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Ghughuti
Индия
Добавлен 20 окт 2022
घुघुती एक ऐसा मंच है, जहां पर हमारी कोशिश आपको उत्तराखंड का कल, आज और कल दिखाने की है। खबरों के भंवरजाल से आपके काम की बात निकाल कर लाना हमारा मकसद है। घुघुती के जरिए हम पहाड़ की परंपराएं, इतिहास और विरासत को सहेजने की कोशिश कर रहे हैं। इंटरनेट के इस कोने में आपको उत्तराखंड मिलेगा…एकदम ओरिजनल, बिना किसी फिल्टर के। हमारी कोशिश आप तक उत्तराखंड की हर कही-अनकही बात पहुंचाने की है। इसी कोशिश को आपके सहयोग और प्रेम के साथ लगातार बढ़ाते जाना हमारा लक्ष्य है।
Ghughuti is a platform where you will find answers to your questions about Uttarakhand. Be it history, culture, heritage or people of Uttarakhand. Our aim is to provide you the news, views and reviews in its purest form. Here you will find the raw and unfiltered Uttarakhand. If you have any question regarding Uttarakhand, We are here to answer it. Consider Subscribing or Joining this effort of Conserving Uttarakhand through audio-visual content.
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फ्री की राशन ने बर्बाद कर दिया पहाड़, बंजर छूट रही खेती-बाड़ी? | Know the Truth | Vishleshan
उत्तराखंड में अक्सर कहा जाता है कि कंट्रोल की राशन ने पहाड़ियों को आलसी बना दिया है और इस वजह से वो खेत में काम नहीं करना चाहते। लेकिन क्या ये बात सच है? आखिर क्यों उत्तराखंड में हर गुजरते दिन के साथ कृषि की जमीन बंजर पड़ती जा रही है। क्यों लोग पहाड़ों में खेती नहीं करना चाहते? आखिर क्या है वो वजह जिसके चलते पहाड़ी खेतों से और पहाड़ों से दूर हो रहे हैं? हर एक डिटेल देखिए उत्तराखंड की कृषि पर विश्लेषण के इस एपिसोड में।
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Sources:
Food aid is killing Himalayan farms”. Debunking the false dependency narrative in Karnali, Nepal, ScienceDirect
- Nabard State report, 2023
- Uttarakhand Krishi Niti, 2018
- Sari System: A Traditional Cropping Pattern of the Uttarakhand Himalaya, ResearchGate
- Uttar...
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Sources:
Food aid is killing Himalayan farms”. Debunking the false dependency narrative in Karnali, Nepal, ScienceDirect
- Nabard State report, 2023
- Uttarakhand Krishi Niti, 2018
- Sari System: A Traditional Cropping Pattern of the Uttarakhand Himalaya, ResearchGate
- Uttar...
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कैसे पहाड़ी बने नेताजी की फौज के सबसे भरोसेमंद सिपाही? | Subhash Chandra Bose | Garhwal Rifles
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दूसरे विश्व युद्ध में जापान जिस तरह से अपना वर्चस्व पूरे एशिया पर बनाना चाहता था, ये तो हम सब जानते ही है। लेकिन क्या आप जानते है कि जब जापान ने सिंगापूर पर विजय हसील की और ब्रिटिश आर्मी के सैनिकों को बंदी बना लिया तब बंदी बने गढ़वाल राइफल के सैनिकों ने बाकी भारतीय सैनिकों के साथ मिल कर इस इस मौके के बुनया और आजाद हिन्द फौज की नीव राखी। अब वो कैसे उसकी पूरी डीटेल दे रहे है आपको इस रिपोर्ट में। ...
उत्तराखंड में क्यों उठ रही 5th शेड्यूल की मांग? | Uttarakhand | 5th Schedule
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सोनम वांगचुक आज जिस चीज के लिए आंदोलन कर रहे हैं, वो चीज उत्तराखंड से छीनी जा चुकी है। वो चीज जो अगर आज लागू होती तो शायद उत्तराखंड हिमाचल से आगे रहता। शायद जिस पलायन का दंश आज उत्तराखंड झेल रहा है, उसका कभी सवाल भी नहीं उठता। भूतिया गांवों में तब्दील हो चुका उत्तराखंड भी आज दूसरे पहाड़ी राज्यों की तरह ही आबाद रहता लेकिन ऐसा हुआ नहीं। क्योंकि हमसे वो छीन लिया गया था जो उत्तराखंड को विकसित बनाने...
