अरे यादव जी को सैयां बना लीजिए | रतिराम ज्ञानी | कल्पना दुबे | जवाबी कीर्तन | टिकरा बाजार | भाग- 6

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  • Опубликовано: 13 дек 2024

Комментарии • 1

  • @bhanvarsingh3086
    @bhanvarsingh3086 3 дня назад +4

    बढ़िया सवाल-जवाब! कल्पना जी ने लक्ष्मण जी को वैराग्य का स्वरूप बताया है | तुलसी बाबा ने भी लिखा -
    गोदावरी निकट प्रभु, राजत परन कुटीर |
    ग्यान भगति वैराग्य जनु, सोहत धरे सरीर ||