूफी बुजुर्ग की* *अल्लाह से शादी की सालगिरह -*
*तसव्वुफ यानी कि सूफ़ी ईज़म दुनिया के* *सारे मज़हब में पाया जाता है* - *तसव्वुफ के वहदतुल वजुद* का *( अकीदा ) दुनिया के सारे* *मज़हब फॉलो करते है -*
*वहदतुल वजुद के फलसफे को हिंदी में -* *अद्वैत वेदांत का सिद्धांत - कहते हैं* - *और अंग्रेजी में इसे -* *Non Dualism Theory -* *कहते हैं* -
*तसव्वुफ यानी कि -सूफी ईज़म की* *इमारत - शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी के -* *वहदतुल वजुद - के फलसफे पर* *खड़ी है -* *और - इस्लाम की इमारत - नबी* *सल्ललाहू अलैहे वसल्लम के - वाहदहू* *ला* *शरीक - के कलमे पर खड़ी* *है* -
*हमारे मुफ्ती मौलवी और अल्लामा* *हजरात - वहदतुल वजुद - को - सही उल* *अकीदा - मज़हब मानते हैं - और -* *वाहदहू ला शरीक - को - बद अकीदा* *और - बद मज़हब - मानते हैं -*
*यह सच्चाई - लोगों को बताना चाहिए -*
*हवाला किताब - फससुल हकम -*
*Writer -शैख मोहियुदीन इब्ने अरबी*
*अद्वैत वेदांत दर्शन - लेखक -*
*आदि शंकराचार्य -*
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Mashallah allah aur bhi neik hidayath devey kyunki hamjaisey insanoko apki deeni nasihath hi kafi hai subhanallah
Asalam alekum masha Allah subhan Allah Allah apko jazaye khair de Allah apko salamat rakheye ameen
इतिहास से तो पढ लेते हेमु भी तो सम्राट था❤️❤️❤️❤️
भारत की बात हो रही है आपके गांव की नही।
@@Sultan_0fficial तो हम भी भारत की बात कर रहे हैं पानीपत का द्वीतिय यूध्द किन किनके बीच लडा गया था बताना जरा
@@bariskhan19 🤣
Allah hajrat ki umr me barkat ata farmaye
Ya Rasool Allah Karam ki Nazar ho Golamo par Ameen
Ahle nunnat zinda baad ❤❤😊
Masha Allah very nice 💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞
MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
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*नबी करीम सल्ललाहू अलैहे वसल्लम की* *वफ़ात के 600 साल बाद* *शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी ने* *( तसव्वुफ ) यानी कि सूफ़ी ईज़म की* *बुनियाद डाली और ( वहदतुल* *वजुद ) का फलसफा लिखा - और* *अल्लाह तक रसाई हासिल करने के लिए* - *( फ़ना फी शैख - फ़ना फी रसूल* - *फ़ना फी अल्लाह - ) की नई* *डिजाइन पेश की -*
*फिर क्या था देखते ही देखते इंडिया* *बंगलादेश पाकिस्तान और* *अफगानिस्तान में मौजूद - चिश्तिया -* *कादरीया - नक्षबंदिया - सोहरा वर्दीया* - *जुनैदिया -सिलसिले वाले सारे* *लोग (वली ) बन गए - ठीक है -* *लेकिन जिस रास्ते पर चल कर यह* *लोग ( वली ) बने हैं - वह फ़ना फी* *शैख वाला रास्ता न कुरान का* *फलसफा है और न नबी सल्ललाहू अलैहे* *वसल्लम की हदीस है -*
*यह तो सरासर शेख मोहियुदीन इब्ने* *अरबी का अपना खुद साख्ता* *( फलसफा ) है - जो लोग ग़ैर ए नबी के* *फलसफे पर चल कर ( वली ) बने हैं* *उनकी विलायत वाली डिग्री पर* ( *सवाल )* *तो बनता है -*
*सूफ़ी ईज़म भी एक ( ईज़म ) है - जैसे* *बुद्ध ईज़म - जैन ईज़म - पारसी* *ईज़म - सिख ईज़म - ठीक ऐसे* ही *- सूफ़ी ईज़म भी है -*
*सूफ़ी ईज़म चूंकि एक ईज़म है इस लिए* *सूफी ईज़म के अपने उसूल और* *ज़ाब्ते हैं - और फलसफा भी है -*
