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सदगुरु वाणी
Индия
Добавлен 25 июл 2014
परम पूज्य गुरुदेव श्री चंद्र भूषण अवस्थी जी ब्रह्म, परमात्मा, साधना समेत आध्यामिक ज्ञान और विज्ञान के अनेकों विषयों पर विस्तार से बताया है। उन्होंने इन जटिल विषयों को हमारे दिन प्रति दिन के उदाहरणों के माध्यम से इन गूढ़ बातों को सरलता से समझाया है। उनके इस ज्ञान का संग्रह नागेंद्र अंकल जी ने करीब 600 ऑडियों कैसेटों में किया है, वही रिकॉर्डिंग इस चैनल के माध्यम से आप सब तक पहुंच रही है। इस दिव्य ज्ञान और विज्ञान का लाभ उठाकर हम अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं।
हम न नाम हैं और न शरीर (भाग-1)
मूल (189), कैसेट रिकॉर्डिंग साइड बी, शनिवार #सत्संग, 28 अक्टूबर 2000, सत्संग का विषय: पूजा।
परम पूज्य गुरुदेव ने इस भाग में बताया है कि हमें जो शरीर और नाम दिया गया है, इसे हमने अपना माना हुआ है और यही कारण है कि हम राग और द्वेष के अंतर्गत कर्म कर रहे हैं। जब तक नाम और शरीर से अपनेपन की भावना रहेगी, राग और द्वेष दूर रही हो पाएगा।
परम पूज्य गुरुदेव ने इस भाग में बताया है कि हमें जो शरीर और नाम दिया गया है, इसे हमने अपना माना हुआ है और यही कारण है कि हम राग और द्वेष के अंतर्गत कर्म कर रहे हैं। जब तक नाम और शरीर से अपनेपन की भावना रहेगी, राग और द्वेष दूर रही हो पाएगा।
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शब्द शक्ति और विज्ञान (भाग-3)
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मूल (189), कैसेट रिकॉर्डिंग साइड ए, शनिवार #सत्संग, 21 अक्टूबर 2000, सत्संग का विषय: पूजा। परम पूज्य गुरुदेव ने इस भाग में बताया है कि मानव शरीर शक्ति का केंद्र है। इसमें कई तरह की शक्तियां एक साथ ही मिल जाती है। ऐसा दूसरे शरीर में संभव नहीं है। इसलिए तुलसीदास जी ने कहा कि बड़े भाग्य मानुष तन पाया।
शब्द शक्ति और विज्ञान (भाग-2)
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मूल (188), कैसेट रिकॉर्डिंग साइड बी, शनिवार #सत्संग, 14 अक्टूबर 2000, सत्संग का विषय: पूजा। परम पूज्य गुरुदेव ने इस भाग में बताया है कि शब्द में बहुत शक्ति होती है। हर शब्द का अपना भाव और रंग भी होता है और शब्दों से ही मंत्र बनते हैं।
शब्द शक्ति और विज्ञान (भाग-1)
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मूल (188), कैसेट रिकॉर्डिंग साइड ए, शनिवार #सत्संग, 14 अक्टूबर 2000, सत्संग का विषय: पूजा। परम पूज्य गुरुदेव ने इस भाग में बताया है कि शब्द में बहुत शक्ति होती है। हर शब्द का अपना भाव और रंग भी होता है और शब्दों से ही मंत्र बनते हैं।
इंद्रियों को भगवान से जोड़े व जड़ और चेतन (भाग-14)
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मूल (187), कैसेट रिकॉर्डिंग साइड बी, शनिवार #सत्संग, 7 अक्टूबर 2000, सत्संग का विषय: पूजा। परम पूज्य गुरुदेव ने इस भाग में बताया है कि हम राग और द्वेश के चलते जो भी कर्म करते हैं, उन्हीं से हमारा भोग बनता है। अगर राग होगा, तो द्वेश भी होगा। इसलिए राग द्वेश को हटाना जरूरी है।
इंद्रियों को भगवान से जोड़े व जड़ और चेतन (भाग-13)
