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Shiv Prakash Rai
Добавлен 30 дек 2017
Hare Krishna! Hamen manushy shareer apanee janm mrtyu kee yaatra ko poorn karane, paramaarth anubhooti ke hetu mila hai, shareer sansaar mein aasakti, raag-dvesh rahit nishkaam karm kare, nity-nirantar bhagavannaam jap, smaran evan byaakul hraday se unhen pukaare.
Dheera Sameere Yamuna Teere | geet govind | धीरसमीरे यमुनातीरे | गीतगोविंद | @shivprakashraigkp
धीरसमीरे यमुनातीरे वसती वने वनमाली 'अष्टपदी-गीतगोविंद'
रतिसुखसारे गतमभिसारे मदनमनोहरवेशम् । न कुरु नितम्बिनि गमनविलम्बनमनुसर तं हृदयेशम् ॥
धीरसमीरे यमुनातीरे वसति वने वनमाली गोपीपीनपयोधरमर्दनचञ्चलकरयुगशाली ॥ 1॥
अनुवाद: हे प्रिये ! गोपियों के पुष्ट स्तनों के मलने में चंचल हाथों वाले वनमाली, जहाँ पर मन्द-मन्द पवन चल रहा है ऐसे यमुना के तट बैठे हैं नितम्बनी ! रति के सुख का सार ऐसे अभिसार में (संकेत स्थान) बैठे हुए कामदेव के सदृश्य सुन्दर अपने प्राणेश के समीप चलने में विलम्ब न करिये |1|
नाम समेतं कृतसंकेतं वादयते मृदुवेणुम् । बहु मनुते ननु ते तनुसंगतपवनचलितमपि रेणुम् ॥ 2॥
अनुवाद : हे सखी ! श्रीकृष्ण मधुर ध्वनि से आपके नाम के संकेत से संयुक्त बंशी बजा रहे हैं और आपके शरीर के स्पर्श को प्राप्त धूलि ...
रतिसुखसारे गतमभिसारे मदनमनोहरवेशम् । न कुरु नितम्बिनि गमनविलम्बनमनुसर तं हृदयेशम् ॥
धीरसमीरे यमुनातीरे वसति वने वनमाली गोपीपीनपयोधरमर्दनचञ्चलकरयुगशाली ॥ 1॥
अनुवाद: हे प्रिये ! गोपियों के पुष्ट स्तनों के मलने में चंचल हाथों वाले वनमाली, जहाँ पर मन्द-मन्द पवन चल रहा है ऐसे यमुना के तट बैठे हैं नितम्बनी ! रति के सुख का सार ऐसे अभिसार में (संकेत स्थान) बैठे हुए कामदेव के सदृश्य सुन्दर अपने प्राणेश के समीप चलने में विलम्ब न करिये |1|
नाम समेतं कृतसंकेतं वादयते मृदुवेणुम् । बहु मनुते ननु ते तनुसंगतपवनचलितमपि रेणुम् ॥ 2॥
अनुवाद : हे सखी ! श्रीकृष्ण मधुर ध्वनि से आपके नाम के संकेत से संयुक्त बंशी बजा रहे हैं और आपके शरीर के स्पर्श को प्राप्त धूलि ...
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