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Jaipur Unplugged
Добавлен 9 сен 2021
1971 के युद्ध में जयपुर का गौरव - India - Pakistan War - Chachro 1971 War - बांग्लादेश का जन्म
The Battle of Chachro is a story of bravery of Indian Army. It involved a division-sized assault and multiple raids by the Indian Armed Forces on the eastern town of Chachro in the Tharparkar district of West Pakistan. The battle resulted in India capturing the town and around 3,000 sq. miles of surrounding sandy wasteland.
#war #bangladesh #indopakwar #india #pakistan #warzone #jaipur @JaipurUnplugged @THEJAIPURDIALOGUES
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दो भाइयों के बीच अनकहा युद्ध - Unknown Battle of Jaipur #jaipur #history #warzone
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The Battle of Bagru (Jaipur) was a military engagement fought between multiple Indian kingdoms in 1748 near the town of Bagru, Jaipur, India. #war #battle #battleroyale #jaipur #king #history
Jainism - Philosophy & Unheard History. Support - Subscribe #podcast #jainism #history
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Jainism is one of the world’s oldest religions. The spiritual goal of Jainism is to become liberated from the endless cycle of rebirth and to achieve an all-knowing state called moksha. This can be attained by living a nonviolent life, or ahimsa, with as little negative impact on other life forms as possible. The traditions of Jainism were largely carried forward by a succession of 24 tirthanka...
जैन धर्म- संग्रहालयों से कुछ रोचक तथ्य #jainism #religion #india #history
Просмотров 13 тыс.4 месяца назад
In this podcast we will discuss history and impact of Jainism on Indian society. Jainism is one of the oldest religions in world. Jainism traces its spiritual ideas and history through the succession of twenty-four tirthankaras (supreme preachers of Dharma), with the first in the current time cycle being Rishabhadeva, whom the tradition holds to have lived millions of years ago, the twenty-thir...
श्री कृष्ण एवम् उनके सिद्ध मंत्र - आचार्य पीयूष वशिष्ठ जी के साथ #krishna #janmashtami
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श्री कृष्ण के महत्वपूर्ण सिद्ध मंत्रों के बारे में संक्षिप्त बातचीत हुई आचार्य पीयूष वशिष्ठ जी से
रक्षाबंधन - सही समय, तरीका और नियम #rakhi #rakshabandhan #podcast #viralvideo
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रक्षाबंधन - मनाने का शुभ मुहूर्त, विधि और कुछ जरूरी बातें #rakhi #rakshabandhan #podcast #viralvideo For Jyotish related Questions you can contact Acharya Peeyush Vashish via mail.
जैन धर्म का हिंदू धर्म और इस्लाम पर प्रभाव #podcast #viralvideos #history #india
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In this podcast we will discuss history and impact of Jainism on Indian society. Jainism is one of the oldest religions in the world. Jainism traces its spiritual ideas and history through the succession of twenty-four tirthankaras (supreme preachers of Dharma), with the first in the current time cycle being Rishabhadeva, whom the tradition holds to have lived millions of years ago, the twenty-...
Meet Funny and Pretty @tashanbazz__billo / RJ Geetanjali Chauhan. #entertainment #influencer
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उम्मीदों का स्कूल - "सड़क किनारे वाला स्कूल" @Unstoppable-20 #podcast
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Smart Parenting by DR JYOTI PODCST Part 03
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Smart Parenting Tips. Bad habits of Toddlers and solutions by Dr. Jyoti Girish. #parenting #toddler
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Why Women are behind in Indian Politics? Women Position in politics
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राजनीति में महिलाओं के साथ राजनीति और राजनेता मंजू शर्मा से और अन्य बातचीत. #podcast
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Meet Shubhangii AKA Baby @SuperbIdeasTrending
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Yoga Beyond Exercise, Modiji and Yoga by Pragra Sarapriya #podcast #yoga #jaipur @JaipurUnplugged
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Ep#01 Yoga and Shringar Ras, International Yoga Day #yoga #yogaday
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Yakah yakshni hai na ki hindu ki devi devta
Di kuch karo ki puratan vibhag ko batao ki jo dharohar hai , digember dharohar hai ,usko koi convert n kare,
Dagaji di vo hindu devi devta nahi tirthnker ki yaksh yakshni hai
Hare krishna krishna is the taste of water ( BG7.8) and (2question) -that's why we first offer our bhoga to lord then it purify and become prasadam plese read bagwat geeta 😊.
