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शब्दकार प्रमोद तिवारी जी
Добавлен 30 янв 2021
शब्दकार प्रमोद तिवारी जी हिन्दी साहित्याकाश में दैदीप्यमान सूर्य के समान अवतरित हुए एवं अपने स्तरीय साहित्य सृजन से जनमानस में अद्वितीय लोकप्रियता प्राप्त की। ३१ जनवरी १९६० को कानपुर नगर में जन्मे श्रद्धेय प्रमोद तिवारी जी के जीवन का अधिकांश पत्रकारिता करते हुए व्यतीत हुआ। एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र में सम्पादक के रूप में अपनी सेवाएँ प्रदान करते हुए स्वतन्त्र प्रकृति के प्रमोद जी ने कालान्तर में वहाँ से त्यागपत्र देकर 'हेलो कानपुर' के नाम से लोकप्रिय समाचार पत्र निकाला, जिस ने जनपत्रकारिता के नवीन आयाम स्थापित किये। अन्ना-आन्दोलन में सक्रिय सहभाग करते हुए उन्होंने इस समाचार पत्र को विराम दे दिया। तत्पश्चात् वे काव्यसृजन एवं कविसम्मेलनों में सक्रिय हो गये। उनका विद्रोही तेवर उनकी लोकप्रियता का मूल कारण बना। अभिजात्य वर्ग से लेकर समाज के अन्तिम व्यक्ति ने भी उनकी कविताएँ मन्त्रमुग्ध होकर सुनी... गुनगुनायी। उन की सम्मोहक कविताएँ आज भी भारत के विभिन्न कोनों में डूबकर गाने वाले लोग आप को गाहे बगाहे मिल ही जायेंगे।
शब्दकार प्रमोद तिवारी जी के जन्मदिवस पर उन की बहुप्रसिद्ध कविता | रूप आ गया गहने सभी उतार के |
शब्दकार प्रमोद तिवारी जी हिन्दी साहित्याकाश में दैदीप्यमान सूर्य के समान अवतरित हुए एवं अपने स्तरीय साहित्य सृजन से जनमानस में अद्वितीय लोकप्रियता प्राप्त की। ३१ जनवरी १९६० को कानपुर नगर में जन्मे श्रद्धेय प्रमोद तिवारी जी के जीवन का अधिकांश पत्रकारिता करते हुए व्यतीत हुआ। एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र में सम्पादक के रूप में अपनी सेवाएँ प्रदान करते हुए स्वतन्त्र प्रकृति के प्रमोद जी ने कालान्तर में वहाँ से त्यागपत्र देकर 'हेलो कानपुर' के नाम से लोकप्रिय समाचार पत्र निकाला, जिस ने जनपत्रकारिता के नवीन आयाम स्थापित किये। अन्ना-आन्दोलन में सक्रिय सहभाग करते हुए उन्होंने इस समाचार पत्र को विराम दे दिया। तत्पश्चात् वे काव्यसृजन एवं कविसम्मेलनों में सक्रिय हो गये। उनका विद्रोही तेवर उनकी ...
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शब्दकार प्रमोद तिवारी जी | वह बिल्ली अब भी मेरे बाज़ू है... उसके बाज़ू में मेरा राजू है...|
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शब्दकार प्रमोद तिवारी जी हिन्दी साहित्याकाश में दैदीप्यमान सूर्य के समान अवतरित हुए एवं अपने स्तरीय साहित्य सृजन से जनमानस में अद्वितीय लोकप्रियता प्राप्त की। ३१ जनवरी १९६० को कानपुर नगर में जन्मे श्रद्धेय प्रमोद तिवारी जी के जीवन का अधिकांश पत्रकारिता करते हुए व्यतीत हुआ। एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र में सम्पादक के रूप में अपनी सेवाएँ प्रदान करते हुए स्वतन्त्र प्रकृति के प्रमोद जी ने कालान्तर में...
