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Shri Bawa Lal Healing Centre
Индия
Добавлен 10 авг 2020
वैष्णवाचार्य योगीराज सतगुरु 1008 श्री बावा लाल दयाल जी महाराज रामानंद सम्प्रदाय के सिद्ध संत रहे हैं। देश विदेश में भ्रमण करते हुए लोगों को प्रेम और भक्ति का सन्देश दिया। प्रति वर्ष रामपुर हलेर में चातुर्मास में अपने शिष्यों के साथ तप करते थे। वृद्ध अवस्था आने पर दो बार काया कल्प द्वारा शरीर को युवा बनाते हुए 300 वर्ष की आयु तक आध्यात्मिक ज्ञान को लोगों में बांटा। सन 1655 इस्वी में कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को यह उच्चारण करते हुए "योग युक्ति कर राखूं देह, फिर भी चीज पराई यह" रामपुर हलेर में अपना शरीर छोड़ा और परमात्मा में विलीन हो गए । इनकी पुण्य तिथि पर केवल रामपुर हलेर में ही प्रति वर्ष कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीय से दशमी तिथि तक मेला लगता है जिसमे राम /भागवत कथा और यज्ञ होते हैं।
इसी स्थान पर शरीर छोड़ने से पहले अपने 22 शिष्यों को धर्म और भक्ति का प्रचार करने हेतु 22 गद्दियों का महंत बनाया। रामपुर और दातारपुर गद्दी के द्वितीय महंत श्री तपा दास थे।
यह चैनल गद्दी के वर्तमान महंत 1008 श्री रमेश दास जी महाराज की आज्ञा और आशीर्वाद से है।
इसी स्थान पर शरीर छोड़ने से पहले अपने 22 शिष्यों को धर्म और भक्ति का प्रचार करने हेतु 22 गद्दियों का महंत बनाया। रामपुर और दातारपुर गद्दी के द्वितीय महंत श्री तपा दास थे।
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