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मूल (187), कैसेट रिकॉर्डिंग साइड ए, शनिवार #सत्संग, 7 अक्टूबर 2000, सत्संग का विषय: पूजा। परम पूज्य गुरुदेव ने इस भाग में बताया है कि मनुष्य दो प्रकार के कर्म करता है। पहली तरह का कर्म अपने स्वभाव के अनुसार करता है और दूसरी तरह का कर्म सिद्धांत या शास्त्र के अनुसार करता है।
इंद्रियों को भगवान से जोड़े व जड़ और चेतन (भाग-12)
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मूल (186), कैसेट रिकॉर्डिंग साइड बी, शनिवार #सत्संग, 30 सितंबर-7 अक्टूबर 2000, सत्संग का विषय: पूजा। परम पूज्य गुरुदेव ने इस भाग में बताया है कि हम जो भी पूजा या प्रार्थना करते हैं, वहा सकाम होती है, उसमें भी हम भगवान से संसार ही मांगते हैं। जबकि पूजा निष्काम होनी चाहिए।
इंद्रियों को भगवान से जोड़े व जड़ और चेतन (भाग-10)
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मूल (185), कैसेट रिकॉर्डिंग साइड बी, शनिवार #सत्संग, 23-30 सितंबर 2000, सत्संग का विषय: पूजा। परम पूज्य गुरुदेव ने इस भाग में बताया है कि जब हम अपनी इंद्रियों को संसार में लगाते हैं, तो हमें दुख, परेशानी, अभाव और मोह का सामना करना पड़ता है, लेकिन जब हमें इन्हें परमात्मा में लगाते हैं, तो शांति मिलती है।
इंद्रियों को भगवान से जोड़े व जड़ और चेतन (भाग-9)
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मूल (185), कैसेट रिकॉर्डिंग साइड ए, शनिवार #सत्संग, 23 सितंबर 2000, सत्संग का विषय: पूजा। परम पूज्य गुरुदेव ने इस भाग में बताया है कि भगवान ने हमें अत:करण और वाहकरण दोनों दिए है। दस इंद्रिया दी हैं और उन्हें समझदारी से इस्तेमाल करने के लिए बुद्धि दी हुई। ऐसे में हमें इंद्रियों का सद्उपयोग कर उन्हें योग में लगाना चाहिए, क्योंकि भोग में लगाने से दु के सिवा और कुछ नहीं मिलेगा।
इंद्रियों को भगवान से जोड़े व जड़ और चेतन (भाग-8)
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मूल (184), कैसेट रिकॉर्डिंग साइड बी, शनिवार #सत्संग, 16-23 सितंबर 2000, सत्संग का विषय: पूजा। परम पूज्य गुरुदेव ने इस भाग में एक दृष्टांत सुनाकर बताया है कि मानव जीवन भगवान की कितनी असीम कृपा के बाद मिला है और हम उसका ऐसे ही गवाए दे रहे हैं।
इंद्रियों को भगवान से जोड़े व जड़ और चेतन (भाग-7)
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मूल (184), कैसेट रिकॉर्डिंग साइड ए, शनिवार #सत्संग, 16 सितंबर 2000, सत्संग का विषय: पूजा। परम पूज्य गुरुदेव ने इस भाग में बताया है कि संसारिक भोगों का परिणाम हमेशा बुरा ही होता है, इसलिए इंद्रियों को भोग में लगाने की जगह, परमात्मा के योग में लगानी चाहिए।
इंद्रियों को भगवान से जोड़े व जड़ और चेतन (भाग-5)
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मूल (183), कैसेट रिकॉर्डिंग साइड ए, शनिवार #सत्संग, 9 सितंबर 2000, सत्संग का विषय: पूजा। परम पूज्य गुरुदेव ने इस भाग में बताया है कि मन आत्मा और इंद्रियों के बीच होता है। इसमें एक तरफ इंद्रिया है, तो दूसरी ओर आत्मा है। इंद्रिया क्योंकि संसारिक हैं, इसलिए इनको सांसारिक विषय वस्तु में सु महसूस होता है।
इंद्रियों को भगवान से जोड़े व जड़ और चेतन (भाग-4)