शब्दकार प्रमोद तिवारी जी | गणित में मैं नहीं रहता हूँ...| कवि सम्मेलन |
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शब्दकार प्रमोद तिवारी जी हिन्दी साहित्याकाश में दैदीप्यमान सूर्य के समान अवतरित हुए एवं अपने स्तरीय साहित्य सृजन से जनमानस में अद्वितीय लोकप्रियता प्राप्त की। ३१ जनवरी १९६० को कानपुर नगर में जन्मे श्रद्धेय प्रमोद तिवारी जी के जीवन का अधिकांश पत्रकारिता करते हुए व्यतीत हुआ। एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र में सम्पादक के रूप में अपनी सेवाएँ प्रदान करते हुए स्वतन्त्र प्रकृति के प्रमोद जी ने कालान्तर में...
आग जो नहीं है तो फिर आग क्यों लगाते हो | शब्दकार प्रमोद तिवारी जी की विजयदशमी पर विशेष कविताएँ |
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शब्दकार प्रमोद तिवारी जी अपने विशेष तेवर के लिए जाने जाते हैं। उनकी कविताओं में भीतर ही भीतर एक बड़ा ज्वालामुखी छुपा होता है, जो आप के विचार महल को दहकाने की शक्ति रखता है। आईए सुनते हैं उनकी ऐसी ही कुछ कविताओं को।
श्री सन्देश प्रमोद तिवारी | शब्दकार प्रमोद तिवारी जी की समृद्ध काव्य परम्परा के उत्तराधिकारी |
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शब्दकार प्रमोद तिवारी जी हिन्दी साहित्यकाश के ऐसे दिव्य नक्षत्र हैं जिन्हें हर खेमे के व्यक्ति ने झूमकर सुना... अपना माना... उन का कनपुरिया तेवर उनकी कविताओं एवं जीवन में स्पष्ट दृष्टिगोचर है। सबसे बड़ी बात उन्होंने जो जिया वह लिखा। अत्यन्त हर्ष का विषय है कि उनके सुपुत्र सन्देश तिवारी जी ने उन के द्वारा रचे गये विपुल साहित्य को संरक्षित करने एवं विरासत में प्राप्त हुई समृद्ध काव्य परम्परा को आग...
शब्दकार प्रमोद तिवारी जी | दस पैसे में दो चूरन की पुड़ियों वाले दिन...|
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शब्दकार प्रमोद तिवारी जी हिन्दी साहित्याकाश में दैदीप्यमान सूर्य के समान अवतरित हुए एवं अपने स्तरीय साहित्य सृजन से जनमानस में अद्वितीय लोकप्रियता प्राप्त की। ३१ जनवरी १९६० को कानपुर नगर में जन्मे श्रद्धेय प्रमोद तिवारी जी के जीवन का अधिकांश पत्रकारिता करते हुए व्यतीत हुआ। एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र में सम्पादक के रूप में अपनी सेवाएँ प्रदान करते हुए स्वतन्त्र प्रकृति के प्रमोद जी ने कालान्तर में...
शब्दकार प्रमोद तिवारी जी | सपेरा बीन बजायेगा... नाग फिर फन फैलायेगा...| दुर्लभ वीडियो |
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श्रद्धेय प्रमोद तिवारी जी का जीवन अधिकतर पत्रकारिता करते हुए व्यतीत हुआ। सम्पादकीय लेखन में व्यंग्य उनकी मुख्य शैली रही। इस कविता में भी उन्होंने भारतीय राजनीतिक विद्रूपता पर तीक्ष्ण कटाक्ष किया है। यह उनका दुर्लभ वीडियो है। शब्दकार प्रमोद तिवारी जी हिन्दी साहित्याकाश में दैदीप्यमान सूर्य के समान अवतरित हुए एवं अपने स्तरीय साहित्य सृजन से जनमानस में अद्वितीय लोकप्रियता प्राप्त की। ३१ जनवरी १९६०...
शब्दकार प्रमोद तिवारी जी | जो कहना है कहूंगा भी... जो सुनना है सुनूंगा भी...|
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यह कार्यक्रम भोपाल का है। इस में श्रद्धेय प्रमोद तिवारी जी अपने तेवर की जो कविता सुना रहे हैं उस में उन का साहसी लेखकीय व्यक्तित्व उद्भासित होता है। आनन्द लीजिए। शब्दकार प्रमोद तिवारी जी हिन्दी साहित्याकाश में दैदीप्यमान सूर्य के समान अवतरित हुए एवं अपने स्तरीय साहित्य सृजन से जनमानस में अद्वितीय लोकप्रियता प्राप्त की। ३१ जनवरी १९६० को कानपुर नगर में जन्मे श्रद्धेय प्रमोद तिवारी जी के जीवन का अ...
