Jain Pathshala ke Sangh
Jain Pathshala ke Sangh
  • Видео 219
  • Просмотров 1 144 269
अष्ट प्रकारी पूजा करते वक्त क्या भावना भाऐ ।
Hello friends welcome to Jain pathshala तीर्थंकर भगवान की पूजा या आराधना विभिन्न प्रकार की सामग्री अर्पित करके, विभिन्न सूत्रों का उच्चारण करके तथा आध्यात्मिक चिंतन के साथ की जाती है। पूजा में हमें तीर्थंकरों को बदले में कुछ पाने की इच्छा से सामग्री अर्पित नहीं करनी चाहिए, बल्कि इसका एकमात्र उद्देश्य हमारी आंतरिक भक्ति विचार प्रक्रिया को मजबूत करना होना चाहिए। इस वीडियो में हम अष्ट प्रकार की पूजा करके क्या भावना भाऐ इसके बारे में दिया गया है ।
Disclaimer -
video is for educational purpose only.Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for "fair use" for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair us...
Просмотров: 84

Видео

भक्तामर का तीसरा श्लोक, रिद्धि मंत्र, सिद्धि मंत्र
Просмотров 31121 день назад
Hello friends welcome to Jain pathshala भक्तामर का तीसराश्लोक दुश्मनों की नजरो से बचाव ,ब्लैक मैजिक से बचाव, बुरी नजर से बचाव,उधार दिया हुआ, रुका हुआ पैसा रिटर्न आएगा, money related problems solve होंगे । श्लोक का 9 बार रिद्धि मंत्र सिद्धि मंत्र साधना करें जो इस वीडियो में दिया गया है । Disclaimer - video is for educational purpose only.Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Ac...
भक्तामर का दूसरा श्लोक रिद्धि मंत्र सिद्धि मंत्र
Просмотров 705Месяц назад
Hello friends welcome to Jain pathshala इस वीडियो में हम भक्तामर का दूसरा श्लोक रिद्धि मंत्र सिद्धि मंत्र की साधना करेंगे इसके लाभ = सिरदर्द से मुक्ती, माइग्रेन से मुक्ती, शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, भावनात्मक हर तरह से विघ्न से मुक्ती। Disclaimer - video is for educational purpose only.Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for "fair use" for purposes ...
जैन मंदिर में प प्रदिक्षणा लगाने का रहस्य
Просмотров 2,5 тыс.Месяц назад
Hello friends welcome to Jain pathshala Pradakshina प्रदक्षिणा का अर्थ है भगवान के चारों ओर गोलाकार आकृति में घूमना। ये एक संस्कृत शब्द है तथा इसका उपयोग शास्त्रों में वर्णित है। प्रदक्षिणा करने का अर्थ होता है कि हम अपना सर्वस्व ईश्वर पर न्योछावर करके उनकी शरण में आ गए है। Pradakshina: प्रदक्षिणा का अर्थ है भगवान के चारों ओर गोलाकार आकृति में घूमना। किस वीडियो में हम डिटेल से इसका रहस्य जानेंग...
हर रोज की दिनचर्या में हम आठों कर्म कैसे बांधते है
Просмотров 1,6 тыс.Месяц назад
Hello friends welcome to Jain pathshala इस वीडियो में हम कविता के माध्यम से आठो कर्म कैसे बांधते हैं हम सरल तरीके से समझेंगे । Disclaimer - video is for educational purpose only.Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for "fair use" for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitte...
तीर्थंकर की माता के दूसरे और तीसरे स्वप्न का महत्व
Просмотров 2002 месяца назад
Hello friends welcome to Jain pathshala हम सभी को सपने आते हैं और कभी-कभी जब हम जागते हैं तो हम जानना चाहते हैं कि उन सपनों का क्या मतलब था। तीर्थंकर की माता गर्भावस्था में 14 स्वप्न देखते थे। इन सभी स्वप्नों का संकेत यह था कि जन्म लेने वाला बालक बहुत बलवान, साहसी और गुणों से परिपूर्ण होगा। वह बहुत धार्मिक होगा और एक महान राजा या आध्यात्मिक नेता बनेगा। वह धार्मिक व्यवस्था को सुधारेगा और उसे पुन...
भक्तामर का नवा श्लोक की रिद्धि मंत्र, सिद्धि मंत्र साधना
Просмотров 5652 месяца назад
Hello friends welcome to Jain pathshalaमंत्र शक्ति में आस्था रखने वालो के लिए यह एक दिव्य स्तोत्र है। इसका नियमित पाठ करने से मन में शांति का अनुभव होता है व सु समृद्धि व वैभव की प्राप्ति होती है। यह माना जाता है कि इस स्तोत्र में भक्ति भाव की इतनी सर्वोच्चता है कि यदि आपने सच्चे मन से इसका पाठ किया तो आपको साक्षात ईश्वर की अनुभति होती है। इस वीडियो में हम नवा श्लोक की साधना की गई है ।जो गर्भस्...