उत्तराखंड के वो देवता जिनके धड़ की होती है पूजा | The Story of Kal Bisht
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उत्तराखंड अपने देवी देवताओं के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है, यहां पग-पग पर बसने वाले देवी देवताओं की भी अपनी-अपनी कहानी है, ऐसे ही एक देवता है कल बिष्ट जिनके धड़ की पूजा की जाती है, अब ऐसा क्यों और कौन है कल बिष्ट देवता। पूरी गाथा जानिए आस्था के इस एपिसोड में। Uttarakhand is famous all over the world for its gods and goddesses. The gods and goddesses who reside here at every step also have thei...
जिस कांग्रेस नेता ने किया नौछमी नारैणा का विरोध, वही दे गया लाल बत्ती का आइडिया | Nauchami Naraina
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नेगी दा ने यूं तो उत्तराखंड के लिए कईं गीत गायें है, लेकिन उन्मे से कुछ ऐसे गीत भी रहें है जिन्होंने राज्य की राजनीति को पलटने में एक अहम भूमिका निभाई है, उन मे से एक गीत है नौछमी नारैणा अब इस गीत को तो अपने कभी ना कभी जरूर सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते है इस गीत के एक सीन को रचने में खुद राजनीति के व्यक्ति ने अहम भूमिका निभाई थी। अब वो कैसे और वो कौन था, नेगी दा के सत्ता पलट गीत नौछमी नारैणा ...
दिल्ली ही नहीं, उत्तराखंड में भी जहरीली हवा, वजह- दिल्ली-यूपी-हरियाणा? Air Pollution | Uttarakhand
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दिल्ली में लगातार बढ़ते प्रदूषण को लेकर देश और दुनिया में चिंता जताई जा रही है। लेकिन दिल्ली की चिंता के बीच उत्तराखंड में भी प्रदूषण को लेकर टेंशन बढ़ने लगी है। इस रिपोर्ट में हमने विश्लेषण किया है कि कैसे दिल्ली, यूपी और हरियाणा के लोगों की वजह से उत्तराखंड में लगातार प्रदूषण बढ़ रहा है। इस रिपोर्ट में देखिए उत्तराखंड में बढ़ते प्रदूषण का पूरा विश्लेषण। Pollution in Delhi is on rise day by da...
क्यों मरने का इंतजार कर रहे ये बुजुर्ग? इस फिल्म ने बताया उत्तराखंड का सच ! Pyre | Vinod Kapri
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नेशनल फिल्म पुरस्कार जीतने वाले विनोद कापड़ी ने उत्तराखंड की सबसे बड़ी समस्या पलायन पर एक फिल्म बनाई है। एक ऐसी फिल्म जो यहां के बुजुर्गों की कहानी को पेश करती है। विनोद कापड़ी की ये फिल्म इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में चुनी गई है। लेकिन इस फिल्म के बहाने हम आपको बता रहे हैं वो तकलीफें जिनसे उत्तराखंड के भूतिया गांवों में अकेले रहने वाले बुजुर्ग जूझते हैं। देखिए ये विशेष रिपोर्ट। #uttarakhand #pa...
वो शख्स जिसकी अगर सुनी जाती तो भारत-चीन युद्ध का अलग होता इतिहास !
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उत्तराखंड के प्रतिष्ठित और जाने-माने पत्रकार हरीश चंदोला की बात अगर जवाहर लाल नेहरू ने सुन ली होती तो शायद आज भारत-चीन युद्ध का इतिहास कुछ अलग ही होता। लेकिन नेहरू ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने चंदोला की बात को एक कोरी कल्पना करार दिया और नतीजा सामने आया 1962 भारत-चीन युद्ध के तौर पर। हरीश चंदोला जिन्हें किसी ने रॉ एजेंट नाम दिया तो किसी ने धाकड़ पत्रकार। इस रिपोर्ट में हम आपको लेकर जा रहे हैं हरी...
एक महिला के गीत बनने की कहानी, कहानी सदेई की...
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कहते हैं महिलाएं पहाड़ की रीड़ है, इनके बिना ना पहाड़ है और ना ही पहाड़ की खूबसूरती। लेकिन पहाड़ को खूबसूरत बनाने के लिए पहाड़ की महिलायें कितना त्याग करती आई है जब मोबाइल नहीं हुआ करते थे, तब ये पेड़-पौधे ही पहाड़ की नारियों के संदेश वाहक थे। जंगल में घास काटते वक्त उसने कभी मायके की याद में तो कभी परदेश गए पति की याद में जब गीत गाए तो वो खुदेड़ गीत बन गए। कभी जब साथ गई महिलाओं के साथ उसने दु साझा क...
