Shiv Prakash Rai
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Dheera Sameere Yamuna Teere | geet govind | धीरसमीरे यमुनातीरे | गीतगोविंद | @shivprakashraigkp
धीरसमीरे यमुनातीरे वसती वने वनमाली 'अष्टपदी-गीतगोविंद'
रतिसुखसारे गतमभिसारे मदनमनोहरवेशम् । न कुरु नितम्बिनि गमनविलम्बनमनुसर तं हृदयेशम् ॥
धीरसमीरे यमुनातीरे वसति वने वनमाली गोपीपीनपयोधरमर्दनचञ्चलकरयुगशाली ॥ 1॥
अनुवाद: हे प्रिये ! गोपियों के पुष्ट स्तनों के मलने में चंचल हाथों वाले वनमाली, जहाँ पर मन्द-मन्द पवन चल रहा है ऐसे यमुना के तट बैठे हैं नितम्बनी ! रति के सुख का सार ऐसे अभिसार में (संकेत स्थान) बैठे हुए कामदेव के सदृश्य सुन्दर अपने प्राणेश के समीप चलने में विलम्ब न करिये |1|
नाम समेतं कृतसंकेतं वादयते मृदुवेणुम् । बहु मनुते ननु ते तनुसंगतपवनचलितमपि रेणुम् ॥ 2॥
अनुवाद : हे सखी ! श्रीकृष्ण मधुर ध्वनि से आपके नाम के संकेत से संयुक्त बंशी बजा रहे हैं और आपके शरीर के स्पर्श को प्राप्त धूलि ...
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