Jainism with Hemant Kala
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समयसार जी गाथा 1 का पूर्वार्द्ध 01.01.2025, संध्या 04 से 05
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धवालाजी पुस्तक 1 पृष्ठ 66 - 67 दिनांक 09.11.2024 क्लास 3
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धवालाजी पुस्तक 1 पृष्ठ 66 - 67 दिनांक 09.11.2024 क्लास 3
धवालाजी पुस्तक 1 पृष्ठ 60 से 63 दिनांक 07.11.2024 क्लास 1 (AKTN)
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धवालाजी पुस्तक 1 पृष्ठ 60 से 63 दिनांक 07.11.2024 क्लास 1 (AKTN)
परीक्षामुखजी, नईक्लास 22, तीर्थंकर परमदेव मुख्य निमित्त हैं या सहयोगी ? अध्याय 2, सूत्र 6, 17.5.2023
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परीक्षामुखजी, नईक्लास 21B, अनुकूल व प्रतिकूल फल प्राप्ति के सरलतम नियम, अध्याय 2, सूत्र 6, 16.5.2023
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परीक्षामुख जी, नई क्लास 21-A, अध्याय 2, स्वाधीन नही, निमित्ताधीन है मतिज्ञान, सूत्र 5, 16.05.2023
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परीक्षामुखजी, नईक्लास 20, अध्याय 2, लौकिक शुद्धि से शुद्ध ही, लोकोत्तर के योग्य, सूत्र 5, 15.05.2023
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परिक्षामुखजी,नईक्लास 19-B, मैथुन कर्म हिंसा नहीं है/निमित्त की प्रधानता,अध्याय 2,सूत्र 5, 14.05.2023
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परीक्षामुखजी, नईक्लास 19-A, अध्याय 2, अनुपम ज्ञान की अद्भुत- अद्वितीयता, सूत्र 1 से 4,14.05.2023
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परीक्षामुखजी,नईक्लास 18, कैसे ज्ञात होता है कि हमारे पूर्वज ज्ञानी थे, अध्याय 2,सूत्र 1से 4, 13.5.23
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परीक्षामुखजी,नईक्लास 16, गांधीजी के कारण हम विश्वगुरु बन चुके थे,अध्याय 1 Revision,सूत्र13, 07.06.23
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19 Jan. 2023, क्लास 6,गो.क.गाथा 442-445, दस करण, हम बगैर शस्त्र के कषायों से लड़ने में प्रयत्नशील हैं
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18Jan.2023, क्लास 5, दसकरण, गो.क.गाथा442-445, क्या गोमट्टसार जी पूर्वापर दूषणों से दूषित ग्रंथ हैं ?
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17 Jan.2023, दस करण, क्लास 4, गो.क.गाथा 440-442, भारिल्ल जी बनने से कैसे बचें व क्या मंगल 5 ही हैं ?
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Комментарии

  • @aadityabhaijijain2388
    @aadityabhaijijain2388 9 месяцев назад

    आचार्य श्री के प्रति तुम्हारे इस तरह के भाव आना तुम्हारे पतित होने का सूचक है। वो तो समान्य सी देह पाकर असामान्य सा तप करके अपने भव का उत्थान कर गए और तुम उनकी निर्दोष तपस्या में खोट निकाल कर अपना पतन सुनिश्चित कर रहे। अपने इस कृत्य से जिस कोख ने तुम्हे जन्म दिया उसको लजा रहे। घटिया जीव, घटिया सोच। खोटी संतति।

  • @ultimatevideos1008
    @ultimatevideos1008 10 месяцев назад

    प्रणाम सादर जय जिनेन्द्र पंडित जी आप श्री के निरंतर स्वाध्याय तत्व बोध से जुड़ने हेतु विनम्र निवेदन किस प्रकार जुड़ा जा सकता है ?

  • @ultimatevideos1008
    @ultimatevideos1008 10 месяцев назад

    प्रणाम सादर जय जिनेन्द्र पंडित जी आप श्री के निरंतर स्वाध्याय तत्व बोध से जुड़ने हेतु विनम्र निवेदन किस प्रकार जुड़ा जा सकता है ?

