Saroj Devi
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राजा दशरथ फुले न समाय लगन आये हरे हरे सगुन आये मेरे अंगना
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राजा दशरथ फुले न समाय लगन आये हरे हरे सगुन आये मेरे अंगना
स्वरचित कविता राम की महिमा 🙏🙏
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स्वरचित कविता राम की महिमा 🙏🙏
छठ पूजा गीत कार्तिक मास ब्रत एक लागल
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छठ पूजा गीत कार्तिक मास ब्रत एक लागल
ढूनमून ढूनमून ढूनमून बाबू खेले अंगनवा ढूनमून
Просмотров 4522 месяца назад
ढूनमून ढूनमून ढूनमून बाबू खेले अंगनवा ढूनमून
निमिया के डाढ मइया लगले हिडोलवा की झूली झूली देवी म़इया गावली गीत
Просмотров 862 месяца назад
निमिया के डाढ मइया लगले हिडोलवा की झूली झूली देवी म़इया गावली गीत
श्याम चन्दा है श्यामा चकोरी बड़ी सुन्दर है दोनो की जोड़ी
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श्याम चन्दा है श्यामा चकोरी बड़ी सुन्दर है दोनो की जोड़ी
शेरो पे होके सवार सवार महारानी
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शेरो पे होके सवार सवार महारानी
अम्बे कहा जाए जगदम्बे कहा जाए बोल महारानी तूझे क्या कहा जाए
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अम्बे कहा जाए जगदम्बे कहा जाए बोल महारानी तूझे क्या कहा जाए
भक्तों को दर्शन दे गयी रे एक छोटी सी कन्या
Просмотров 232 месяца назад
भक्तों को दर्शन दे गयी रे एक छोटी सी कन्या
आदमी की तरह आदमी में अगर आदमियत न आये तो वो क्या करे
Просмотров 1752 месяца назад
आदमी की तरह आदमी में अगर आदमियत न आये तो वो क्या करे
तुमने मुझे दाता सब कुछ दिया है तेरा शुक्रिया है
Просмотров 192 месяца назад
तुमने मुझे दाता सब कुछ दिया है तेरा शुक्रिया है
श्री जितेन्द्र नाथ मिश्र जी द्वारा स्वरचित कविता (दरख्त)
Просмотров 362 месяца назад
श्री जितेन्द्र नाथ मिश्र जी द्वारा स्वरचित कविता (दरख्त)
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले
Просмотров 362 месяца назад
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले
लोकगीत बारहमासा
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लोकगीत बारहमासा
श्री जितेन्द्र नाथ मिश्र जी द्वारा स्वरचित कविता जिसका शीर्षक है आग
Просмотров 192 месяца назад
श्री जितेन्द्र नाथ मिश्र जी द्वारा स्वरचित कविता जिसका शीर्षक है आग
श्री जितेन्द्र नाथ मिश्र जी की स्वरचित कविता (मैं गुड़िया हूँ )
Просмотров 133 месяца назад
श्री जितेन्द्र नाथ मिश्र जी की स्वरचित कविता (मैं गुड़िया हूँ )
श्री जितेन्द्र नाथ मिश्र जी द्वारा स्वरचित कविता हे मुरलीधर सुदर्शन उठाओ
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श्री जितेन्द्र नाथ मिश्र जी द्वारा स्वरचित कविता हे मुरलीधर सुदर्शन उठाओ
एक दिन वो भोले भंडारी बन कर के ब्रज नारी ब्रज में आ गये
Просмотров 213 месяца назад
एक दिन वो भोले भंडारी बन कर के ब्रज नारी ब्रज में आ गये
मैं नारायण घर ले आइ अब मुझे किसी की कमी नहीं
Просмотров 1323 месяца назад
मैं नारायण घर ले आइ अब मुझे किसी की कमी नहीं
ये बुराई है मनुष्य में मैं बड़ा हूँ मैं बड़ा निचे गिरता फिर भी कहता मैं बड़ा हूँ मैं बड़ा
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ये बुराई है मनुष्य में मैं बड़ा हूँ मैं बड़ा निचे गिरता फिर भी कहता मैं बड़ा हूँ मैं बड़ा
जो रस बरस रही बरसाने वो रस बैकुण्ठ में नाहीं
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जो रस बरस रही बरसाने वो रस बैकुण्ठ में नाहीं
जहाँ ले चलोगे वहीं पे चलूँगी जहाँ नाथ रख दोगे वहीं पे रहूँगा
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जहाँ ले चलोगे वहीं पे चलूँगी जहाँ नाथ र दोगे वहीं पे रहूँगा
स्वरचित कविता स्पंदन
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स्वरचित कविता स्पंदन
श्रीकृष्ण भजन मोल लाइ है मथुरा से मुझको तूने खुद मुझको जाया नही है
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श्रीकृष्ण भजन मोल लाइ है मथुरा से मुझको तूने खुद मुझको जाया नही है
राम नाम का माला एक तैयार कर मलिनीया
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राम नाम का माला एक तैयार कर मलिनीया
नख पे गिरवर लियो धार कन्या मेरो वारो
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न पे गिरवर लियो धार कन्या मेरो वारो
जय कन्हैयालाल की नन्द के आनंद भयो जय कन्हैयालाल की
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जय कन्हैयालाल की नन्द के आनंद भयो जय कन्हैयालाल की
लल्ला के सुन के मैं आइ जसोदा मइया देदो बधाई
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लल्ला के सुन के मैं आइ जसोदा मइया देदो बधाई
जुग जुग जियो री जसोदा मइया तेरो ललना
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जुग जुग जियो री जसोदा मइया तेरो ललना

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