Wow very nice ❤
Bahut badhiya, asi jankari milti rahni chahiye😊
Jai Jaipur, Jai Hind
Hats off to Bhawani Singh Ji👍👏🏻
Bahut badhiya 👏
Amazing, Wowwwwwww🎉❤
Kya baat badhiya
😮😮
Excellent. Great to know about such unknown facts
👍❤👌
Interesting fact
🔥🔥🔥❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️
❤❤❤❤❤
❤❤🔥🔥
❤❤❤❤
मैडम फतेहपुर सीकरी में भी जैन म्यूजियम है वहां भी प्राचीन मूर्तियां है
जैन मंदिर में कभी भी हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां नहीं होती है। आपने सब गलत तथ्य रखे है। कृपया पूरी तैयारी के साथ आया करें।
जबरदस्ती जैन धर्म को मुस्लिम धर्म से तुलना किया। उनकी जबरदस्ती तारीफ करने के चक्कर में कुछ भी बोल दिया आपने की वो चींटी भी नहीं मारते है। हद है।
Nice Work ❤❤
Are Bahen pls don’t compare Jain and Muslim. It’s like you compare Day and Night
How can you compare Jainism with Islam?
Bakwaas bilkul bakwas
Very informative
बहुत सुंदर, North Carolina USA 🙏
@@AatmarthiMayur jai jinendra! Shuddhatm satkar!
@@globaljainonenessinitiative Jai Jinendra Pandit ji, Saadar Shuddhatm Vandan 🙏
Yeh sab swal digamber muni se pucha jana chaiye. Muniji har swal ka satik aur sahi jawab dete hain.
Sahi likha. Digambar Muni shastriya, archaeological & academic information ko sahi philosophical interpretation se abhivyakt kartey hain. Yeh skill bus thodey se Jain vyaktiyon ke paas hi hoti hai. Majority log; academics, history, contemporary religion and philosophy ko combine karke Jain Darshan ko sahi roop mein explain nahin kar patey hain. Digambar Muni yeh karya utkrisht roop mein kartey hain!
Superb Informative Great 👍👍👍
Jai jinendra
🙏🙏🙏🙏🙏
Jai jinendra
पर यही असंयमी देव ही तीर्थंकरो के जीवन में उनके सभी पंचकल्याणको में सहायक होने का निमित्त बनते हैं। जैनागम में उल्लिखित लघु और महाविद्याओं की अधिष्ठातात्री देवियां ही हैं । षटखंडागम रचनाओं से पहले मुनि शिष्य ने देवियों के मंत्रों का जाप किया था। अंजनचोर की रक्षा भी देवी ने की थी। वीतराग भावना प्राप्त करना ही मानवीय चेतना और देह का मुख्य उद्देश्य है, अतः तीर्थंकर मुद्रा की ही पूजा अर्चना करते हैं । इस स्रष्टि हर घटना एक्सचेंज पर आधारित है, एक साधक, साधना से देह में, मन में, समर्पण के भाव जागृत करता है, और इसी कारण से पग पग पर देवजन उसकी सहायता व आगे के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करने में सहायता प्रदान करते हैं, जैसे कि धरणेन्द्र और पद्मावती ने भगवान पार्श्वनाथ की थी। विभिन्न लोकों - स्वर्गो में रह रहे ,देवता सारे समय भोगविलास में