उत्तराखंड में नेशनल गेम्स जनवरी में, ना तैयारी पूरी, ना ही देवभूमि के पास खिलाड़ी | National Games
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2025 में नैशनल गेम्स कहाँ होंगे ये तय हो चुका है, जी हाँ 38 वें राष्ट्रीय खेल 2025 जनवरी में उत्तराखंड में होंगे। वो ही उत्तराखंड जिसके खिलाड़ी इन्फ्रस्ट्रक्चर के चलते बाहर के प्रदेशों में ट्रैनिंग और खेलने जाते हैं। ऐसे में ये सवाल उठना लाजमी है कि क्या उत्तराखंड सच में इन खेलों की मेजबानी कर पाएगा? नैशनल गेम्स के उत्तराखंड में होने से क्या बदलेगा? ये सब तो हम आपको बता ही रहें है साथ ही आपको य...
मिलिए उत्तराखंड के "Musical Parivar" से, जानिए कहानी साहब सिंह रमोला की
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हैंसदी मुखड़ी फेम साहब सिंह रमोला, उनकी पत्नी आकांक्षा रमोला और इनकी बेटी शगुन रमोला आज संगीत में अपना योगदान दे रहे हैं। उत्तराखंडी म्यूज़िक इंडस्ट्री में इस म्यूजिकल परिवार का योगदान काफी ज्यादा है। इस इंटरव्यू में हमने बात की इस म्यूजिकल परिवार से लोक गीत, संगीत और भाषा को लेकर। देखिए पूरा इंटरव्यू #pahadisongs #uttarakhand #uttarakhandhistory #uttarakhandnews #ghughuti #ghughuti_official
उत्तराखंड में सड़क हादसों पर क्यों नहीं लग पाती लगाम? मरचूला सड़क हादसे के कौन ज़िम्मेदार?
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उत्तराखंड में रोड सेफ्टी का क्या हाल है इसका एक और नमूना मरचूला में हुई दुर्घटना है। जहां लापरवाही के चलते 36 लोगों की जान चली गई और 27 लोग अभी भी घायल है। इस घटना ने एक बार फिर हर एक उत्तराखंडी को ये सोचने में मजबूर कर दिया है कि क्या सच में उत्तराखंड विकास की राह पर है या विनाश की राह पर। मरचूला में हुए इस हादसे में ओवेरलोडिंग के साथ प्रशासन पर भी लापरवाही बरतने का जिम्मेदार माना जा रहा है। य...
गढ़वाली-कुमाऊंनी भाषा हैं या बोली? आज सही जवाब जान लीजिए | Garhwali | Kumaoni | Jaunsari
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आम लोगों से लेकर विद्वानों तक एक कंफ्यूजन हमेशा बरकरार रहती है और वो ये कि गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी भाषा हैं या बोली? कई विद्वान तो इन भाषाओं को बोलियां बुलाते हैं तो कुछ हैं जो इन्हें भाषा के तौर पर पेश करते हैं। अब सच क्या है? ये बोली हैं या फिर भाषा? किस आधार पर इन्हें भाषा बुलाया जाता है और किस आधार पर इन्हें बोलियां कहा जाता है? बोली और भाषा से जुड़ी हर बहस का जवाब आपको मिलेगा त्यर पहा...
क्या आर्यन उत्तराखंड से निकलकर दुनिया में गए थे? Aryan Theory Explained
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दुनियाँ में सबसे ज्यादा बहस अगर किसी टॉपिक पर हुई है, तो वो आर्यन इन्वैशन थ्योरी। फ्रेंच और अंग्रेज इतिहासकारों से लेकर भारतीय इतिहासकारों के बीच दशकों से छिड़ी इस बहस में समय-समय पर नए और बहस जुड़ जाती है, लेकिन इस निष्कर्ष कभी निकलता नहीं दिखता। ऐसा ही कुछ हाल फिलहाल में भी हुआ, भारतीय इतिहासकारों ने एक नया मत दिया है कि आर्यन बाहर से आए ही नहीं थे। वहीं उत्तरतखंड के कुछ इतिहासकारों का ये भी ...
हे पन्यारी वाली 'उमां राणा' अब कहां ग़ायब हैं? अब क्यों नहीं आते गाने?