नवकार मंत्र का अर्थ
Просмотров 8363 месяца назад
Hello friends welcome to Jain pathshala जैन अनुयायी एक मंत्र का हमेशा जाप करते पाए जाते हैं, वो मंत्र है- णमोकार मन्त्र. इस मंत्र को 'नवकार मंत्र', 'नमस्कार मंत्र' या 'पंच परमेष्ठि नमस्कार' भी कहा जाता है. सर्व प्रथम इसका लिपिबद्ध उल्ले षटखंडागम ग्रंथ में मंगलाचरण के रूप में मिलता है. इस वीडियो में हम नवकार मंत्र का अर्थ समझेंगे ।pls do like share and comment my channel. Disclaimer - video is f...
भक्तामर का 17 वा श्लोक रिद्धि एवं सिद्धी मंत्र
Просмотров 1,7 тыс.3 месяца назад
Hello friends welcome to Jain pathshala भक्तामर 17 श्नलोक इस श्लोक का श्रद्धा और विश्वास के साथ जाप करने से मधुमेह, किडनी फेलियर, डायलिसिस रोकने, रक्तचाप संतुलित करने, पथरी को गलाने और मणिपुर, स्वाधिष्ठान और मूलाधार चक्र को संतुलित करने में चमत्कारी प्रभाव पड़ता है। pls do like share and comment my channel. Disclaimer - video is for educational purpose only.Copyright Disclaimer Under Section 10...
पुण्य तत्व क्या है एवं उसके प्रकार
Просмотров 1,2 тыс.3 месяца назад
Hello friends welcome to Jain pathshala पुण्य को 'सुशील' और पाप को 'कुशील' कहा है।' पुण्य आत्मा के लिए संसार-समुद्र तिरने में जहाज के समान उपयोगी है। जैसे समुद्र का तट आने पर जहाज यात्रियों को किनारे उतार देता है, वैसे ही पुण्य भी मोक्ष प्राप्ति के मार्ग में सहायक हो अंत में जब उसकी उपयोगिता नहीं रहती वह स्वतः आत्मा से अलग हो जाता है। पुण्य आत्मा का अंगरक्षक सेवक है जो मोक्ष प्राप्ति से पूर्व त...
अंतराय कर्म क्या है ? एवं कर्म बंधन के निवारण के उपाय
Просмотров 56 тыс.4 месяца назад
Hello friends welcome to Jain pathshala किसी कार्य में विघ्न आ जाए जिससे वह कार्य पूर्ण न हो सके उसे अंतराय कर्म कहते हैं अथवा जिस कर्म के उदय से जीव के दान, लाभ भोग-उपभोग एवं वीर्यादि गुणों का नाश हो जाता है उसे अंतराय कर्म कहते हैं। इस वीडियो में हम डिटेल से समझेंगे अंतरी कर्म बंधन के कारण एवं उनके निवारण। please do like ,share and comment my channel. Disclaimer - video is for educational pur...
वज्र पंजर स्तोत्र (आत्म रक्षा कवच )
Просмотров 1,2 тыс.4 месяца назад
Hello friends welcome to Jain pathshala .यह स्तोत्र बागवान कुंडलुंड देव, जैन धर्म में सबसे अधिक सम्मानित दिगंबर संत द्वारा लिखा गया था। आत्म रक्षा स्तोत्र को वज्रपंजर स्तोत्र के रूप में जाना जाता है, यह बहुत प्राचीन पंच -परमेष्ठी स्तोत्र है। इस शक्तिशाली स्तोत्र को विशेष रूप से अलग mudraas के साथ सभी Mahapujans और विधि Vidhaan की शुरुआत में बोले जाता है । हर रोज आप भी यह स्तोत्र बोलकर अपने आभाम...
गोत्र कर्म क्या है ?
Просмотров 6385 месяцев назад
Hello friends welcome to Jain pathshala गोत्र कर्म आत्मा की स्थिति निर्धारित करता है। गोत्र कर्म किसी व्यक्ति के जन्म के आधार पर उसके पद को निर्धारित करता है। इस वीडियो में हम देखेंगे गोत्र कर्म क्या है । please do like share and comment my channel. Disclaimer - video is for educational purpose only.Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for "fair us...
जैन धर्म में 18 पाप कौन कौन से हैं ?
