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विशुद्ध देशना लाइव
Индия
Добавлен 8 май 2017
भो ज्ञानी ! सबके दिन एक से नहीं होते | (आचार्य विशुद्धसागर )
19/01/2025 | अष्टसहस्त्री कारिका-13 पृष्ठ 277 प्र - 69 भाग-2 अक्ष,मन,आत्मा मे भिन्नपना
#vishuddhadeshna ,
#आचार्यरत्नविशुद्धसागरजी #दिगम्बराचार्य
परम पूज्य अध्यात्म योगी , चर्या शिरोमणि आचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज के मंगल प्रवचन देख रहे है विशुद्ध देशना लाइव youtube चैनल पर
💐 यह चैनल मुनि श्री सुव्रत सागर जी की मंगल प्रेरणा से जैन धर्म की प्रभावना के लिए बनाया गया है 💐
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#आचार्यरत्नविशुद्धसागरजी #दिगम्बराचार्य
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19/01/2025 |वारसाणुपेक्खा | श्लोक 01 | गाथा 44 | शरीर का स्वभाव
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#vishuddhadeshna , #आचार्यरत्नविशुद्धसागरजी #दिगम्बराचार्य परम पूज्य अध्यात्म योगी , चर्या शिरोमणि आचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज के मंगल प्रवचन दे रहे है विशुद्ध देशना लाइव youtube चैनल पर 💐 यह चैनल मुनि श्री सुव्रत सागर जी की मंगल प्रेरणा से जैन धर्म की प्रभावना के लिए बनाया गया है 💐 ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ FOR LATEST UPDATES : ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ ✿ join all Social media Join:- linktr.ee/Vishuddhdeshna ✿...
19/01/2025 | नीतिवाक्यामृत | मंत्री 154. 155 बालको की युक्त् सलाह भी ग्रहणीय
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19/01/2025 | जैन न्याय परीक्षामुख | अध्याय 3 सूत्र 62 | अविरध्द कार्य उपलब्धि हेतु।
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18/01/2025 | वारसाणुपेक्खा | श्लोक 01 | गाथा 43 | उपयोग के फल वर्णन |
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18/01/2025 | नीतिवाक्यामृत | मंत्री 153 | अभिमानी कार्य विनाशी
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18/01/2025 | जैन न्याय परीक्षामुख | अध्याय 3 सूत्र 61 | सहचर हेतु स्वतन्त्र |
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17/01/2025 | अध्यात्म अमृत कलश - 120 प्रवचन 01 | धर्म | SANGLI
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17/01/2025 | वारसाणुपेक्खा | श्लोक 01 | गाथा 42 | उपयोग के फल वर्णन | SAMDOLI
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17/01/2025 | नीतिवाक्यामृत | मंत्री 152 | अभिमानी कार्य विनाशी | SAMDOLI
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17/01/2025 | जैन न्याय परीक्षामुख | अध्याय 3 सूत्र 60 | सहचर हेतु स्वतन्त्र | SAMDOLI
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12/01/2025 | अध्यात्म अमृत कलश - 117,118 प्रवचन 01 | उपयोग की उपयोगिता | CHICHVAD
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12/01/2025 | स्वयंभू स्तोत्र | श्लोक - 29 प्रवचन 01 | पुरुषार्थ करो , संयम धारण करो | CHICHVAD
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12/01/2025 | वारसाणुपेक्खा | श्लोक 01 | गाथा 38 | मोक्ष के लिए जीव्य ही उपादेय | नांदणी
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12/01/2025 | नीतिवाक्यामृत | मंत्री 145 | प्रमादी का जीवन पर के वश | चिचबाड़
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12/01/2025 | श्रमण मुनि श्री सद्भाव सागर महाराज जी | चिचबाड़
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11/01/2025 | अध्यात्म अमृत कलश - 116 प्रवचन 01 | आस्रव निरास्रव | UADGANV
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10/01/2025 | स्वयंभू स्तोत्र | श्लोक - 27 प्रवचन 08 | अंतरंग बाह्य लक्ष्मी | JAYSINGHPUR
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10/01/2025 | नीतिवाक्यामृत | मंत्री 143 | अनुशासन होना चाहिए , आतंक नही | नांदणी
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10/01/2025 | जैन न्याय परीक्षामुख | अध्याय 03 सूत्र 54 | विधि ओर प्रतिषेध वचन और वस्तुभूत | कर
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10/01/2025 | अध्यात्म अमृत कलश - 115 प्रवचन 07 | मुक्ति का कारण | जयसिंगपुर
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10/01/2025 | वारसाणुपेक्खा | श्लोक 01 | गाथा 36 | संसार की चंचल दशा | नांदणी
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10/01/2025 | श्रमण मुनि श्री प्रणेय सागर महाराज जी | जयसिंगपुर
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09/01/2025 | स्वयंभू स्तोत्र | श्लोक - 27 प्रवचन 07 | एकता का आनंद | नांदणी
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08/01/2025 | स्वयंभू स्तोत्र | श्लोक - 27 प्रवचन 06 | क्षयोपशम | नांदणी
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07/01/2025 | स्वयंभू स्तोत्र | श्लोक - 27 प्रवचन 05 | धर्मोपदेश की उपयोगिता | नांदणी
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06/01/2025 | स्वयंभू स्तोत्र | श्लोक - 27 प्रवचन 04 | गुरु बुद्धि विशेषता | नांदणी
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06/01/2025 | स्वयंभू स्तोत्र | श्लोक - 27 प्रवचन 04 | गुरु बुद्धि विशेषता | नांदणी
05/01/2025 | अध्यात्म अमृत कलश - 115 प्रवचन 06 | धर्म देशना | नांदणी
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05/01/2025 | अध्यात्म अमृत कलश - 115 प्रवचन 06 | धर्म देशना | नांदणी
04/01/2025 | अध्यात्म अमृत कलश - 115 प्रवचन 06 | धर्म देशना | नांदणी
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05/01/2025 | स्वयंभू स्तोत्र | श्लोक - 27 प्रवचन 03 | जिनवाणी जगत कल्याणी | नांदणी
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05/01/2025 | स्वयंभू स्तोत्र | श्लोक - 27 प्रवचन 03 | जिनवाणी जगत कल्याणी | नांदणी