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सुर कोकिला मीना राणा ने जब अपने सिंगिंग करियर की शुरुआत की तो उनके साथ उनकी बड़ी बहन उमा राणा ने भी अपने करियर की शुरुआत की। आज मीना राणा एक्टिव हैं लेकिन उमा राणा कहीं ग़ायब सी हैं। इस इंटरव्यू में जानिए उमा राणा से हर एक बात। और सुनिए उनके सुरीले गीत। Singer Meena Rana elder sister Uma Rana has sung many Garhwali song with Narendra Singh Negi and Pritam Bharatwan. She also has acted in many g...
कहानी उस डाकू की जिससे अमीर ख़ौफ़ खाते और गरीब उसके लिए दुवाएं मांगते | Story of Sultana Daku
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पहाड़ी शादियों में एक पाकिस्तानी गाने के वायरल होने की कहानी | Pahadi Song | Urooj Mohammand |
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क्या है उत्तराखंड में पूजे जाने वाले नाग देवता का इतिहास? Naag Devta | Astha
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‘स्मार्ट सिटी’ में शामिल होने से कितना संवरा देहरादून? देखिए Ground Reality
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मसूरी तक ट्रेन पहुंचाने में क्यों बिक गई राजा की रोल्स रॉयस | मसूरी का पहला मकान
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खेतों में मजदूरी कर पेट पाला, बाद में बने फिजी के सबसे ताकतवर नेता | Badri Prasad Bamola
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पहाड़ को आबाद करने के लिए सिर्फ सख्त भू-कानून से काम नहीं चलेगा | Ganesh Gareeb | Chakbandhi
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उत्तराखंड में ‘भू-कानून’ ने कैसे खोले लूट के दरवाजे? | कैसा हो उत्तराखंड का भू-कानून?
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पहाड़ के लिए गुलदार से भी खतरनाक साबित हो रहे बंदर | छूट रही खेती, बढ़ रहा पलायन |
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वो सत्य घटना जिस पर नेगी दा ने गाया अपना नया गाना | ‘नत्थू विल्सन और रुदा-गुदौरि’ | Raja of Harshil
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गढ़वाल और कुमाऊं नाम कहां से आया? क्यों दोनों के बीच हो गई थी दुश्मनी? Garhwal and Kumaon History
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विदेश में नौकरी के नाम पर फंसे उत्तराखंडी, होटल में नौकरी का लालच ऐसे पड़ता है भारी | Job Scam
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हीरा सिंह राणा का वो गीत जिसने उन्हें मंचों का गायक बनाया | Life Story of Heera Singh Rana
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हिमाचल का हिस्सा बनना चाहते थे उत्तराखंडी, टिहरी बन ही जाता लेकिन…! Himachal Vs Uttarakhand
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उस ‘भूमियाल’ की कहानी जो उत्तराखंड के हर गाँव के आराध्य हैं |
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सबसे पहले बन्दर और सुवर भगाओ फिर पहाड़ में वापस आओ
गढ़वाल और कुमाऊ में जो लोग रहते हैं पहले मैदानी राज्यो में ही रहते थे मुस्लिमो के हमलों से बचने के लिए ही पहाड़ों में आए थे
Faltu ki bat
SARKARI SCEME BEKAR K HOTE HAI SARKARI BEKAR K SCHEME SE KISANO KO MADET NAHI MILTA HAI SAB FORMALITIES K SCHEME HOTE HAI KISSANO KO CHOTI SI SCHEME BHI AMIR PARTY K SUPPOTER KO HI MILTA HAI JO KHETI KISANI KABI BHI NAHI KERTE HAI NA KHETI K IDEA HI HOTA HAI
0:20 sirf yahi reason nahi hai. Mai himachal se hu. Uttrakhand me boht pehle se bandar pr suaro ka atank hai us wajah se. Ab himachal me b ye aane lage hain or inki wajah se ab himachal me b kheti lrna mushkil ho rha hai
पहली बार किसी ने दिल की बात कही 🎉
फ्री का राशन तो दिख रहा है सबको लेकिन पहाडों में बंदरों की बढ़ती तादात किसी को नही दिख रही। आवाज उठानी भी ह किसी को तो बंदरो के बढ़ते प्रकोप को कम करने के लिए भी उठाओ
फ्री राशन से खेती छूट रही है ये ग़लत है। जंगली जानवरों और सरकारों के द्बारा उत्तराखंड के गांवों के लिए अच्छी नीति नही बनायी जा रही है। पलायन का सिर्फ गाना गाया जा रहा है।इसको रोकना है तो ठोस नीति बनानी होगी वो जल्दी।
नमन: चार महासू देव चरणों में।❤🎉
बढ़िया
एक बीज को एकग्राम सभा..... ३० वर्ग मीटर जाली।
जंगली जानवरों के लिए चक बंधी होनी चाहिए तभी कृषि होंगी
बहादुर पहाड़ी
Bhai ji ghatiya chawal ghatiya gehu hamari gai bhi nahi khati Sarkar acchi ration nahin deti Sarkar to apnap 5 star wala khana khati hai sansad bhavan canteen mein vah nahin dikhta bhaji aap logon Ko naukari nahin hai na pahad mein koi Vikas nahi hai Bhai ji Vikas to Sarkar ki ho rahi hai😢
Mai uttarakhandi hu
समूह में मदद मिलती है...... उसमें आपके.....