ही नहीं डूबे रहते। उन्हें अनेकों कार्य करने होते हैं जैसे साधकों की साधना का आकलन करना तथा तीर्थंकर भगवन्तों के समवशरण आदि की आर्किटेक्चर प्लानिंग करना, अतः इस प्रकार से वह एक्जीक्यूटिव कॉउन्सिल और गवर्निग बॉडी का कार्य करते हैं। देवी देवताओं को समर्पित सभी सामग्री एक प्रकार की भावनात्मक साधना है क्योंकि जो जो वस्तु उन्हें समर्पित की जाती है वह सभी सामग्री साधक के देवत्व प्राप्त होने पर ,उसे दिव्य वस्त्र ,दिव्य भोग और दिव्य भोजन के रूप में प्राप्त होती हैं। तीर्थंकरो की जीवन कथाओं से स्पष्ट है कि अनेक जन्मों में साधना करने के पश्चात उन्हें दिव्य लोकों की प्राप्ति हुई थी, अतः इससे स्पष्ट है कि कोई भी साधु मुनि सीधे ही मोक्ष स्थिति को प्राप्त नही होता। आत्मा अनंत ज्ञान स्वभावी है , अतः उस अनन्त ज्ञान को अनन्त ग्रंथों में ही लिखा जा सकता है, इसका अर्थ यह है कि उस अनन्त ज्ञान और अनन्त चतुष्टयी की अनन्त संभवनाओं को न तो आज तक जाना जा सका है और न ही जाना ही जा पायेगा, क्योंकि परमात्मा रूपी आत्मा की गति अलोकाकाश में नही होती, धर्म द्रव्य न होने के कारण। क्योंकि यह जो अनन्त है वह अलोकाकाश में भी विस्तारित है। यदि किसी देवी की गोद भराई की जाती है तो वह इसलिए कि जिस स्त्री के निमित्त यह कर्म काण्ड किया जा रहा है, उसकी भी गोद भराई निर्विघ्न सम्पन्न हो। सभी कर्मकाण्ड एक प्रकार की स्पिरिचुअल टेक्नोलाजी अध्यात्मिक तकनीक है जो इस ज्योतिषीय सिद्धांत पर कि आप जिन शक्तियों, फोर्स और पॉवर को आकर्षित करने के लिए जो कार्य करते हैं वह ही आपके समक्ष आपके आसपास के वायुमंडल में उपस्थित होने लगती हैं। और आपके कार्य को निर्विघ्न सम्पन्न होने में सहायक होते हैं। खगोल विज्ञान एस्ट्रोनोमी के अनुसार यह भौतिक जगत - विश्व अनन्त विस्तार को प्राप्त किये हुए है इसके ओर-छोर को जानना असंभव सा प्रतीत हो रहा है। इसी प्रकार ही परमात्मा रूपी आत्मा का आध्यात्मिक अद्रश्य सूक्ष्म जगत - विश्व जिसमे अनेकों त्रिलोकी हैं, उसको भी कैसे कभी कोई सिद्धात्मा जान पायेगी क्योंकि वह तो लोक के सहस्त्रार चक्र - सिद्ध शिला पर अनन्त काल तक अनन्त आनंद में तल्लीन हो जाती है।
केवली भगवान ६४ ऋद्धियों के स्वामी होते हैं और इसी कारण से अनेक देवी देवता उनके समक्ष सदैव उपस्थित हो उनके लिए स्वर्ण कमल और समवसरण कि रचना करते हैं ,पर मुक्ति के पश्चात् इन ६४ इन ऋद्धियों का कोई उपयोग क्यों नहीं होता ? सिद्ध शिला पर विराजे सभी मुक्त केवली परम शुक्ल ध्यान कि अवस्था में होते हैं जिसमें ध्याता ,ध्यान और ध्येय की एकात्म स्तिथि में होते हैं । एवं जहां द्रष्टा दृश्य और अवलोकन में भी कोई भेद नहीं होता । यह आत्मलीन अवस्था कही जाती है इसका अर्थ यही है कि वह केवली इस चराचर जगत एक आत्म तत्व ही निहार रहे हैं ।