शब्दकार प्रमोद तिवारी जी | मैं उड़ते बादल का एक टुकड़ा...| दुर्लभ वीडियो |
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यह शब्दकार प्रमोद तिवारी जी का दुर्लभ वीडियो है। अवश्य सुनिए.... अच्छा लगे तो मित्रों के साथ भी साझा कीजिए। शब्दकार प्रमोद तिवारी जी हिन्दी साहित्याकाश में दैदीप्यमान सूर्य के समान अवतरित हुए एवं अपने स्तरीय साहित्य सृजन से जनमानस में अद्वितीय लोकप्रियता प्राप्त की। ३१ जनवरी १९६० को कानपुर नगर में जन्मे श्रद्धेय प्रमोद तिवारी जी के जीवन का अधिकांश पत्रकारिता करते हुए व्यतीत हुआ। एक प्रतिष्ठित स...
शब्दकार प्रमोद तिवारी जी | तुम जो भी सुनाओगे सज़ा... मान जायेंगे |
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यह शब्दकार प्रमोद तिवारी जी के दुर्लभ वीडियो में से एक है। शब्दकार प्रमोद तिवारी जी हिन्दी साहित्याकाश में दैदीप्यमान सूर्य के समान अवतरित हुए एवं अपने स्तरीय साहित्य सृजन से जनमानस में अद्वितीय लोकप्रियता प्राप्त की। ३१ जनवरी १९६० को कानपुर नगर में जन्मे श्रद्धेय प्रमोद तिवारी जी के जीवन का अधिकांश पत्रकारिता करते हुए व्यतीत हुआ। एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र में सम्पादक के रूप में अपनी सेवाएँ प्र...
शब्दकार प्रमोद तिवारी जी | मुश्क़िलों से जब मिलो... आसान होकर ही मिलो...| दुर्लभ वीडियो |
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यह शब्दकार प्रमोद तिवारी जी का बहुत ही दुर्लभ वीडियो है। उन की इस कविता के कई अंश बहुत प्रसिद्ध हुए हैं। शब्दकार प्रमोद तिवारी जी हिन्दी साहित्याकाश में दैदीप्यमान सूर्य के समान अवतरित हुए एवं अपने स्तरीय साहित्य सृजन से जनमानस में अद्वितीय लोकप्रियता प्राप्त की। ३१ जनवरी १९६० को कानपुर नगर में जन्मे श्रद्धेय प्रमोद तिवारी जी के जीवन का अधिकांश पत्रकारिता करते हुए व्यतीत हुआ। एक प्रतिष्ठित समाच...
शब्दकार प्रमोद तिवारी जी | आँखों की दहलीज़ पे आ के सपना बोला आँसू से...|
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शब्दकार प्रमोद तिवारी जी | आओ तुम को इक गीत सुनाते हैं |
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शब्दकार प्रमोद तिवारी जी | ले गयीं आँसू का झंझट एक दिन शहनाईयाँ | कवि सम्मेलन |
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शब्दकार प्रमोद तिवारी जी | उम्र गुज़रती है इक ख़्वाब सजाने में...|
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Kavi Pramod Tiwari Ji in Laalqila Kavi Sammelan | बहुत हो चुका अब सम्हलना पड़ेगा |
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गीतकार प्रमोद तिवारी जी | पहला-पहला प्यार... | Geetkar Pramod Tiwari Ji |
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कवि प्रमोद तिवारी जी | याद बहुत आते हैं गुड्डे गुड़ियों वाले दिन | Kavi Pramod Tiwari Ji |
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कवि प्रमोद तिवारी जी | नदिया धीरे-धीरे बहना...| Kavi Pramod Tiwari Ji |
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very ❤ good Sir ko Naman
App se one time hi Mila tha sir Shahjahanpur Uttar Pradesh 2015 But app ko or app ki kavitaye kabhi nhi bhul sakta hu😢😢
The best poem of shringar ras❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
प्यारे बच्चे बहुत सुंदर बधाई अशेष शुभकामनाएं
Wah beta ab kuksh nahi kahna tum mujhe khojana mal kaun hoon
Bahoot aksha bola andaj Masha allah kya kahna bilkul Mera bara Bhai pramod
शानदार तिवारी जी पहली बार किसी तिवारी को सांप्रदायिक सौहार्द पर बोलते हुए देखा है ❤
Agar bihar mein ho to yadave hain up mein patellon ko jhelna padega😮
Samajh mein nahi aata hai apki Geet sunoo ya hasya Kavi ka chutkule
Aise kavita sirf aap jaisa insaan he likh soch sakta hai sir😢😢😢😢😢 aap ki atma ko santi mile tiwari ji
Kya bat h❤❤
Sanjay singh Kumar Vishwas
आँखों की दहलीज़ पे आके सपना बोला आंसू से...................