Kheti se door kyuki jaanwar bahut ho gaye jo kuch hone nahi de re logo ka manobal gir gaya hai yah v ek bahut badaa kaaran hai
Baat bilkul sahi hai free ration desh ko barbaad kr rahaa hai
उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों को पार्यावरण के लिए सुरक्षित रखा जाए एवं वहां के निवासियों को खेती योग्य भूमि पर विस्थापित किया जाय।
मुख्य कारण यहाॅ की सोती जनता व सरकार ही है
My personal experience is that the extension services in the state need to be strengthened. Extension backed by strong research support could only solve the problem.
Well said... thats what is needed.
Cheeed ke ped kaato Jungali janwal ki problem solve karo Aur shichai arrange ho.. Bas itna kaafi h hamare liye
Yes. sahi kaha
फ्री राशन सिर्फ नाम मात्र का है। असली कारण जल, जंगल, जमीन से जुड़ा है।
एकदम सही कहा आपने
#अकाट्य_सत्य 😊
केन्द्र सरकार को चाहिए कि वो सरकारी राशन के बजाय रोजगार दें इससे युवाओं में आत्मसम्मान भी बना रहेगा।
जी सच है फिरी के राशन से लोग स्वयं के खेतों में काम नहीं कर रहे हैं और यही नहीं आज के समय में आप से अगर कोई काम नहीं होता है और आप मजदूर से काम कराना चाहते हैं तो गांव के लोग अब मजदूरी में काम नहीं कर रहे हैं गांव में मजदूर ढुढने पर भी नहीं मिल रहें हैं।
ये जो कृषि भूमि पर बाबाओं और गुरूओं के डेरे बन रहे हैं
Sahi bola na kwal rashan balki jo paisa milta heh gao waalo ko alag alag schemes k naam pe or bujurg logo lo onke liye otna paisa bahut heh free ka rashan thoda Paisa choti moti sabji wo apne ghar k aage khet me oga lete heh bas aisi katri gao walo ki jindagi
फ्री राशन बहुत गरीब लोगों को मिलता है तुम लोग गरीबों का मजाक मत उड़ाओ utube पर बैठ के । अमीर लोगों की गलती है जो पलायन कर गये अब सिर्फ गरीब बचे हैं पहाड़ों पर
भाई जी... पहले पूरा वीडियो तो देख लो... हमने वही बोला है जो आप बोल रहे हैं.
@ghughuti_official thumbnail सुधारों पहले फिर बात करो ।
Hmare ganv ka yhi hal hei isi karan hmare yahan kriyana walo ka kam bnd ho gya hei kyunki log dippo ke ration se hée guzara kar lete hein
Berozgari Indian villages ko khali kar rahi hai....sabhi cities me migrate kar rhe hai.......😢😢😢😢
Pahad ki kheti ki faslon ko suar Bandar bahut nuksan pahunchate hain aur gaon ko road se na jodne ki samasya yah mukhya Karan hai ke pahad ke gaon ujad rahe hain
Hum ek h ... Uttarakhandi ... Jai Ho
बंजर हो रहे खेतों का मूल कारण जंगली जानवरों के साथ साथ मौसम के बदलते स्वरूप से है पहाड़ी खेती में मेहनत के अलावा कुछ भी नहीं
बहूत से कारण है... और सबसे बड़ा कारण log जहा है वही रहना चाहते है..जो है वो भी आज नहीं तो कल पहाड़ छोड़ देंगे
केंद्र ब रियासती सरकारों ने वोट राजनीति के तहत चलाई गई मुफ्त योजनाओं ने देश और जनता दोनों को निठल्ला तथा कामचोर बना दिया ।
फ्री रासन सिर्फ एक राहत है जनता के लिए.... ये किसी को खेती ना करने के लिए प्रेरित नहीं करता....पहाड़ पर खेती करना एक कठिन काम है... मेहनत जायदा होती है... और उपज काम... ऊपर से जगली जानवर नुकशान करते है.... पहाड़ की खेती बारिश के ऊपर निर्भर है... और बारिश के भरोसे log इतनी जायदा मेहनत नहीं करना चाहते.... और रोजगार के लिए दूसरे परदेशो मै पलायन... इसका सबसे बड़ा कारण है...