*सूफ़ी ईज़म के उसूल के मुताबिक * ( *खालिक) और ( मखलूक ) में कोई* *फर्क नही है ۔ हज़रत बा यज़ीद बुसतामी* *फरमाते हैं " खालिक और* *मखलूक एक ही ज़ात के दो जल्वे* *हैं* *खालिक ही मखलूक है और * *मखलूक* *ही* *खालिक है *
*इस लिए सूफी ईज़म में ( अल्लाह ) और* ( *बंदे ) वाला रिश्ता नहीं होता है -* *बल्कि यह रिश्ता ( कुल ) और* ( *जुज़ ) का रिश्ता होता है - जिस तरह* *पानी का कतरा समुंदर का जुज़* *होता है - ठीक ऐसे ही - हर इंसान* *अल्लाह का जुज़ होता है इसे* ( *वहदतुल वजुद ) का फलसफा* *कहते हैं इस लिए सूफी* *मज़हब में ( खालिक ) और (मखलूक) में* *फरक करना शीर्क है * *और दोनों को एक मानना तौहीद है * *इसे* *( सुफियाना तौहीद ) कहते हैं -* *इस लिए - ( वहदतुल* *वजुद ) -यह सूफी मज़हब का बुनियादी* ( *कलमा ) है -*
*इस लिए सूफी बाबा ( मरते ) नहीं है -* *उन का ( विसाल ) होता है - यानी कि* *मरने के बाद सूफी बाबा अपने ही* ( *वजूद ) से जा मिलते हैं - इस लिए* *सूफी* *बुजुर्ग की यौमे विसाल पर* *उन का ( उर्स ) मनाया जाता है -* *उर्स का मतलब - सूफी बुजुर्ग की* *अल्लाह से शादी की सालगिरह -*
*तसव्वुफ यानी कि सूफ़ी ईज़म दुनिया के* *सारे मज़हब में पाया जाता है* - *तसव्वुफ के वहदतुल वजुद* का *( अकीदा ) दुनिया के सारे* *मज़हब फॉलो करते है -*
*वहदतुल वजुद के फलसफे को हिंदी में -* *अद्वैत वेदांत का सिद्धांत - कहते हैं* - *और अंग्रेजी में इसे -* *Non Dualism Theory -* *कहते हैं* -
*तसव्वुफ यानी कि -सूफी ईज़म की* *इमारत - शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी के -* *वहदतुल वजुद - के फलसफे पर* *खड़ी है -* *और - इस्लाम की इमारत - नबी* *सल्ललाहू अलैहे वसल्लम के - वाहदहू* *ला* *शरीक - के कलमे पर खड़ी* *है* -
*हमारे मुफ्ती मौलवी और अल्लामा* *हजरात - वहदतुल वजुद - को - सही उल* *अकीदा - मज़हब मानते हैं - और -* *वाहदहू ला शरीक - को - बद अकीदा* *और - बद मज़हब - मानते हैं -*
*यह सच्चाई - लोगों को बताना चाहिए -*
*हवाला किताब - फससुल हकम -*
*Writer -शैख मोहियुदीन इब्ने अरबी*
*अद्वैत वेदांत दर्शन - लेखक -*
*आदि शंकराचार्य -*
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Ya allah hm sb serate mustakim pr kaym rakh apne habib ke sadke ❤❤❤
Majar par jaana shirk nahi unse maangna shirk hai
Subhanallah❤️❤️❤️❤️
Aap jese hafiz ki bahut Jarurat hai
Quran me kya likha kuch pata hy Paki kabar bana na harm hy to usme majar kidhar se aya salo kuch sarm karo vali se bade hy nabi to soch unki koi majar hy
@@_ruksar_khatun_ saale wahabi dewandi. you know that little knowledge are dangerous thing. Tum log Allah tala ko maante ho aur unke chahne waale ko nhi 🙌
@@nimDu007tu Tablighi video dekh yaha aakar Gyan mat de
Achchha kisne bataya tumko ki ye hafiz hai ye to jahil hai
@@mahonawalebhaiya9854 jahil to tum khud ho saari duniya me wahabi aur deobandi gustakh e rasool ke naam se Jane jate ho 😡😡
Majar pad Jana Allah ko naraz Krna hai 😢😢😢😢😢
*🌹 الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ*
Labbaik ya Rasool Allah sallallahu alaihi wasallam
Huq. Huq. Huq byan hy.