एक ऐसा परम शुक्ल ध्यान कि अवस्था में प्रतिष्ठित सारे संसार को अपनी आत्मा में अवस्थित देख रहा है ।ऐसे परम ध्यानी की दृष्टि करुणामय ,प्रेममय ,दयामय और अहिंसामयी होती है ,और मुक्त केवली सिद्ध शिला पर विराजे हुए भी ,समूर्ण त्रिलोकी से एकाकार बने रहते हैं क्योंकि यही इस परम शुक्ल ध्यान की विशेषता है और इस ऐक्य की स्तिथि में उनकी करुणामयी और स्नेहमयी दृष्टि इस सम्पूर्ण त्रिलोकी को आप्लावित कर रही है और ऐसी अहिंसामयी व दयामयी रूपी किरणात्मक ऊर्जा और शक्ति इन मुक्त केवलियों से निरंतर सपूर्ण सृष्टि में प्रवाहित होती रहती है ।और यही आत्मलीनता युक्त मुक्तावस्था है ।
जैन श्रमण परंपरा में अवतरण - अवतार या अंशावतार के आध्यात्मिक विज्ञान पर ऑकल्ट और इसोटेरिक शोध व विवेचन या उससे संबंधित रिसर्च को जैन धर्मशास्त्रों में नकारा ही गया है। वह मुक्त सिद्ध लोक के अग्रभाग पर सिद्धशिला पर अनन्त काल तक अनन्त सुख - आनंद, अनन्त वीर्य - शक्ति, अनन्त दर्शन और अनन्त ज्ञान में आत्मस्थ होकर तल्लीनता की अवस्था को प्राप्त कर लेते हैं। अब प्रश्न यह उठता है कि तीर्थंकर स्थिति में उपलब्ध हुई, उन सारी ऋद्धि और सिद्धि का क्या उपयोग हुआ , मोक्ष स्थिति में विराजमान होने के बाद। तथा साथ ही इस परमात्मा बनी आत्मा जोकि अनन्त शक्ति - पॉवर - फोर्स - ऊर्जा को धारण किये हुए है , वह शाश्वत रूप से अनन्त सुख में ही विराजित रहेंगे या इस अनन्त की अनन्त उपलब्धियों का कोई सहज प्रकटीकरण भी होगा। तिब्बती महासिद्धों की पंरपरा में महामुक्ति निर्वाण के पश्चात भी एक महासिद्ध अपनी आध्यात्मिक क्षमताओं से ,अपने मनोमय कोष, अपने प्राणमय कोष और अपने अन्नमय कोष से तीन देह बनाकर उनको प्रथ्वि - भूमण्डल पर जन्म देकर उन्हें मानव के आध्यात्मिक और आत्मिक विकास और उत्थान में सहायक बनाते हैं। अतः हम इस अवधारणा व आध्यात्मिक विज्ञान की द्रष्टि से देखें तो यह पूर्ण रूप से और निश्चित रूप से संभव है कि उपाध्याय ज्ञानसागर व आचार्य विद्यासागर जी महाराज ( व अन्य तपस्वी साधु भी ) जैसी विभूतियॉ इसी प्रकार से तीर्थंकर भगवान्तों प्रभुओं की आत्माओं से निस्रत प्रकाशपुंज के घनीभूत रूप बन इस धरती जैन श्रमण साधना परंपरा को प्रचलित और स्थापित रखने के लिए जन्म लिया/दिया गया हो।
सभी तीर्थंकरो की जीवन कथाओं से स्पष्ट है कि अनेक जन्मों में साधनात्मक उपलब्धियों के निमित्त से उन्हें देव पद प्राप्त हुआ था । देवलोक में जन्म लेने वाली आत्मा, अनेक ॠद्धि और सिद्धियॉ हस्तगत होने के कारण बडी ही समर्थ होती है । तब ऐसी आत्मा देवलोक में रेहकर, क्या स्रष्टि के संचालन में, governance में, management में, इन ऋद्धि- सिद्धियों उपयोग करतीं हैं?जैसा कि तीर्थंकरो की जीवन कथाओं में दिखाई देता है कि कदम कदम पर देवजन, तीर्थंकरो के जीवन में घटने वाली घटनाओं का किस प्रकार से manipulation और मेंमैनेजमेन्ट करते हैं ।