  • @pawanjain4581
    @pawanjain4581 Год назад

    सुन्दर

  • @User36253
    @User36253 Год назад

    कानजी स्वामी की कितनी ही बुराई कर लो कुछ नही होगा इन सब से जो तुमने १.५ साल पहले वीडियो डाला था गुरुदेव श्री का डंका पंचम काल के अंत तक बजेगा चिल्लाते रहना

  • @abhapandey5814
    @abhapandey5814 Год назад

    Bahut khub

  • @abhapandey5814
    @abhapandey5814 Год назад

    🙏🏻

  • @pankajkumarbhuyian2918
    @pankajkumarbhuyian2918 Год назад

    Thanks hu

  • @dineshjain855
    @dineshjain855 2 года назад

    निश्चित तौर पर जब कोई अपने आप को ज्ञानी मानता है और वह किसी दूसरे ज्ञानी का मुकाबला नही कर सकता है तो. वह इसी कुत्ते की भांति भोंकता है. भगवान ऐसे कुत्तों को सदबुद्धि देंवे. आखिर हाथी चले बाजार, कुत्ते भौंके हजार.

  • @anishjain6868
    @anishjain6868 2 года назад

    कुछ भी बोले जा रहे हैं , पांडित जी को ज्यादा ज्ञान हो जाने का हानिकारक प्रभाव ,,,, कहां महामुनिराज सुधा सागर जी, वीर सागर जी और कहां ये कुतर्की पंडित ,,, मिथ्याज्ञानी पंडित ,,,

  • @nareshkumarchandwar5183
    @nareshkumarchandwar5183 2 года назад

    निश्चय नय व व्यवहार नय आपने बहुत अच्छा समझाया।

  • @nareshkumarchandwar5183
    @nareshkumarchandwar5183 2 года назад

    सम्यग्दर्शन के आठ अंग या आठ शुद्धियां भली प्रकार से समझ आई।

  • @nareshkumarchandwar5183
    @nareshkumarchandwar5183 2 года назад

    आप की प्ररूपणा सम्यक है। समझ में आ रही है।

  • @nareshkumarchandwar5183
    @nareshkumarchandwar5183 2 года назад

    आदरणीय, जिनागम के नये रहस्य व आयाम सामने आ रहे हैं। धन्यवाद।

  • @nareshkumarchandwar5183
    @nareshkumarchandwar5183 2 года назад

    आदरणीय, मूलाचार का रहस्य अब भली प्रकार समझ सकेंगें।

  • @nareshkumarchandwar5183
    @nareshkumarchandwar5183 2 года назад

    आदरणीय, जैसा विवरण, प्रस्तुतीकरण, खुलासा आप करते है , वैसा सुनने को कम ही मिलता या नहीं ही मिलता। हमारे प्रणाम!

  • @nareshkumarchandwar5183
    @nareshkumarchandwar5183 2 года назад

    आप को श्रवण करने से विषय बिल्कुल स्पष्ट हो जाता है। इनमें हमें कोई भ्रमित नहीं कर सकता।

  • @ravindrajain6062
    @ravindrajain6062 2 года назад

    जय जिनेन्द्र गुरुजी ।आपसे संपर्क कैसे किया जा सकता है ।कृपया बताए 🙏🏻🙏🏻🙏🏻

  • @nareshkumarchandwar5183
    @nareshkumarchandwar5183 2 года назад

    नमस्कार! प्रणाम!

  • @sunnyblueray
    @sunnyblueray 2 года назад

    भाव और भावना में अंतर बताएं 🙏

  • @sunnyblueray
    @sunnyblueray 2 года назад

    पंडित जी आप को बताने की शैली को और सरल कीजिए क्योंकि आप हर एक वाक्य में आप प्रश्न पूछते है । समझ मै नही आता की आप बता रहे है या पूछ रहे है। 🙏

  • @sunnyblueray
    @sunnyblueray 2 года назад

    जय जिनेंद्र पंडित जी, एक शंका है की उबले हुए पानी की मर्यादा ४८ घंटे है, क्या वह पानी रात को पी सकते है?