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मूल (182), कैसेट रिकॉर्डिंग साइड बी, शनिवार #सत्संग, 9 सितंबर 2000, सत्संग का विषय: पूजा। परम पूज्य गुरुदेव ने इस भाग में मन में उठते विचारों के शांत करने के बारे में बताया है। उन्होंने कहा कि ध्यान ही एक ऐसी अवस्था है, जिसमें व्यक्ति निर्विचार हो सकता है।
इंद्रियों को भगवान से जोड़े व जड़ और चेतन (भाग-3)
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मूल (182), कैसेट रिकॉर्डिंग साइड ए, शनिवार #सत्संग, 2 सितंबर 2000, सत्संग का विषय: पूजा। परम पूज्य गुरुदेव ने इस भाग में मन और उसमें उठते अनगिनत विचारों के बारे में बताया है कि जब तक मन शांत नहीं होता है, तब तक हम साधना मार्ग पर आगे नहीं बढ़ सकते हैं।
इंद्रियों को भगवान से जोड़े व जड़ और चेतन भाग 2
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मूल (181), कैसेट रिकॉर्डिंग साइड बी, शनिवार #सत्संग, 26 अगस्त 2000, सत्संग का विषय: पूजा। परम पूज्य गुरुदेव ने इस भाग में इंद्रियों, उनके विषय और उन्हें परमात्मा में लगाकर सद्उपयोग करने के बारे में बताया है
इंद्रियों को भगवान से जोड़े व जड़ और चेतन भाग 1
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इंद्रियों को भगवान से जोड़े व जड़ और चेतन भाग 1
प्रारब्ध और परमात्मा भाग-16 (पितृ पक्ष का विधि-विधान और विज्ञान) #पितृपक्ष
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प्रारब्ध और परमात्मा भाग-16 (पितृ पक्ष का विधि-विधान और विज्ञान) #पितृपक्ष
प.पू. सदगुरुदेव आपके श्री चरणों में कोटिश: नमन! 💐🙏🙏
Samay samay par video dalte rahiye.. bahut bahut dhanyawad 🙏🏻
Bahut hi adbhut Vani.. jai sadguru 🙏
प.पू. सदगुरुदेव के पावन श्री चरणों में कोटिश: प्रणाम!🌹🙏🙏
प.पू. सदगुरुदेव के पावन श्री चरणों में कोटिश: नमन! 💐🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐💐🙏🙏🙏🙏🙏
प.पू. सदगुरुदेव के श्री चरणों में कोटिश: नमन ! 💐🙏🙏
प.पू. सदगुरुदेव के पावन श्री चरणों में कोटिश: नमन! 💐🙏🙏
प. पू.सदगुरुदेव के श्री चरणों में कोटिश: नमन! 💐👃👃
Guruji Pranav Aatma ko kaise Janey is par kuch kahiye
प. पू. सदगुरुदेव के श्री चरणों में कोटिश: प्रणाम! 💐👃👃
Sahi keh rahe hain guruji, gyan hamara or naam unka
प. पू. सदगुरुदेव के श्री चरणों में कोटिश: प्रणाम!💐👃👃
प. पू. सदगुरु देव के पावन श्री चरणों में कोटिश: प्रणाम!💐💐👃👃
प. पू. सदगुरुदेव के पावन श्री चरणों में कोटिश: नमन!
ब्रह्मलीन प. पू. सदगुरुदेव के श्री चरणों में कोटिश: प्रणाम!
प. पू. सदगुरुदेव के पावन श्री चरणों में कोटिश: नमन!
Bahut sundar prastuti shaheb bandagi
प. पू. सदगुरु देव के पावन श्री चरणों में कोटिश: प्रणाम!
सदगुरुदेव के श्री चरणों में कोटिश: नमन!
प.पू. सदगुरुदेव के पावन श्री चरणों में कोटिश: प्रणाम!🌹🙏🙏
७५ views par likes मात्र ५ ही हैं; क्या जो बोला गया वो अच्छा नहीं लगा? और अच्छा लगा तो लाइक क्यों नहीं किया? क्या कुछ जेब से खर्च हो रहा था? या बहुत मेहनत करनी पड़ती? क्या है कि कुछ न देने की प्रवृति मानसिकता ; विचार कीजिए।
प.पू. सदगुरुदेव के पावन श्री चरणों में कोटिश: नमन!🌹🙏🙏
सदगुरुदेव के श्री चरणों में कोटिश: नमन!