What is that Ananat, which Tirthankaras attain? Has that Anant come into existence only after attainments of kaivalya or it has always been existing? The Ananat The Infinite has never been known and will never be known, it will always remain beyond the understanding of Human Thoughts and Consciousness. What is the use of attaining all the Riddhis and the Siddhis if they are not used for the benefit of the human mindstream? While on the SiddhaSila all liberated souls, due to attainments of KAIVALYA, where Dhyata, Dhyan and the Dhyeya become one, that means the soul of liberated being remain one with the Triloki in its soul - consciousness, so whatever is happening in the Triloki - in the three worlds getting reflected in their soul - consciousness and the same way the bliss, peace and Ananta Chatushtaya of Infinite Vision - Darshan, Infinite Knowledge - Gyan, Infinite Bliss and Infinite Power - Force - Energy - Virya will be transferred and transmitted to Triloki.
सटीक जानकारी को बहुत सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया गया, बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🏼
Jai jinendra
Jai Jinendra
Jai jinendra
यह आदमी वैदिक को यानी आर्य को ईरान से आया बताता है जो बिल्कुल तथ्यहीन है। संजय दीक्षित जो jaipur dialogue यूट्यूब पे चैनल चलाते है महान ज्ञानी है उन्हों ने 2 या 3 करोड़ का अब 5 करोड़ का, इनाम ज़ाहिर कर रखा है कि जो आर्य को भारत के मूल निवासी नहीं बल्के ईरान या कहीं ओर से आया साबित कर दे तो वह 2/3/5 करोड़ उसको दे देंगे। इस महाशय को मेरी चैलेंज है कि संजय दीक्षित जी के पास जायें और साबित कर दिखाएं कि वैदिक माननेवाले आर्य भारत के मूल निवासी नहीं थे बल्के बाहरी थे। जैन एक नास्तिक दर्शन है और महावीर के पहेले के साक्ष्य नहीं मिलते सब Mythology है। जैन एक धर्म नहीं बल्के दर्शन है। रजनीश के हिसाब से धर्म मज़हब religion में सभी तबक़े के लोग आते हैं जैसे हजाम लुहार मिस्त्री लकड़े पे काम करने वाले यानी सब स्तर के लोग जिससे समाज बनता है। मगर जैन में ऐसा कोई नहीं दिखाई देगा सभी के सभी व्यापारी बनिया है। यह रजनीश का मत था।