Просмотров 3,1 тыс.5 месяцев назад
Hello friends welcome to Jain pathshala जो आत्मा को मलिन करें तथा जो बांधते सुखकारी, भोगते दुखकारी, अशुभ योग से बंधे, सु पूर्वक बांधा जाए, दु पूर्वक भोगा जाए। पाप अशुभ प्रकृति रूप है, जिसका फल कड़वा, और जो प्राणी को मैला करें उसे पाप कहते हैं"। - जैन धर्मानुसार पाप 18 प्रकार से बांधा जाता है और 82 प्रकार से भोगा जाता है। - भगवती सूत्र प्रथम शतक के नवें उद्देश्य में भगवान ने फरमाया है कि "इन 18 ...
बड़ी तपस्या के बाद पारना कैसे करें ?जैसे सिद्धि तप मस्कमान , उपवास ,उपध्यान आदि।
Просмотров 5355 месяцев назад
Hello friends welcome to Jain pathshala . हमारे समाज में हम बहुत तपस्या करते हैं लेकिन परना करते वक्त हम लापरवाही कर लेते हैं ।बड़ी बड़ी तपस्या में भी हम पारने के वक्त ध्यान रखना चाहिए। इस वीडियो में मैं बता रही हूं कि पारने के बाद हमें क्या क्या चीज खानी चाहिए । please do like share and comment my channel. Disclaimer - video is for educational purpose only.Copyright Disclaimer Under Section 10...
नाम कर्म क्या है ?
Просмотров 8446 месяцев назад
नाम कर्म क्या है ?
सर्व पापों का मिच्छामि दुक्कडम करके भविष्य में ऐसा पाप ना हो उसके लिए भगवान से प्रार्थना करें
Просмотров 1,6 тыс.6 месяцев назад
सर्व पापों का मिच्छामि दुक्कडम करके भविष्य में ऐसा पाप ना हो उसके लिए भगवान से प्रार्थना करें
प्रचुरता एवं समृद्धि के लिए 9 चक्रा का ध्यान
Просмотров 4617 месяцев назад
प्रचुरता एवं समृद्धि के लिए 9 चक्रा का ध्यान
वेदनीय कर्म बंधन के कारण एवं उपाय
Просмотров 16 тыс.7 месяцев назад
वेदनीय कर्म बंधन के कारण एवं उपाय
दर्शनावरणीय कर्म बंधन के कारण एवं निवारण के उपाय
Просмотров 1,5 тыс.7 месяцев назад
दर्शनावरणीय कर्म बंधन के कारण एवं निवारण के उपाय
ज्ञानावरणीय कर्म के बंधन कारण एवं उनके निवारण के उपाय
Просмотров 1,4 тыс.8 месяцев назад
ज्ञानावरणीय कर्म के बंधन कारण एवं उनके निवारण के उपाय
मोहनीय कर्म बंधन के कारण एवं उनके उपाय
Просмотров 3,1 тыс.8 месяцев назад
मोहनीय कर्म बंधन के कारण एवं उनके उपाय
धान ऊगाणा एवं पकाना आदि किस तीर्थंकर ने सिखाया
Просмотров 2809 месяцев назад
धान ऊगाणा एवं पकाना आदि किस तीर्थंकर ने सिखाया
रात को हमें बुरे सपने ना आए उसके लिए क्या बोलना चाहिए एवं किसका वंदन एवं स्मरण करके सोना चाहिए।
Просмотров 9189 месяцев назад
रात को हमें बुरे सपने ना आए उसके लिए क्या बोलना चाहिए एवं किसका वंदन एवं स्मरण करके सोना चाहिए।
जैन दर्शन के अनुसार देवता कैसे पैदा होते हैं उनके आहार उनकी वेदना आदि क्या क्या होती है।
Просмотров 1,2 тыс.10 месяцев назад
जैन दर्शन के अनुसार देवता कैसे पैदा होते हैं उनके आहार उनकी वेदना आदि क्या क्या होती है।
जैन दृष्टि से काल का स्वरूप एवं काल चक्र क्या है ?
Просмотров 37910 месяцев назад
जैन दृष्टि से काल का स्वरूप एवं काल चक्र क्या है ?
जैन परंपरा के अनुसार चक्रवर्ती कौन होते हैं
Просмотров 77510 месяцев назад
जैन परंपरा के अनुसार चक्रवर्ती कौन होते हैं
पुष्य नक्षत्र का महत्व (किस मंत्र का जाप हम कर सकते हैं )
Просмотров 1,9 тыс.11 месяцев назад
पुष्य नक्षत्र का महत्व (किस मंत्र का जाप हम कर सकते हैं )
सुबह उठते ही क्या भावना भांए
Просмотров 2,3 тыс.11 месяцев назад
सुबह उठते ही क्या भावना भांए
इस अवसर्पिणी काल में हुए 10 अच्छेरे ( आश्चर्य )
Просмотров 2,5 тыс.11 месяцев назад
इस अवसर्पिणी काल में हुए 10 अच्छेरे ( आश्चर्य )

Комментарии