दरूद शरीफ का वीर्द जारी रखो या अली मदद फिर नस्ले मुआवीया ने सर उठा या है ये सीफ्फीन की पीटा फीर एक बार याद दिला मेरे मोला दुश्मने अबुतालीब अल्हेसलाम को मीटा मेरे मोला ये जग़ तो 1400 साल से चल रही नबी (स अ व) की आल और अली (अ स) की ओलाद से दुश्मनी हर दोर मे रही है सीफ्फीन मै मुआवीया हरामी अली (अ स) के मुकाबील आया कर्बला मै यज़ीद मुआवीया का बेटा हरामी मोला हुसैन अल्हेसलम कै सामने अया उसकी हरामी नस्ल बची हुई एहमद रज़ा बन कर अली की ओलाद खवजा के खुद्दाम (खादीम) के सामने अजमेर शरीफ मै आपनी हरामी फोज भीजवादी हर दोर मै ऐहलेबेत के दुश्मन रहे है ऐसै कई हरामी हम अली वालो ने नीबटा दिये दरे ख्वाजा-ए-आज़म से खादीमे ख्वाजा सैय्यद उस्मान आलम चिश्ती अजमेर शरीफ
Beshaq tu zinda hai wallah tu zinda hai wallah mere chasmein alam se chuup jane wale ﷴ🧡ﷺﷴ💜ﷺﷴ💚ﷺﷴ💙ﷺﷴ🤎ﷺﷴ💞ﷺﷴ💖ﷺﷴ💛ﷺﷴ💚ﷺﷴ❤ﷺﷴ🤎ﷺﷴ💝ﷺﷴ💜ﷺﷴ💕ﷺﷴ💚ﷺﷴ💙ﷺﷴ💛ﷺﷴ💜ﷺﷴ❤ﷺﷴ💜ﷺﷴ💛ﷺﷴ💚ﷺﷴ💕ﷺﷴ🧡ﷺﷴ🤎ﷺﷺﷴ💛ﷺﷴ💕🤎ﷺﷴ💜ﷺﷴ💚ﷺﷴ💙ﷺﷴ❤
Masa Allah subhan Allha bohut khoob hajrat
Ya mere makhdoom Shah Baba ya mere Khwaja Garib Nawaz Baba Alhamdulillah
Khudaa ek hai bas allah Hu Akbar 🇸🇦🇸🇦🕋🕋🇸🇦🕌🕌
Maslke ala hazrat Salamat rahe ❤❤❤❤❤🤲🤲🤲🤲🤲🤲
माशा अल्लाह क्या तफ्सील से आपने बताया है जीते रहो
Subhanallah subhanallah maslake aala hazrat zinda baad❤️❤️❤️❤️💯
Mazaar par jaana shirk nahi
mujhe bhi ma'lum hai
allah ke siva kisi aur se madad mangna shirk hai
Sahi kaha apne
Koi bhi kabar pucca ka nhi hona chahiye
Masaallah
munafiqowali baate na kare jab kuch pata naa hoto
@@leofirexpg3865 Haqeeqat hai bhai
Khaza sahab sahinsah Ali hind bharat k Raja hai 🌄✨🌠✨🌠✨🌠✨🌟✨
Allah ne Qur'an me khud irshad farmaya ki ae Iman wale apne nabi par khub khub daroodo Salam bhejo
Allah haq hai wallah🌷🌷🌷🌷❤️❤️❤️❤️
Subhan Allah Allah hame har wali Allah ke mazar par Jana nasib kare
Maazaar par jaana shirk hai
Number de bea
Allah walo ki shaan😮
ALE Rasool hai
Pahchan lo jaan lo inhe apna bana lo aur inka ban jao
Dono janha sawar jaegi
Haq kahte hai
Haq sunte hai
Haq par ye khud hai
Haq bole mere bhai
Kya haq he
Mazhar pr jana shirk h...sajda krna...mangana...sb shirk h...