मैंने वैष्णवों की फ़ैमिली tree देखी है चार पाँच पीढ़ी पहेले वैष्णव थे बाद में जैन हुए। जब हम छोटे थे तो जैन अपने आप हिंदू जैन लिखते थे मगर जैन मुनियों ने कृष्ण को कारागार में डाला है और अब रावण के बाद उनके तीर्थंकर बनके आयेंगे। शिव की पूजा वह एक कामी राक्षस था जो किसीकी भी स्त्री उठा ले जाता था उसे रिझाने वास्ते शिवलिंग की पूजा आरंभ की यह जैन मुनियों का मत है। एक जैन मुनि ने मेरे चित्रकार दोस्त जो ब्राह्मीण था, उसको बुलाया और कहा कि ऐसा चित्र बनाओ कि एक बड़ा शिवलिंग है और वह फूटता है और उसमें से महावीर स्वामी प्रकट होते हैं, मेरे ब्राह्मीण दोस्त ने साफ़ मना कर दिया।गुजरात के खम्भात शहर में जैन मुनि द्वारा शंकर भगवान और शिव पूजा के बारे में अनापशनाप् बोलने पे बहुत बड़ा बवाल पैदा हो गया था। यह वाक़या आज से 58 साल पहेले का है। जैसे विधर्मी हिंदू सनातन की टीका करते हैं वैसे जैन मुनि और उनके माननेवाले भी पीछे नहीं है। मेरे दोस्त भी हैं वह मुझे बचपन में कहा करते थे कि मरने के बाद हिंदू क्रिया होती थीं बारवी तेरवीं पिंड दान वह हम जैनो ने बंद कर दी हैं। मेरे जैन दोस्त का दादी दादा का नाम शिव पार्वती था और उनके घर पे भी लिखा था। मगर उनके पोतों ने वह बदलकर अपनी Last Name कर दिया। यह दिखाता है कि जैन हिंदुओं को मुसलमानों की तरह ही नफ़रत करते हैं। जैनो का मायनारिटी status माँगना हिंदुओं से अलग रहना है। जैन नारायण को गाली देते हैं ब्राह्मीण को भी मगर अपने लग्न विधि में ब्राह्मीण को बुलाते हैं और ब्राह्मीण विष्णु का वहाँ स्थापना ब्रह्मा विष्णु महेश की तरह भी करता है उससे उनको कोई आपत्ति नहीं हैं। नारायण को नहीं मानेंगे पर लक्ष्मीजी को सर टेक वंदन करेंगे। वैष्णवों के आराध्य देव विष्णु कृष्ण को गाली देंगे परंतु अपनी बेटियों की शादी ज़रूर करेंगे। बाद मरने हिंदू विधिवत अग्नि संस्कार करेंगे और अग्निदाह भी करेंगे। जैन स्त्री माथे पे सुहागिन का टीका भी लगायेंगे मंगल स्त्रूत भी पहनेगी और सिंदूर भी माथे जड़ेगी और जैन अपने आपको हिंदुओं से अलग बतायेंगे और गाली भी देंगे। ruclips.net/video/VqOG_8UnuaY/видео.htmlsi=srkUZEVMgfxDZh8d ।शुक्रिया
भैया आप मेरी बात मानो तो किसी दिगम्बर संत के श्री चरणों मे चले जाओ वो आपको सही जानकरी प्राप्त करवाँगे दिगम्बर संत आपको अच्छे से समय देंगे जैन धर्म के जानकरी के लिए 🙏
विद्वान किसे कहते है पता है?
@@ayushjain4226 नहीं पता कानजी भाई मे सिर्फ दिगम्बर संत पे भरोसा करता हु 🙏
@@sjain-wk8yj दिगंबर संत मिलना ही दुर्लभ है। अब तुम किन्हे दिगंबर संत मान बैठे हो ये तुम जानो। वैसे कांजी भाई ने वही कहा जो दिगंबर संत आचार्य कुंद कुंद ने कहा। और हमे तो हकीकत जानने से मतलब है। कोन कह रहा है ये मेटर नही करता।
@@ayushjain4226 आजाओ दिखता हु को दिगम्बर संत कहा होते है आचार्यश्रीजी विद्यासागर महाराजी का नाम suna होगा उनके सभी शिष्ये का नाम सुना होगा कानजी भाई? तुमको क्या प्रॉब्लम होरही है. मेने सिर्फ इतना कहा की दिगम्बर संत के पास जा कर ज्ञान अर्जन करें इसमें मिर्ची क्यों लग रहे है तुमको?