प. पू. सदगुरुदेव के श्री चरणों में कोटिश: नमन!🌹🙏🙏
सदगुरुदेव के श्री चरणों में कोटिश: नमन!🌹🙏🙏
Chahe Mujhe koi bura Kahe Ya Fir Accha Hi Kyun Na Kahe , Mujhe Koi Fark Nahin Padta Kyunki Mai Purn Rupen Aaj ki Date Me viraakkt Hoon Mujhe Na To Apmaan Ka Bhay Hai Aur Na Hi Naam Ka Moh , Mere Pass Jeevan Kaal Ab Kam Bacha Hai , Marne se Pehle Apna Gyan Manvta Ke Kalyan Hetu Dena chahta Tha Par Koi Manch Hi Nahin Mila Kabhi Kabhi to Aisa Lagta Hai Ki Sayad Mera Yeh Anmol gyan Prapti Pata Nahin Mai Kisi Yogya Insaan Ko De Bhi Paunga Ya Nahin Nahin Janta , Par Gyani Hone Ke Nate Samajh Kalyan Mera Kartvya Hai < Mai Saryupari Brahmin Sandilya Gotra Ka brahmin Parivaar Se Tha . Par Jab Se Shiv Bhakt Bana Maine Khud Ka hi Pind Daan Kar Apni hi Jati Ke Bandhan se Mukkt Ho gaya Ab Mai Apne Mahakaal Ka Sirf Ek Daas Hu , Mere Jeevan Ka Lachya Sirf V Sirf Atma Gyan Prapt Kar Iswar Ko Pa Kar Sada Sada Ke Liye Unke charno Me Seva Karne Ka Hi Lachya Hai Aur Mujhe Unse Kuch bhi Nahin chahiye ,Is Naswar Deh Ko tyagne Se Pehle Mai Sansar Ko Anmol gyan Dena chahta Tha Parantu Yeh Sansar Jhooth Ki Buniyaad Par chal Raha Hai Aaj Is Kaliyug Me Kisi Ko Bhi Atma Bodh Ki Padi Hi Nahin < Aise Me Mai gyan Dekar bhi Bhala Kiska Uddhar Karun ????? Ajj Ka Sansar Kisi ki Sunna Hi Nahin chahta Aur Isiliye Ab Mai Bhi Sansar Ko Yeh Gyan Jo Mai De Sakta Tha Nahin Dena chahta Ab . Har Har Mahadev . Mera Yeh Gyan Tathakathit Aaj Kal Ke jhoothe gyaniyon Ke Liye bilkul Bhi Nahin Kripya Kar Apne Ko gyani Samajhne wale Apne gyan Ke Kuen Me Aram Se Jakar Gote Lagayein Kyunki Mai Acche Se Jannta Hu Ki Aaj Kal Ke Mukh Adhe Adhure Gyani , Un Vishyon Par bhi Dete Hain jin Visyon Ki Unhe ABCD bhi Nahin Pata . Maine Samay Ki dristi Se Aise Adhe Adhre Gyaniyon Ko Vakkt Ke Age Harte Bhi Dekha Hai Aur Inhe Tuttte bhi Dekha Hai Isiliye Mujhe Inki Sacchayi Bilkul bhi Nahin chipi , Halanki Aisa Nahin Ki Mai Samajh Ki Bhalayi Nahin Karna chahta , Par Prasn Is Baat Ka Nahin Hai Balki Prasn To Yeh Hai Ki Kya Yeh Samaj Is Katu Satya Ka Samna Karne Ki Himmat Bhi Hai Ya Nahin . Gyan Annant Hai Isiliye koi bhi Manusya Yahan Purn Gyani Nahin ho sakta , Jiska Seedha Matlab Yeh bhi Hai ki Gyani Se Gyani Manusya bhi Sirf Aur Sirf Adha Adhura Gyani Hi Hai Koi Fak Nahin Padta ki Tumne Kitna Bhi Gyan arzit kiya Ho chahe Tum PHD Karo Ya Fir Usse bhi Jayda Kuch Parantu Itna Karne Ke Baad bhi koi bhi Manusya Annant Gyan Ko Prapt Nahin Kar Sakta . Isiliye Manusya Apni Puri Jindagi Apni Antim sanson TAk Sirf Aur Sirf Galtiyon Pe Galtiyan Karta hi Rehta Hai Aur Nit Naya kuch Ek Vidyarthi Ke saman Sikhta Rehta Hai . Geeta Me Shri Krisna Ji Ne Hi Kaha Hai Ki Adha Adhura Gyan Sirf Apne hi Liye hi Nahin Apitu Samast sansar Ke Liye bhi Hanikarak Hota Hai . Gyan Annant Hai Isiliye Manusya ko Kabhi Annant Gyan Ko Prapt Karne ka Murkhta Bhara Prayas Nahin Karna Chahiye , Bhagna Hi Hai to Param gyan Ke Peeche Bhago. Param Gyan Is Anannt