Sayyad aminul qadri sahab zindabad
Allah tala ka Banda Mustafa sallallahu Salam hai
Assalam Allekum Rahematulahe Wa barkatahu subhan Allah for the latest information and motivating Videos
Labaik ya rasulalaa 🇸🇦🇸🇦🇸🇦🇸🇦🇸🇦
मजार पे जाना शिरक नहीं बल्कि मजार पे सजदा करना शीरक है
Kuch log kar thi hai na murid ko bhi kar thi hai bhai in ko samja oo
Mazar pe sajda n karte h bhai ye samajh ka farq h jab tak subhan rabbi Al aala n kahte Tb tk sajda N h
Hm to unke aage apna sir jhukaate h wo hamare wali h allah ke kareeb h
Unka martaba Allah huakbar
ऐसी तकरीरों से मजारो पर फूल गंडो बिक्री में इजाफा होता है।।।
Aapka bayan mere haath k ronthe khade ho jaate hi
Kyu
Omfo le bhaiye inke rongte kis baat pr khade ho gaye inhone kaun sa quraan aur hadith se koi baat bata di to inke rongte ghade ho gaye mere ko gussa aaya allah inko hidayat de
Is jhoothe mushrik ke bayan ko sunke apni akhirat barbad kar
@@mahonawalebhaiya9854 right bro
Me debandin hun par ap ka takrir achha lagta hai
Alahazrat ke Deewane ya Hussain likhe
Ya Hussain❤
Ya Hussain❤
Ya Hussain❤
Ya Hussain
yaa Hussein
Ya Husain
Bevakuf padh likkar zahil hogaye ho tum in harami molvi k chakkar m Allah aur uske nabi k alawa koi nahi jo dunya m hai hi nahi o tum ko kya denga shirk se mhefuj ho dosto ager ye Allah k pyare hote na ajmer m khwaja moinoddin bom blast rukwa dete samje ye sab ghosle baji hai ap log gaflat m ho toba karo Allah se
Allah hidayat de is aminul gathri ko
❤️Allah Hu Akbar ❤️
MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah❤❤❤❤❤❤ MashaAllah❤❤ MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah MashaAllah❤❤❤❤❤
Masha Allah 🌹 🌹 🌹 🌹 🌹
Nice 💕 💕 💕
Maslke ala hajart jinda bad❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Subhan Allah kya baat hain bahot khub Beshaq Haq Hain
Beshak allah dil ka haal behtar Janta hai
Ahle sunnat Zindabad😍😍
Mustafa jaane rahmat pr lakho salam
سبحان الله سبحان الله
Mashallah
Maslake ala hazrat jindabad ❤️
Khawaja gareeb Nawaz jindabad ❤️
Masha Allah Subhan Allah Hazrath
Allah ke Siva Koi mahbub Nahin
Mashaallah subhan aalaa ❤️❤️🥰❤️🥰❤️❤️❤️🥰❤️🥰❤️🥰❤️🥰🥰❤️🥰🥰❤️🥰❤️🥰❤️🥰🥰❤️❤️❤️🥰❤️❤️❤️🥰❤️❤️❤️🥰❤️❤️❤️🥰❤️❤️❤️🥰❤️❤️
Mazar per jana shirk hai...Allah ke nabi se badh kar koi nahi ...
Shubhanallah... mashallha..ham wailAllha paier chuomte dost. ..
jbse maine apki takrir suni tbse lekar aj tk mera iman agaya
Subhah Allah 💖💖💖💖💖💖