@@ayushjain4226Kisi ke andhbhakt nhi bano pahle dekho padho fir decide karo digamber muni hai ya nhi.kisi ne kah diya nhi hote to bas ab kisi ko dekhna hi nhi ye mudhta hai
तनु जैन का पाॅडकास्ट देखकर निराशा हुई,अभी उनको नियमित स्वाध्याय करने की आवश्यकता है। आपकी वार्ता से मुझे बहुत उलझनो के हल बड़े ही प्रामाणिकता व सटीकता से मिले।तीर्थंकर भगवन्तो का समय,सभी धर्मो का उदय होने का कारण,जैन धर्म की प्राचीनता को प्रामाण सहित बताया।बहुत बहुत आभार।जय जिनेन्द्र आशा है वार्ता का यह क्रम अनवरत चलेगा।🙏
Jai jinendra
बहुत ही ज्ञानवर्धक, हर संदेह बहुत ही सच और सटीकता से दूर हुआ।कोई अतिशयोक्ति नही,प्रमाण सहित सभी धर्मो का समय उनके शुरू होने का कारण बहुत ही प्रमाणिक जानकारी।शायद आज वो तलाश कुछ कम हुई जो बार बार आती थी।आशा है आगे यह क्रम चलता रहेगा।बहुत बहुत आभार।जय जिनेन्द्र
जय जिनेन्द्र
The first sentence in the channel's text description on the subject matter is absolutely wrong & incorrect comment on the antiquity and origination of Shraman Jin Dharm. You intentions are very positive but initial descriptions on Jainism is usually vague and can misguide society. When 23rd Tirthankar Parshvnath Bhagwan is already treated as a historical figure worldwide and 23rd Tirthankar Neminath Bhagwan is already stated in Vedas (Arishtnemi) & Vaidik Puranas apart from Jain Shastra's, including plethora of archaeological heritage, then how can you or anyone else state, that Jainism originated 2500 years ago in Bharat. No Jain will force you to believe on facts pertaining to Jain Dharm, but this does not mean non jains can distraught the core base of Shraman Sanskriti by writing the term 'that Jainism originated 2500 years before'. Lastly, Bhagwan Aadinath is already worshiped in Vedas & Shrimad Bhagwad/Bhagwad Puran. Thus antiquity of Jainism cannot be reduced to Bhagwan Mahavir Swami.
U can get clarity in the answer
@@globaljainonenessinitiative I've watched the video till the end. The comment I made was to highlight the gross mistake committed by admin.
@@globaljainonenessinitiative I am a Researcher & Educator in various Jaina academic subjects. Residing in gurugram (haryana).
@@akashjain1201 superb...Jai jinendra
Thank you for your feedback. We acknowledge that some lines in our description are taken from well-known sources. Our intention is to present the rich history and philosophy of Jainism, and we appreciate your understanding as we strive to share this knowledge with a wider audience. we understand we can't please everyone. Once again thanks for your comment. Drispription is from below page :- www.pewresearch.org/short-reads/2021/08/17/6-facts-about-jains-in-india/
Very informative video on the relationship n difference between Jainism n Vedic traditions
Jai jinendra
Nice
Thanks
Excellent Punit ji, awesome job.. Jaipur unplugged you chose the right man, for last few days I was frustrated with civil servant Tanu Jain interpretation of Jainism who do not have any iota of idea about what Jainism is and is on podcast everywhere with her nonsense.. Just because you have speaking skills doesn’t mean what you are speaking is right.. Kudos to Punit ji and Jaipur unplugged, solved my lots of doubts.. Anumodna 👍👍
Thanks. Jai jinendra
She is famous & popular😁and far away from being intelligent in Jainism. Our social media Jain Youth in their 20's are more knowledgeable compared to her! Hence I resonate with your observation. Once I had listened to her few years before then completely stopped paying heed to her media sayings on Jainism.
❤😊
🙏
Great Explaination
Jai jinendra
🙏
🙏
Jai Jinendra
Jai jinendra