सही कहा
रासन पहली बार थोड़ी मिल रहा है
Neta Chor aur Janta bhi Chor...Khub loot rahe hai dono bhar bhar ke Uttarakhand ko.
सही बात है, एक समय हमारे माता पिता को तो दुसरे घर से आटा चावल चीनी चायपत्ती मांगते थे, खेती लोग बिल्कुल भी नहीं करना चाहते हैं,
अगर उत्तराखंड में कक्षा 10तक english.मिडियम खोल दिए जाय व बंदर लंगूर सूवर से निजात पाली जाय तो पलायन रुक सकता है फिर खेती बाडी सब हो सकती है
I am from Pahad. Along with Free Ration, Poor Infrastructure, Lack of Water etc are many Reasons!!
very true.
Poori duniya tourism se rojgar kama rahe hai lekin infrastructure na hone ki vajah se uttrakhand me aane wale tourist or local public. Jam jam or tuty sadke koi badi yojna nahi bade decision lene ki avshykta hai
सरकार सिर्फ़ अपने वोटर बनाने के लिए फिरी राशन दे रही है।
Bhai kitna ration milta hai,mera white card hai 3 unit hai 9 kg rice aur 5kg wheat,mera itna milta hai ki mai also hoagaye hu
Reinfol is reason
कृषि भूमि घट रही है- कारण 1- जगह जगह रोड़ बन गई हैं जिस कारण कृषि योग्य भूमि बर्बाद हो गई है । पानी के स्रोत सूख गए हैं । 2- हर साल जंगलों में आग तो लग ही रही है , लेकिन कृषि योग्य भूमि बंजर होने के कारण वनों का विस्तार भी हो रहा है । 3- रोजगार के अभाव में पलायन होता है । सुविधा भोगी समाज के तैयार होने से लोगों ने अपने आवास अब रोड़ साइड में बना दिये हैं। तो खेत पहुंच से दूर हो गये। 4- मेहनती नस्ल के लोग धीरे धीरे उत्तराखण्ड से समाप्त होते जा रहे हैं । नेपाली मात्र एक सहारा रह गए हैं । 5- निश्छल और मिलनसार समाज में अब राजनीति घुस गई ।
फ्री राशन से कोई भी जमीन बंजर नहीं हो रही है सरकार कुंभ करनी नींद सोई है जंगली जानवर जमीनोंको समाप्तकर रही है जो भी फसल लगते हैं जंगली जानवर चटकर जाते है दूसरा आजकल पढ़ी लिखी बेटियां है जो खेत में काम करना नहीं चाहती 10 साल पहले की महिलाओं को देखो जो जंगल में बड़े बड़े पेड़ों पर चड करके देसी खाद तैयार करती थी गाय भेड़ बकरियां घरों में पलतीथी और सस्तेमें खेती करके मुनाफाकमाते थे आज यह हालत हो चुके हैं कोई भी काम नहीं करना चाहती पढ़े लिखेबच्चे शहर में जाकर के काम कर रहे हैं खाद डाल डाल डाल डाल डाल करके जमीनबंजर हो गई अब तो यह खाद भी इतनी महंगी हो गई है किसान खरीद नहीं सकता खेती और बागवानी में लगने वाली दवाइयां भी इतनी महंगी किसान खरीद नहीं सकता यही मुख्य कारण है आज अगर हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड मैं जो लड़का खेतीवाड़ी पर निर्भर है उसकी शादी करने के लिए लड़की नहींमिल रही है यह पढ़ी लिखी लड़कियों का कमाल फ्री राशन से खेती बाड़ी का कोई मतलब नहींहै घर में बच्चे बूढ़े दादू दादी जो सारे काम नहीं करसकते फ्री राशन का उनको फायदा हो रहा है बाकी लोग तो शहरों में काम करने के लिए चला गए हैं
Ji jarur