Gyan Ka Saar Hai > Manusya Ke Liye Yeh Samast Sansar hi Gyan Hai Aur Yeh S Samast Gyan Arthat Yeh brahmand Arthat Yeh Universe Us ISwar Dwara Rachit Hai Isiliye Agar Yeh Samast Sansar Annant Gyan Hai To Is Sansar ko Rachne walla Hi Param Gyan Hai Arthat IS Samast Sristi ko Rachne wala Iswar Hi Is Sansar Ka Ek Matra Param gyan Hai Jo Manusya Ke Jannne Yogya Hai . ISwar Ka Naam Hi Wah Param Gyan Hai Aur ISwar Ke Annant Naam bhi Hai Tum Unhe Kisi bhi Naam Se Pukaro Bas Bhav Hona Chahiye , Iswar ko Pane Ke Liye ISwar Ke Naam Ke Alawva Aurt Kisi bhi Gyan Ki Jarurat Nahin Hoti Iswar Ko Pane Ke liye Sabse Jaruri Hota Hai Nirmal Man Aur Nirmal Bhav Jo Ki Bina Apne Aham Ko tyage bina Pana Sambhav Hi Nahin Aaj Ke Manusya Pashu Saman Ho Gaye Hai , Dikhte To Manusyon Ki Bhanti Hi Hai Parantu Ek Janwar Ke Saman Subhah Apne Bill Se nikale 24 Ghante Apne Aur Apne Hi Parivaar ki Khatir Daude Aur Shaam hote Hi Fir Bill Me ghus Gaye Jaise Ek Janwar Sirf Kud Ke Liye Aur Apne Parivaar Ke Liye Hi Sirf Jeeta Hai Vaise Hi Aaj Ke Pashu Saman Manusya Sirf Aur Sirf Apne Swarth , Sirf Apne v Apne Parivar Ke Pet Tak hi Seemit Reh Gaya Hai . Ek Janwar Bhi Bacche Paida Karta Hai Ek Janwar bhi Apne Pariwar Ka Palan Posan Karta Hai theek aaj ke Pashu Saman Manusyon Ke saman Fir In Manusyon Me Aur Janwaron Me Bhala Kya Hi Fark Dono Hi Sirf Apne V Apne Parivaar Ke Pet Tak Hi Seemit Rehte Hain . Manusya Ke Pass Hi Sirf Yeh Kabiliyat Hai Ki wah Khud Se Upar uth Kar Dusron Ka bhi Dukh Dardf Takleef V Pet Bhar Sakta Hai Aur Apne Manusya Hone Ko Sabit Kar Sakta Hai Parantu aaj Kal Ke Manusyon Ka Yeh Durbhagya Hai Ki Unhe bodh Hi Nahin ki Ve Jhooth Ki Jindagi Ji Rahe Hai Aur Ve Satya Ko Jannna Bhi Nahin Chahhte Kyunki Jhooth Ki Jindagi Jeete Jeete Ab Unhe Yeh jhooth Ka sansar hi Bhane Laga Hai Aur Ve Issse Upar Uthna Bhi Nahin chahhte Kyunki Unki Antar Attma Ko bhi Yeh Bodh Hai ki Hum jo Jindagi Ji Rahe Hain Wah Jhooth Ki Jindagi se jyada Aur kuch Bhi Nahin Jahan Sirf Aur Sirf Swarth Ke Alawa Aur Kuchh Bhi Nahin > Har Har Mahadev Guru J
सदगुरुदेव के श्री चरणों में कोटिश: नमन!🌹🙏🙏
सदगुरुदेव के श्री चरणों में कोटिश: नमन!🌹🙏🙏
प.पू. सद गुरुदेव के पावन श्री चरणों में कोटिश: नमन!🌹🙏🙏
प.पू. सदगुरुदेव के पावन श्री चरणों में कोटिशः नमन!🌹🙏🙏
प.पू. सदगुरुदेव के श्री चरणों में कोटिश: प्रणाम!🌹🙏🙏
प.पू गुरुदेव के पावन श्री चरणों में कोटिश: नमन!🌹🙏🙏
प.पू गुरुदेव के पावन श्री चरणों में कोटिश: नमन!🌹🙏🙏
❤❤❤❤❤❤❤❤❤
प.पू. सदगुरुदेव के श्री चरणों में कोटिश: नमन!🌹🙏🙏
प.पू. सदगुरुदेव के श्री चरणों में कोटिश: नमन! 🌹🙏🙏
प.पू. सदगुरुदेव के पावन श्री चरणों में कोटिश: नमन!🌹🙏🙏
Bahut sarlsunder shabade smjaya
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कहत कबीर सुनो भाई साधो चैनल पर सत्संग जरुर सुने एक बार फिर खुद सत्य असत्य का निर्णय करें वो ज्ञान मिलेगा जो आज तक नहीं सुने होंगे
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कौन गया इस तन से निकलकर कर्मों का अंबार लिए। लौट आया फिर कौन जगत में संचित कर्मों का भार लिए।