  • @ravindrajain2268
    @ravindrajain2268 2 года назад

    पंडितजी आपके मुंह से आप और कांजी सोंगाडियो के एजेन्डा को आगे बढ़ा रहे है आप

  • @jainagam
    @jainagam 2 года назад

    धारणा को बदलने बल ज्ञान प्राप्त हुआ

  • @vimaljain7639
    @vimaljain7639 2 года назад

    आज जो झगड़े चल रहें हैं वे सब के सब आचार्यो के द्वारा प्रयुक्त शब्दों के अर्थ बदल देने से हैं परंपरा से अपने गुरु की क्या परिपाटी थी वह आगम सम्मत थी या आगम बाह्य ? और यह भी विचार करना चाहिए कि हम गुरु से बडे सम्यग्ज्ञानी तो नहीं बन गए हैं चंद्रगुप्त के एक स्वप्न में आया है ज्ञान दिन प्रतिदिन घटेगा और मिथ्याज्ञान अपना साम्राज्य फैलाकर सम्यक मार्ग को नष्ट भृष्ट कर देगा वही सब दिखाई पढ रहा है रत्नकरण्डक श्रावकाचार की गाथा 26 वी को विस्मृत कर घमंड से घमंडित होकर अन्य धर्मात्मा जनों को देखते हुये भी अनदेखा कर रहे है

  • @nareshkumarchandwar5183
    @nareshkumarchandwar5183 2 года назад

    स्पष्ट व नूतन अर्थ प्रकट होते हैं पंडित जी आपके उद्बोधन से। आपके हृदय में बैठी मां सरस्वती को प्रणाम!

  • @vimaljain7639
    @vimaljain7639 2 года назад

    जवानी के जोश में वृध्द सच्चे साधु-संतों की खुलकर खिल्ली उढाने वाले पुण्यवान साधुओं को तो रामबाण संजीवनी है यह आपका प्रवचन । अहंकारी साधुओं के आबाधा काल पूरा होने से पहले ही दुर्गुणों का गुण संक्रमण कराने में मदद करेगा , ये सब पापानुबंधी पुण्य कर्म की बलिहारी तो देखो ? जो आप जैसे चारों अनुयोगो के ज्ञाता से भी बुलवा रहा है कि ये निंदक साधु दूध के धुले हैं

  • @vimaljain7639
    @vimaljain7639 2 года назад

    यदि उत्तम मृदु उपकरण ( मयूर पिच्छी )का धारण करने वाला उत्तम प्रोधपोवासी श्रावक है और अन्य उपकरण जैसे वस्त्र आदि रखने वाले श्रावक जघन्य चारित्र का धारक ही होगा यही सत्य और आर्ष मार्ग है

  • @nishagodha8292
    @nishagodha8292 2 года назад

    बहुत सुन्दर खुलासा ....पंडित जी आपके ज्ञान को नमन

  • @nareshkumarchandwar5183
    @nareshkumarchandwar5183 2 года назад

    बहुत ही कल्याणकारी, सम्यक आगमिक जानकारी! आदरणीय पंडित जी की प्रज्ञा को प्रणाम। आगे के सभी विडियो भी निरन्तर उपलब्ध करवाने की कृपा करें।

  • @vimaljain7639
    @vimaljain7639 2 года назад

    सचमुच श्रुत देवता ही हैं पंडित जी

  • @nishagodha8292
    @nishagodha8292 2 года назад

    अति सुन्दर विवेचन

  • @tejashreechougule3038
    @tejashreechougule3038 3 года назад

    साधु ओ के चर्या मे दोष धूनधने के बाजाय अपने गुणो मे वृद्धी करिये

  • @tejashreechougule3038
    @tejashreechougule3038 3 года назад

    मैने कई 'किताब मे पाढा है की पद्मावती माता ने जैन धर्म की रक्षा की ।जब चा हा पूजा की जब चहा फेक दिया ।ये सवाल अभि समाज मे ऊठ राहा है।

  • @subhsaketjain460
    @subhsaketjain460 3 года назад

    Bhai kyu sadhu ke Barre m galat bole Tere ko Kya milta h..

  • @sharadchougule1008
    @sharadchougule1008 3 года назад

    तुम कलंक हो.. काला

  • @yashnitinjain
    @yashnitinjain 3 года назад

    उपलक्षण न्याय का उपयोग करके किस किस को लेना किसे छोडना ये आपने बताया तोह ..ये बात तोह सुधासागर जी महाराज जी को भी ज्ञात है ..और वो बराबर से सम्यक प्रकार से लेते भी है..आप बस उसे extreme तरीके से लेके एकांत कर रहे है ..बैलेंस एप्रोच आपको रखना चाहिए !!

  • @yashnitinjain
    @yashnitinjain 3 года назад

    फिर तोह देव शास्त्र गुरु की परीक्षा भी नही करनी चाहिए ..की वो सच्चे है या झूठे ? आपके हिसाब से जाओ तोह आचार्य समंत्रभद्र ने फालतू में ही फिर आप्त की परीक्षा के ग्रंथ लिखे ??