❤❤❤❤
आपने प्रमोद तिवारी जी को अमर कर दिया सन्देश
बहुत सुंदर... आवाज हू व हू है मगर लय मे थोड़ी मेहनत की आवश्यकता है, पिता की समृद्ध परंपरा को बहुत आगे तक ले जाएं, यही शुभकामनाएं हैं...
Very good
अद्भुत।
बहुत अच्छा
Very good kaviraj 😊😊😊😊😊😊😊
Jay Hind
साहित्य जगत को आपकी कमी सदैव खलेगी 😞😞
लगभग 30 साल पुरानी एक महफिल जो कि कैनाल रोड पर थी मैने पहली बार सुना और प्रदीप दीक्षित, अवशेष शुक्ला ,राजेन्द्र तिवारी भी थे
पूरा गीत क्यों नहीं दिया । तभी तो यह सिर्फ तीसरा कॉमेंट है ।
शायद इस सर्वोत्कृष्ट गज़ल गीत के समकक्ष प्रतिक्रिया दे पाना हिमालय आरोहण से कम नहीं , इसीलिए सालभर पहले अपलोड की गई इस अद्भुत काव्य पाठ पर यह सप्तमा टिप्पणी / सेवेंथ कॉमेंट है । अमर गीतकार के ये जानदार और शानदार गीत सदियों तक ताजा रहेंगे.
very nice,
GR8, AAP BAHUT MAHAAN KAVI HAI...AAPKE EK EK SHABD KE KITNE SATIK & GAHAN MATLAB HAI
👍👍 बहुत सुंदर
Lgta hi nhi sir...ki aap nhi h...... really love u sir .......missing you sir😔😔😔
साहित्य आपका सदैव ऋणि रहेगा🙏🙏
Missing lot of sir😭😭😭
, बहुत सुंदर 👍👍
👍👍
बहुत शानदार 🙏🙏🙏
आप को बार-बार 👍👍
बहुत शानदार रचना
क्यों चले गए आप 😭😭😭😭😭
बहुत सुन्दर कविता और सुन्दर अंदाज है.
😭😭😭😭mis yo
बहुत ही सुंदर.
बहुत खूब अद्भुत गीत
आप के साथ साथ आपके पूज्य पिताजी को सादर नमन🙏🙏🙏
बहुत बेहतरीन कहा भाई जाता है लेकिन अभी अनुभव की थोड़ी कमी है फिर भी आराम से आप महान कवि बनेंगे । थोड़ा रुक रुक कर आराम से खींच कर ली मिलाने की आवश्यकता है बस
Aur agana bhi gana hai
Sir aap ko mere sadhi me ana hai
अक्षरशः....... आवाज और अंदाज भी शब्द शब्द पिता का संपूर्ण प्रतिबिंब
कालजयी रचना
बहुत याद आते रहोगे प्रमोद भैया 🙏💐🙏
Adbhut geet ki rachna aur prastuti ke liye hardik dhanyawad Pramod ji 🙏
अद्भुत
क्या गहराई है दादा के गीत में।