  • @tanmayjain1500
    @tanmayjain1500 3 года назад

    Video report krni chahiye,aise log samaj me sirf ladai kr vate hai

  • @pratimagangwal3796
    @pratimagangwal3796 4 года назад

    उपगुहन्न अंग , स्जिठिकारण, शास्त्रासत्र कई मार्ग है विचार भिन्नता को समझने के लिए । ये क्या है।

  • @pratimagangwal3796
    @pratimagangwal3796 4 года назад

    Where is uljhan ang .? स्थितिकर्ण अंग कहा है? कसलजी आप तो महाराज लोगो को पढ़ते हैं। अहिंसा , भाव हिंसा, कषाय की मंदता सब कहा है? अगर आपका इस तरह की भाषा का उपयोग और वीडियो बनाना सही है तो पार्श्वनाथ ने तो पहले भव में ही कमठ पर प्रतिवार करना चाहिए था। आपका बहुत सम्मान करती थी पर लगता है आप भी किताबी ज्ञान सिख रहे हैं।

  • @tanmayjain1500
    @tanmayjain1500 4 года назад

    एक बात बताइये ऐसे विहार में कोनसा मूलगुण खंडित हुआ?

  • @akjrrr
    @akjrrr 4 года назад

    क्यों न योगेश चंद के जैसे ही इन पर भी रिपोर्ट कराई जाए और राशुका के तहत कार्यवाही कराई जाए

  • @arpitjain3975
    @arpitjain3975 4 года назад

    जैन साधु का जीवन अत्यंत कठिन होता है। पंचम काल मे तो इस चर्या का पालन तलवार की धार मे चलने के समान ही होता है। साक्षात समयसार को जीवंत करते यह मुनि हमारे आराध्य है। पूजनीय है। वंदनीय है। किसी भी प्रकार से ऐशे त्यागियो की निंदा करना महान पाप है। अगर आप ने जैन कुल में जन्म लिया है। और आप सच्चे जैन है। तो इसकी मर्यादा और गौरव की रक्षा करना आपका परम कर्तव्य है। इसप्रकार से अबुद्धि पूर्वक की गई आलोचना तुम्हारे जैन होने पर प्रश्न चिन्ह है..?

  • @arpitjain3975
    @arpitjain3975 4 года назад

    जैन साधु का जीवन अत्यंत कठिन होता है। पंचम काल मे तो इस चर्या का पालन तलवार की धार मे चलने के समान ही होता है। साक्षात समयसार को जीवंत करते यह मुनि हमारे आराध्य है। पूजनीय है। वंदनीय है। किसी भी प्रकार से ऐशे त्यागियो की निंदा करना महान पाप है। अगर आप ने जैन कुल में जन्म लिया है। और आप सच्चे जैन है। तो इसकी मर्यादा और गौरव की रक्षा करना आपका परम कर्तव्य है। इसप्रकार से अबुद्धि पूर्वक की गई आलोचना तुम्हारे जैन होने पर प्रश्न चिन्ह है..?

    • @shashankjain7253
      @shashankjain7253 4 года назад

      मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज होकर कुतर्क कर अगर अन्य महाराज की निंदा करें तो सही और कुछ श्रावक सतर्क उन्हें गलत सिद्ध कर दें तो वह पापी हो गए, वाह श्रीमान इतनी अंधभक्ति और दोगलापन कहां से लाते हो शायद उन्हीं गुरुओं से सीखी होगी आपने।

    • @arpitjain3975
      @arpitjain3975 4 года назад

      @@shashankjain7253भारत देश के हर एक दिगम्बर साधु का मै भक्त हू और वे मेरे साधु परमेष्ठी है। श्री मान अगर आपको मुनियों की कोई बात या विचारधारा समझ मे नही आ रही है। तो उनसे तत्वचर्चा करे, उन्हें पत्र लिखे। और भी कई तरीके है। अपनी बात रखने के। अपने को सही गलत करने के। इस प्रकार खुलेआम मुनि निंदा क्या यह तुम्हारा धर्म है? अपने आपको श्रावक कहते हो ? और ऐसा अविवेक पूर्ण कार्य क्या यही श्रावक का कर्तव्य है.? पहले जैन की परिभाषा समझो । जैन बनो।